आखिर भाजपा की राष्ट्रीय समिति के सदस्य और पूर्व सांसद सच्चिदानंद हरि साक्षी ने कह ही दिया कि राजनीति में कोई राजा हरिश्चंद्र नहीं होता। और नेता की बात को रिकार्ड करके रखने का भी कोई मतलब नहीं। बकौल साक्षी महाराज नेता की बात पानी पर खींची गयी लकीर की तरह होती है जो खींची और मिट गयी। सपा और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का सफ़र तय करने के बाद साक्षी महाराज फिर भाजपा में वापस आ गए हैं। जिन कल्याण सिंह को वह लोधियों की एकता में रोड़ा मानते थे वही साक्षी महाराज अब भाजपा में कल्याण की वापसी की बात जोह रहे हैं।
साक्षी ने तो पुरानी कहावत एक म्यान में दो तलवार नहीं होती को भी फेल कर दिया है। तो यह है भारतीय नेताओं का असली चेहरा। विधान सभा चुनाव के बाद साक्षी महाराज पहली बार फर्रुखाबाद आये थे। इस बार साक्षी जी मुखातिब हुए तो उनका रूप बदला- बदला था, उनके सुर बदले- बदले थे। फ़ायर ब्रांड नेता की पहचान रखने वाले साक्षी एक अनुशासित भाजपाई के रूप में दिखे। सवालों के जवाब दिए पर संयत भाव से। नपे तुले शब्द और उनमे भी पूरी राजनीतिक चतुराई।
पत्रकारों के सवालों के जवाब में फंसने जैसी कोई बात नहीं। सियासत में भ्रष्टाचार की बात शुरू हुई तो साक्षी जी ने बखूबी अपने अध्यक्ष नितिन गडकरी का बचाव किया और कहा कि गडकरी पर लगे आरोप एकदम निराधार हैं। साक्षी बोले यह हमारे अध्यक्ष की महानता देखिये कि आरोप लगे और तुरंत जांच को तैयार हो गए। वाड्रा और मनमोहन सिंह जांच के लिए क्यों नहीं कहते| साक्षी को लगता है कि कल्याण सिंह, उमाभारती और वह मिलकर पार्टी में खासा दवाब बना लेंगे। उसके पीछे है 7 प्रतिशत लोधी वोट जिसके एक मुश्त भाजपा में जाने का रास्ता साफ़ हो गया है। साक्षी कहते हैं कि बचपन में वह भी मानते थे कि एक म्यान में 2 तलवार नहीं हो सकतीं पर अलवर और जोधपुर के म्युजियम में जाकर मैंने देख लिया कि एक म्यान में 2 तलवारें बखूबी रखी जा सकतीं हैं।