फर्रुखाबाद: कहते हैं भगवान की लीला भगवान ही जानें, वैसे ही रामनगरिया के संतों की लीला शायद उनके अलावा कोई नहीं जानता। रामनगरिया मेले में इस समय भांति भांति के संत नजर आते हैं। कोई घुड़सवारी करता नजर आता तो कोई भगवान भक्ति में रमा पड़ा है तो कोई रामायण का अध्यन कर रहा है, कोई हवन में आहुतियां दे कर वातावरण सुगंधित कर रहा है, कोई गांजा भांग की कश ले रहा है, इन्हीं में शामिल वह संत भी हैं जो हाईटेक हो चुके हैं। यह संत लेपटाप के सहारे ज्ञानवर्धन का आनंद ले रहे हैं।
गंगा के पवित्र तट पर सजी रामनगरिया में इस समय लाखों श्रद्धालुओं व भक्तों की भीड़ जमा हो चुकी है। अगले 25 फरवरी तक लगातार गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है। वहीं सर्दी कम होते ही एक माह तक कल्पवास करने वाले संत भी अब सुबह गंगा स्नान के बाद दिन भर विभिन्न भक्तिभावना में डूबे नजर आते हैं। रामनगरिया मेले में जगह जगह भागवत व यज्ञ आदि के आयोजन किये जा रहे हैं। दूर दराज से जाने वाले श्रद्धालु भी गंगा तट पर हवन इत्यादि कराकर गंगा को पहनावा पहनाकर अपनी मन्नत मांग रहे हैं। पूरा गंगा तट भक्ति के माहौल में सराबोर नजर आता है।
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वहीं गंगा तट पर अभी तक जो संत रामायण व वेदों का अध्ययन करते थे वही अब हाईटेक नजर आ रहे हैं। हाईटेक ऐसे वैसे नहीं हजारों रुपये कीमती लेपटाप के सहारे संत वेबसाइट पर अध्ययन कर रहे हैं। इंटरनेट की दुनिया में संत भगवान को जानने में लगे हुए हैं।
गंगा तट पर झोपड़ी में कल्पवास कर रहे संत ज्ञानदास से जब पूछा गया कि वह लेपटाप क्यों रखते हैं तो उन्होंने कहा कि उनके आश्रम पर जितने भी भक्तगण हैं वह सभी पढ़े लिखे हैं सभी लेपटाप व इंटरनेट पर विशेष जानकारियां खोजते हैं जिससे भगवान के बारे में महत्वपूर्ण ज्ञान मिलता है। जिसे वे लोग अन्य भक्तों में भी बांटते हैं।