तुलना:- इ-गवर्नेंस में आंध्र प्रदेश में 45 सेवाएं, यूपी में 26 में से केवल 4 हुई चालू

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भ्रष्टाचार में भले ही यूपी अव्वल बन गया हो मगर तमाम क्षेत्र में यूपी फिस्सड्डी ही बना हुआ है| नयी उम्र के इंजीनियरिंग किये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी परम्परागत जातिवाद, क्षेत्रवाद और वोट बैंक साधने की प्लानिंग से आगे नहीं बढ़ पा रहे है| तमाम साधन होते हुए भी भ्रष्टाचार के कारण जरुरतमंदो को उनका हक़ नहीं मिल पा रहा है| भ्रष्टाचार और सरकारी धन के लीकेज को रोकने में सहायक बन रहा इ-गवर्नेंस तक को यूपी के सरकारी तन्त्र ने पंगु बना दिया है| सचिव से लेकर निचले स्तर के अधिकारिओ तक में चिट्ठी चलाने के अलावा कोई रूचि नहीं दिखती| तभी तो इ-गवर्नेंस के तहत शुरू हुए प्रोजेक्ट में आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश की तुलना करें तो जमीन आसमान का अंतर दिखाई पड़ता है|

यूपी में तीन साल पहले 5 जिलो में इ गवर्नेंस के तहत इ डिस्ट्रिक्ट का पायलट प्रोजेक्ट चालू हुआ था| उसके एक साल बाद पूरे उत्तर प्रदेश में चालू होना था| मगर अमली जमा पहनने में तीन साल लग गए| मायावती की सरकार में 6 माह में एक चिट्ठी चलती रही| सरकार बदली, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़े जोर शोर से 1 अगस्त को 8 विभागों की 26 सेवाओ के लिए फीता काट दिया| मगर तीन महीने बाद भी 26 में से केवल 4 सेवाएं और 8 विभागों में से केवल राजस्व विभाग ही अपनी इ सेवा चालू कर सका है| कुल मिलकर सरकारी शतरंज की बिसात पर वाही पुराने प्यादे और पैदल सेना है, केवल शतरंज खेलने वाले बदल गए|

आन्ध्र प्रदेश में जन सेवा केंद्र को मी सेवा का नाम दिया गया है| मी सेवा के तहत 45 सेवाएं जनता को मिल रही है| एक साल पहले आन्ध्र प्रदेश में जन्म म्रत्यु, आय, निवास जाति जैसे प्रमाण पत्रों को जारी करने में दस से पन्द्रह दिन का समय लगता था इन दिनों 15 से 20 मिनट में मिल जाता है| आंध्र प्रदेश में मी सेवा के तहत 45 सेवाएं जनता को मिल रही है जो आन्ध्र सरकार 100 के करीब करने जा रही है| यही नहीं आंध्र प्रदेश अपनी मी सेवा को अन्य राज्यों के साथ साझा करने पर भी सहमत हो गयी है|
आंध्र के मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी ने गुरूवार को भारत सरकार के तकनीकी और सूचना विभाग के सचिव जे सत्यनारायण के प्रस्ताव पर सहमती प्रदान कर दी|
सचिव सत्यनारायण ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने मी सेवा के प्लेटफार्म को देश के अन्य राज्यों के साथ साझा करने का भी सुझाव दिया ताकि अन्य राज्य भी इस बेहतर प्लेटफार्म का इस्तेमाल मामूली फेरबदल के बाद कर सके|
उन्होंने बताया कि इ गवर्नेंस सेवा का लाभ देश के 8.2 करोड़ को अब तक मिला है| हम उसे 15 करोड़ लोगो तक मार्च 2013 तक पंहुचा देंगे|
आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मी सेवा का लाभ सीधा आम आदमी को मिल रहा है| एक अनुमान के मुताबिक इस सेवा के कारण 4000 से 6000 करोड़ रुपये की बचत हो रही है जो की आम आदमी को सरकारी आदमी को काम के बदले रिश्वत के रूप में देनी पड़ती थी|

www.igovernment.in की पूरी खबर इस प्रकार है-
Hyderabad, Nov 15: Andhra Pradesh has agreed to share its e-governance initiative Mee Seva with other states.

Under Mee Seva (meaning at your service) launched a year ago, the state government is offering 45 various services and plans to increase the same to 100 services in two to three months.

Services like issuance of birth, caste and income certificates are being performed for citizens in 15 to 20 minutes, which earlier used to take 10 to 15 days.

Chief Minister N. Kiran Kumar Reddy Thursday agreed to a suggestion made by J. Satyanarayana, Secretary, Department of Electronics and Information Technology, Government of India, at the e-India event here.

Mr. Satyanarayana suggested to the Chief Minister to dedicate Mee Seva to the nation so that other states can take benefit of this ready-made platform with minor customizations and use of cloud technology.

He pointed out that under various e-governance projects across the country citizen services were being offered to 8.2 crore people. “We plan to increase this number to 15 crore by March 2013 and 30 crore by March 2014,” he said.

The Chief Minister claimed that the Mee Seva initiative has immensely benefited the common man. According to one estimate, this has saved annually Rs.4,000 crore to Rs.6,000 crore which the citizens used to pay as bribe to government officers at various levels for the services.

Mr. Reddy said he now planned to use Information and Communications Technology in health services aimed at pregnant women. He explained how the use of this technology in student scholarships helped the government save Rs.300 crore every year, which was being misappropriated.

He said as the state was giving Rs.26,000 crore subsidies to various sections of people every year, the use of ICT would ensure that the subsidies reach the targeted group.

The state is now planning to link all the welfare schemes to Aadhar to check the leakages. It has already covered six crore out of 8.3 crore people under Aadhar.