इस गाँव में कागजों के भीतर छा रही “हरियाली”

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फर्रुखाबाद:(राजेपुर) पर्यावरण संरक्षण के नाम पर हर साल पौधारोपण होता है। छायादार, फलदार और औषधि के पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन अधिकतर पौधे जमीन के बजाय कागजों में लगते हैं। जो पौधे जमीन पर लगते भी हैं, उनकी ठीक से देखभाल नहीं की जाती, इस कारण वे लगने के कुछ दिन बाद ही सूख जाते हैं। लेकिन यंहा से उससे भी अलग सैकड़ों की संख्या में पौधे बिना लगाये ही सूख गये| लेकिन कागजी बाजीगरी में माहिर अफसर  कागजों में हरियाली पूरी तरह से फैला रहे है|

पर्यावरण को पौधारोपण के जरिए ही बचाया जा सकता है। इसके लिए हर साल अधिक से अधिक पौधे लगाने की जरुरत है। पौधा लगाना किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर व्यक्ति को इस बारे में गंभीर होना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। आबादी के साथ लकड़ी का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। इसके लिए लोगों की नजर पेड़ों पर ही रहती है। जहां जिसका मौका लगता है, वह पेड़ों को नुकसान पहुंचा देता है, लेकिन फायदा नहीं पहुंचाता। पौधारोपण के लिए हर साल शासन जिले के लक्ष्य देता है। वन विभाग समेत और भी कई विभागों को इसका लक्ष्य दिया जाता है, लेकिन पौधारोपण हकीकत में कम और कागजों पर ही ज्यादा होता है। जितने पौधे लगाए जाते हैं उनकी भी देखभाल नहीं हो पाती और वे सूख जाते हैं।
ताजा मामला विकास खंड राजेपुर के ग्राम ताजपुर प्रधान हरिनाम की लापरवाही से गाँव में हरियाली बिखेरने से पूर्व ही सूख गये| तकरीबन चार सैकड़ा पौधे लगाये ही नही गये|
गाँव के लिए 2400 पौधे दिये गये थे| लेकिन उसमे से कितने लगे यह तो अफसरों को देखने की जरूरत है| फ़िलहाल फोटो यह साबित कर रही है कि पौधारोपण कितने मन से किया गया|
एपीओ गौरव सिंह नें बताया कि ग्राम प्रधान की लापरवाही से कई सैकड़ा पौधे लगे बिना ही सूख गये है| जाँच करायी जायेगी|