फर्रुखाबाद परिक्रमा : चाचा हम फिर शर्मिंदा हैं,…………….
अपनी-अपनी ढपली पर अपना-अपना राग चौक की पटिया पर बैठते ही खबरीलाल गरजे। अलख निरंजन कांटा लगे न कंकर जय शिव शंकर। लोग एक बारगी चौंक गए। बोले क्या बात है खबरीलाल। बात क्या है खाक। चट्टान प्रेस के मालिक राजनरायण दुबे जी, भगवान उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे, बिल्कुल सही फरमाते थे। फर्रुखाबादी […]
Continue Reading