साहब को सब है पता- राशन की कालाबाजारी में कौन कौन शामिल, मगर…

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Editorसार्वजनिक वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार से आम आदमी से लेकर अफसर और सरकार चलाने वाले नेता भी दो चार है| मगर फिर भी अगर व्यवस्था नहीं सुधर रही तो इसका क्या मतलब निकाला जाए? साहब को सब है पता कि राशन की कालाबाजारी कैसे हो रही है मगर वे कुछ भी नहीं कर सकते| आखिर जाँच किससे कराये? जिनके हाथ इस काले खेल में सने है| उन्ही को वही जाँच कर्ता बनाने के सिवा क्या करें| | उन्ही को बैठको में फटकार, निलंबन की चेतावनी और उन्ही को फिर जाँच कर रिपोर्ट देने का फरमान| चोर को थानेदार बनाने के सिवा क्या कोई चारा नहीं| खबरीलाल सुना रहे थे और लोग ध्यान पूर्वक सुन रहे थे|

खबरी बोले- साहब की बैठक जैसे गोलमेज आन्दोलन सी लग रही थी| सबकी रिपोर्ट एक एक कर देखी जा रही थी| फलां की वसूली कम, तो फलां उपस्थित नहीं हुआ| फाइलों में दबी रिपोर्ट कितनी काल्पनिक है इसकी बात बाद में होगी| पहले जो दिखा है उस पर नजरे डालिए| शराब, मनोरंजन, सिंचाई, नलकूप जैसे विभागों में कम वसूली पर चिंता| लाजिमी है सरकार को राजस्व कम मिलेगा तो विकास के लिए खजाना कहाँ से आएगा| लालबत्तियों वाली राजनैतिक काम के लिए दौड़ती गाड़ियों में तेल कहाँ से पड़ेगा| चुनाव सर पर है| नेताजी को विकास से ज्यादा वोटबैंक सहेजने में चिंता लगे है| साहब को अपनी साख बचाने की| और छोटे साहब को जान बचाते हुए अधिक से अधिक भ्रष्टाचार से माल कमाने की| अब माल कमाने के लिए सबसे निचली इकाई लगी है| जो रिपोर्ट छोटे साहब को देगी वही तो छोटे साहब बड़े साहब को देंगे| बड़े साहब बने रहे इमानदार| उन्हें तो ये मौका नहीं छोड़ना|

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साहब ने फटकार लगायी, गरीबो को राशन ठीक से नहीं मिल पा रहा है| नगर में मिटटी के तेल के वितरण में बड़ा गोलमाल है ये बात साहब को भी पता है ये तो खबरीलाल को भी पता है और जनता को भी| मगर बड़े साहब ने इसकी जाँच कर वितरण सही कराने के लिए मौके पर जाकर खुद निरिक्षण करने की बात कर दी| बस इसी पर छोटे साहब के मुंशी और मुनीम (सभी सफ़ेद स्याह कामो के ) मुल्ला को हंसी छूट गयी| मुल्ला मुह दबाकर बोले- करा लो भौतिक सत्यापन| अरे जब हर महीने हम दुकानों का सत्यापन दफ्तर में कोटेदार का रजिस्टर माँगा कर कर लेते है तो गड़बड़ी कहाँ मिलेगी| अब बड़े साहब की फटकार से फायदा ही मिलना है| साहब की इस मीटिंग की खबर अखबारों में छपेगी और हम रेट बढ़ा देंगे| पहले 15रुपये प्रति कुंतल गेंहू, चावल और 250 रुपये प्रति ड्रम लेते थे अब महगाई के हिसाब से और बड़े साहब से बचने के 25 प्रतिशत और रेट बढ़ा देते है| छोटे साहब बोले चुप रहो मुल्ला| दीवारों के भी कान होते है| और सुनो सुबह उस दीपू को बुलाओ और इस महीने की वसूली और नए रेट तुरंत वसूलने के लिए कह दो| पता नहीं बड़का साहब कब मुह उठाये किस दूकान को भून आये और हमारा महीना मर जाए|

बात तो सही कर रहे हो साहब| अब इनकी भी आदत हो गयी डांटने की| साल भर हो गया गढ़े मुर्दे उखाड़ते| और हम सब भी पक्के हो गए सुनने में| कुछ सुधार पाए| न सुधरा न सुधरेगा| बस सस्पेंड करेत रहो| ग्राम सचिव, मास्टर, सरकारी डाक्टर, लेखपाल, कांस्टेबल, बड़े बाबू, छोटे बाबू कोई सुधरा| मजाल क्या बिना किसी सिफारिस या घूस के काम बना हो| और हमारे विभाग में हमारी ही चलती है| और सुधारने का प्रयास करोगे तो तीन और छोटे साहब है जिनकी जेब भी हमारे विभाग से गरम होती है| वे बचायेंगे| हमें राशन कार्ड नहीं बनाना था, नहीं बनाये| लक्ष्मी नाम की योजना का तो तुम्हे पता ही है| तीन महीने के राशन में एक महीना तो कोटेदारो ने हमारे लिए रिजर्व कर ही लिया| दो महीने का बताया है ग्राहकों को उसमे से भी सूची में खेल|

हमारी मर्जी है तभी जिस कोटेदार के पास बीपीएल कार्ड नहीं है उसे भी बीपीएल का राशन दिला देते है| सरकार राशन दुकानदारो का कोटा कम देती है, हमने 70 हजार फर्जी राशन भी नहीं बंद किये| कर लो जो कर पाओ| हमारे आंकड़े हमने बनाये| साहब बड़े पते की बात है हमारे पास तीन तरह के रिकॉर्ड है ये बात तो अति गोपनीय है| मुख्यालय से राशन का आवंटन लेने के लिए सूची कुछ| राशन वितरण के लिए अलग सूची| और तीसरी सूची बड़े सहबो के लिए| ऐसे ही नहीं संभल रही है हमने सीट, मुल्ला खुश होकर बोल रहा था| खबरची चुपचाप बगल में बैठा सब सुन रहा था|
मुल्ला आगे बोला- रही ई गवर्नेंस की बात| तो टीवी पर अखिलेश सरकार का इ गवर्नेंस का विज्ञापन देखा है साहब- “कहती है- राशन कार्ड में नाम तो लिखा न पाए| इस पर हीरो कहता है- इतना आसान काम नहीं है, चप्पल घिस गयी दफ्तर के चक्कर लगाते लगाते| ये हमारी ही निशानी है है कि इ गवर्नेंस के विज्ञापन में भी हमारा विभाग छाया हुआ है| हमने सबकी…..| हमने लोकवाणी के 10 हजार से ज्यादा आवेदनों को यूं ही नहीं निरस्त कर दिया| बस बड़े साहब के आसपास के लोगो के घर समय से गैस और राशन पहुच जाए| समझो राम राज चल रहा है| बड़े साहब को शायद नहीं पता- कोतवाल नहीं चाहेगा तो कप्तान साहब भी कोतवाली में घुस नहीं सकते…..