ANNA HAJARE: अब राइट टू रिजेक्ट, राइट टू रिकॉल की लड़ाई

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उन्नाव/लखनऊ : भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए जनलोकपाल कानून बनाये जाने की मांग को लेकर संघषर्रत समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा कि जनलोकपाल बन जाने के बाद भी लडाई थमने वाली नहीं है और इसके बाद ‘राइट टू रिजेक्ट’ और ‘राइट टू रिकाल ’ की लड़ाई लडनी है। हजारे ने यह बात आज यहां राजकीय इंटर कालेज मैदान में आयोजित एक किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कही।
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उन्होंने कहा ,‘‘आप लोगों को अपनी शक्ति पहचाननी होगी क्योंकि दिल्ली और प्रदेश की संसद से बडी जन संसद है। हम ही उन्हें काम करने के लिए प्रतिनधि बना कर भेजते हैं..जनलोकपाल के बाद भी लड़ायी रूकने वाली नहीं है। इसके आगे ‘नामंजूर करने’, ‘वापस बुलाने के अधिकार’ की लड़ायी लडनी होगी।

नौजवानों ,किसानों और ग्राम पंचायतों को अधिकार सम्पन्न बनाने पर केन्द्रित अपने संबोधन में हजारे ने कहा कि केन्द्र अथवा प्रदेश की सरकारों को जल ,जमीन और जंगल के अधिग्रहण में ग्राम पंचायतों को भी भरोसे में लेना चाहिये।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उनका लक्ष्य देश की करीब 120 करोड की आबादी में से कम से कम छह करोड़ लोगों को जागरूक करने का है। परिवर्तन लाने के लिए तो 20 साल लगेंगे और इसके लिए नौजवानों को कुर्बानी देने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। किसान पंचायत को पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने भी संबोधित किया और कहा कि सामाजिक एवं आर्थिक विषमता ही नक्सलवाद की जड़ है। उन्होंने कहा कि आर्थिक नीतियों की विफलता का ही परिणाम है कि 22 सालों के अंदर नक्सलवाद की जड़ें 50 से बढकर 270 जिलों में फैल गयी हैं।

जनरल सिंह ने खुलासा करते हुए कहा कि वर्ष 2010 में छत्तीसगढ में नक्सली हमले में सीआरपीएफ जवानों की सामूहिक हत्या के बाद सरकार वहां सेना के माध्यम से दमनात्मक कार्रवाई करवाना चाहती थी ,मगर उन्होंने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए टलवा दिया कि सेना देश की सीमाओं की सुरक्षा करने के लिये है, इसे देशवासियों के सामने शस्त्र लेकर नहीं खड़ा किया जाना चाहिये।

उन्होंने कहा कि जनतांत्रिक देशों में भ्रष्टाचार की समस्या अधिक गंभीर है और भारत में स्थिति बहुत ही खराब है। जनसभा की अध्यक्षता कर रहे अजमेर शरीफ के सूफी हजरत जिलानी ने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस के साथ ही अन्य राजनीतिक दलों को भी जिम्मेदार ठहराया।