मिट्टी खनन की अनुमति न मिलने से भट्टों पर मौजूद बिहारी मजदूरों के वापस लौटने की नौबत

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फर्रुखाबाद: स्वच्छता प्रमाण पत्र की अनिवार्यता के चलते जनपद में बालू एवं मिट्टी खनन की अनुमति बंद चल रही है। इसी के चलते जनपद के लगभग सभी ईंट भट्ठों पर ईंटों की पथाई का काम बंद हो गया है। भट्टों पर काम करने वाले बिहारी मजदूरों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। अधिकांश अब घर वापसी की तैयारी में हैं।

विदित है कि न्‍यायिक आदेशों के चलते प्रशासन ने खनन अनुज्ञा के लिये सव्‍च्‍छता प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया है। इसके चलते एक भी खनन आदेश जारी नहीं हो पा रहे हैं। जनपद में बालू एवं मिट्टी का खनन यूं तो कागजों पर बंद है, परंतु चोरी छिपे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियेां की मिलीभगत के चलते अवैध खनन भी खूब हो रहा है।

परंतु भट्टा मालिकों के सामने संकट आ गया है। अधिकांश भट्टों पर ईंट का स्टाक भी खत्म होने को है। भट्ठा मालिक मुश्किल में हैं। भट्ठों पर काम के लिए बिहार से आने वाले मजदूरों के भी वापस लौटने की संभावनाएं बन रहीं हैं। फर्रुखाबाद के 135 भट्ठों पर लगभग 25 हज़ार से अधिक बिहारी मजदूर काम करते हैं। ईंट भट्ठा मालिकों के सामने परेशानी से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। ईंट निर्माता संघ के अध्यक्ष सुरेश सक्सेना ने बताया कि सितम्बर में खनन अधिकारी राज कुमार संगम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हम लोगों से रायालिटी जमा करा ली। इसके बाद हम लोग निश्चिन्त थे कि भट्ठे शुरू हो जायेंगे। इसके बाद अपर जिलाधिकारी के के सिंह ने आदेश जारी कर दिया कि मिटटी का खनन सहित किसी भी प्रकार के उप खनिज के खनन का कार्य बिना पर्यवरण एवं वन मंत्रालय से स्वच्छता प्रमाणपत्र लिए नहीं किया जा सकता, इसके बाद से भट्ठों पर कामं बंद हो गया। फर्रुखाबाद के भट्ठों पर काम करने के लिए बिहार से मजदूर हर साल आते हैं। जिले के लगभग 135 भट्ठों पर 25 हज़ार से अधिक मजदूर जमा है। जिसके पास कोई काम नहीं है और इसके बावजूद भट्ठा मालिकों को उनका खर्चा बर्दाश्त करना पद रहा है। संघ के महामंत्री कृष्ण दत्त द्विवेदी ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश की अधिवक्त अनूप त्रिवेदी ने गलत व्याख्या की है। इसलिए यह स्थिति बनी है। कोषाध्यक्ष नारायण कुमार अग्रवाल ने बताया कि भट्ठा मालिक मजबूर है। उसका पैसा फंस चूका है और काम बंद है।