अरविंद केजरीवाल द्वारा राजनेताओं और कारोबारियों के खिलाफ छेड़े गए आंदोलन के लिए टाटा व इनफोसिस जैसे कारपोरेट घराने वित्तीय संसाधन उपलब्ध करा रहे हैं। इसका खुलासा केजरीवाल के पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन की 2010-11 की ऑडिट रिपोर्ट से हो जाता है।
वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार केजरीवाल द्वारा संचालित पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन को वर्ष 2010-11 में कुल 96.5 लाख रुपये का दान प्राप्त हुआ। इसमें इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और रतन टाटा के सोशल वेलफेयर ट्रस्ट ने क्रमश: 12 लाख और 25 लाख रुपये दिए थे। समाचार पत्र के मुताबिक मुंबई की स्टॉक ब्रोकिंग फर्म एनम सिक्योरिटी के मालिक वल्लभ भंसाली ने फाउंडेशन को 2 लाख रुपये के दान दिए थे। इसी तरह आइशर ट्रैक्टर के मालिक विक्रम लाल ने आइसर गुडअर्थ ट्रस्ट के नाम से 3 लाख का चेक दिया था। नीमेश कंपानी के जेएम फाइनेंशियल फाउंडेशन ने पचास हजार का चेक दिया था। अन्य सहयोग देने वालों में इंडसंड इंक बैंक के प्रमुख रोमेश सोबती भी शामिल हैं। रेलीगेयर के सीईओ सचिंद्रनाथ ने 20 हजार, नौकरी डॉट कॉम के संजीव बिखचंदानी 50 हजार, बेंगलूर के कस्तूरी ट्रस्ट ने 25 लाख रुपये के दान दिए थे। मैनेजमेंट संस्थान चलाने वाले जगन नाथ मैमोरियल एजुकेशन सोसायटी ने 13 लाख का दान दिया था। टॉप कूरियर कंपनी सेफ एक्सप्रेस ने 3 लाख और टॉप लॉ फर्म लूथरा एंड लूथरा ने पचास हजार का दान दिया है। सूची काफी लंबी है इसलिए यहां कुछ प्रमुख दानदाताओं का ही उल्लेख किया गया है।
विदित है कि नारायण मूर्ति केजरीवाल के आरटीआई अवार्ड के वे जूरी सदस्य हैं। भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी में आने से पहले अरविंद केजरीवाल टाटा स्टील कंपनी में नौकरी कर चुके हैं। पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना 19 दिसंबर 2006 में हुई थी। मनीष सिसोदिया और टीवी प्रोड्यूसर व लेखक अभिनंदन शेखरी ने इसकी स्थापना की थी। केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी इसके ट्रस्टी हैं। फाउंडेशन को मिले दान से ही जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन चलाया गया था। संगठन को 2011-12 में 31 लाख का दान मिला था। लेकिन इस साल की ऑडिट रिपोर्ट में दानदाताओं का जिक्र नहीं है।