सलमान लुईस के ट्रस्ट पर लगा एक और घोटाले का आरोप

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फर्रुखाबाद: भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बुलायी गयी बैठक में किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील शाक्य ने कानून मंत्री सलमान खुर्शीद व लुईस पर एक और घोटाले का आरोप लगाया। जिसमें उन्होंने कहा कि नबावगंज में ट्रस्ट द्वारा 17 साल से अस्पताल निर्माणाधीन है। आज तक हॉस्पिटल चालू नहीं है| इस ट्रस्ट की जमीन के हस्तांतरण में ही बड़ा संदिग्ध मामला दिखाई पड़ता है| वह जमीन ग्राम सभा गनीपुर जोगपुर की भूमि संख्या 1625/2 रकबा 25 एकड़ चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कानून मण्डल के निदेशक डा0 आर के कश्यप ने जाकिर हुसैन ट्रस्ट को 30 वर्ष के लिए 100 रुपये वार्षिक किराये पर दिया था। मगर इस हस्तांतरण में बड़ा खेल खेला गया और गई कानूनी तरीके से जमीन का आवंटन रातो रात हुआ था|

आज जाकिर हुसैन ट्रस्ट का कथित अस्पताल जिस जमीन पर बनाने का दावा किया जा रहा है वो भूमि 12 नवम्बर 1984 को ग्राम सभा के प्रस्ताव पर अपर जिलाधिकारी एस पी पाण्डेय द्वारा वृक्षारोपण हेतु अब्दुल मुजीद खां पुत्र अब्दुल शकूर खां को वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम के अन्तर्गत दी गयी। उसी जमीन पर 15 अप्रैल 1996 को जारी हुए खसरे के अनुसार 488 बबूल 2000 यूकेलिपटस 100 शीशम के पेड़ थे। उन्होंने बताया कि 12 वर्ष पुराने इन वृक्षों की कीमत उस समय लगभग 1 करोड़ थी। तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा भूमि अधिग्रहीत करने से पूर्व न तो मुजीब खां का पट्टा निरस्त किया गया और न ही उन्हें लगे हुए वृक्षों का मुआवजा दिया गया।

श्री शाक्य ने यह भी बताया कि तत्कालीन जिलाधिकारी ने 1 अप्रैल 1995 को उक्त भूमि अपने अधिकार में लेकर स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश के पक्ष में निहित करने के आदेश किये तथा उसकी प्रतिलिपि स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश को न भेजकर अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कानपुर मण्डल को इस आशय के साथ कि वे तुरन्त पुर्नग्रहीत भूमि पर कब्जा लेने का कष्ट करें। उपजिलाधिकारी कायमगंज ने 2 अप्रैल 1995 को स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के पक्ष में भूमि करने के आदेश किये।

अपर निदेशक डा0 कश्यप 1 अप्रैल 1995 को ही कायमगंज आकर लुईस खुर्शीद के घर की बैठक पर सबरजिस्ट्रार को बुलाकर स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश के बिना किसी आदेश के उक्त भूमि के अभिलेख पर हस्ताक्षर किये। सब रजिस्ट्रार ने अभिलेख रजिस्ट्री करने के सय 5 व 6 बजे दर्ज किया है। श्री शाक्य के अनुसार जाकिर हुसैन ट्रस्ट को दी गयी जमीन के अभिलेख संदिग्ध प्रतीत होते हैं अतः जांच करायी जाये।

श्री सुशील शाक्य के अनुसार  जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2009 व 2010 के विकलांग कल्याण कार्यक्रमों की परीक्षण रिपोर्ट उनके प्रतिकूल होने के कारण उन्होंने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को उक्त रिपोर्ट के सत्यापन की पुनः जांच कराये जाने का अनुरोध किया था ताकि सलमान खुर्शीद के प्रभाव का प्रयोग कर पुनः जांच में रिपोर्ट को अपने अनुकूल कराया जा सके। श्रीमती खुर्शीद का यह कहना गलत है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से जांच का स्वयं अनुरोध किया था उनके बम्बू प्रोजेक्ट, एलोवेरा प्रोजेक्ट, वाटर शेड प्रोजेक्ट तथा इस ट्रस्ट द्वारा चलाये गये सभी प्रोजेक्ट तथा सरकार से प्राप्त करोड़ों रुपये की सहायता के घोटालों की जांच उच्च स्तरीय संसदीय समिति बनाकर करायी जाये।