बेसिक शिक्षा परिषद के जूनियर हाई स्कूलों और बीटीसी करने के बाद शिक्षक बनने की लाइन में खड़े लोगों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। हाई कोर्ट से टीईटी पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को फिलहाल शासन स्तर पर रोक दिया गया है। बेसिक शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों का मानना है कि टीईटी पर स्थिति जब तक साफ न हो जाए, तब तक भर्ती के लिए शासनादेश न जारी किया जाए।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक रखने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में अभी तक सिर्फ एक बार वर्ष 2011 में टीईटी आयोजित कराई गई। रमाबाई नगर की पुलिस ने टीईटी में धांधली के आरोप में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को गिरफ्तार किया लेकिन न तो इसकी विभागीय जांच कराई गई और न ही किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से। इसके बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राइमरी स्कूलों में 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाल दिया। इसके लिए 69 लाख आवेदन आए और सरकार को 350 करोड़ रुपये मिले। विभाग की लापरवाही का खामियाजा अब शिक्षक बनने के लिए आवेदन करने वालों को भुगतना पड़ रहा है।गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने टीईटी पर सवालिया निशान लगाते हुए पूरी रिपोर्ट मांग रखी है।
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हाईकोर्ट के इस रुख के बाद बेसिक शिक्षा विभाग जूनियर हाईस्कूल में 28 हजार पदों पर सीधी भर्ती और बीटीसी पास करीब 12 हजार अभ्यर्थियों को शिक्षक बनाने का शासनादेश जारी करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इसलिए प्रस्ताव फिलहाल रोक दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर तय किया गया है कि हाईकोर्ट से टीईटी पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा।