फर्रुखाबाद परिक्रमा: जहां टिकट वहीं ठौर-तू नहीं और सही, और नहीं और सही!

हार की बदहवासी के बाद हाथी वाले कसमसाने लगे हैं। बार बार यकीन दिलाया जा रहा है- ‘घोषित प्रत्याशी ही चुनाव लड़ेगा’। परन्तु कोई यकीन करने को तैयार नहीं है। सही ही कहा है- ‘बद अच्छा बदनाम बुरा’। दो पूर्व सांसद पूर्व सांसदों के बेटे, कई बार दल बदलने वाले, नई पार्टी बनाने वाले, उसे […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा- राजनैतिक पार्टियों का सच- कितना सही कितना गलत

प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया की उत्ताल तरंगों पर सवार केजरीवाल की नवीन पार्टी ने राजनीति में प्रवेश के साथ कई सवाल खड़े कर दिए हैं। वैसे भी अल्प मतदान और वोटों के बटवारे ने राजनैतिक पार्टियों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गरिमा मर्यादा और उपादेयता पर लंबी बहस की स्थितियां पैदा कर दी हैं। स्वतंत्रता के […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा: अन्ना हजारे बनाम मुलायम के अन्ना

खबरी लाल आज बहुत आछे मूड में लग रहे थे| दीपावली के पांच दिनी त्‍योहार की थकान उतरने के लिए छत पर गुनगुनी धुप का आनंद ले रहे थे| इतने में ही भारत निर्वाचन आयोग के मतदाता पंजीकरण शिविर से पंजीयन की औपचारिकताएँ पूरी करके लौट रहे कुछ नवयुवक आकर दरवाजे पर दस्तक देने लगे| […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा- भाजपा और कल्याण का दीपावली जुंआ!

दीपावली का कर्म समझो – मर्म समझो! मिट्टी का छोटा सा दिया, दिए में तेल, तेल में भीगी हुई पतली सी बाती बाती के सिरे पर टिमटिमाती लौ। इस लौ को इसकी मन्दिम रोशनी को देखिए देखते रहिए! हवा की हल्की तरंगों में कंप कंपाती कभी तेज होती और कब अब बुझी तब बुझी जैसी! […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा – दो अक्टूबर से एक नवम्बर – हीरो हो गया जीरो!

दृश्य नंबर एक लोहाई रोड पर भारतीय महाविद्यालय। दो अक्टूबर गांधी जयंती,भजन संध्या। अच्छी अच्छी लंबी लंबी बातें। मंत्री पति सपत्नीक विनम्रता शालीनता की साकार प्रतिमा बने लोगों के स्वागत में बिछे जा रहे थे। चमचे, दरबारी, प्रबंधक प्रबंध में कम गांधीवादी भजन प्रेमी शांतिदूत, सत्य के साधक, अंहिसा के पुजारी, मंत्री पति पत्नी की […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा : – राजनीति के अखाड़े में केजरीवाल की गुगली

खबरीलाल की प्रसन्नता का आज कोई ओर छोर नहीं था। रास्ते में जो भी मिलता। स्वयं ही रामजुहार करते। धीरे से पूंछ देते। कहो भाई कैसी रही। जब कोई पलट कर पूंछता क्या रही। खुशी से दोहरे हो कर खबरीलाल कहते। अरे वही अपने केजरीवाल भैया की बेमिसाल गुगली। सुनने वाला अपने अंदाज में हंसकर […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा – पहला पत्थर वही मारे जो गुनाहगार न हो!

पहला पत्थर वही मारे जो गुनाहगार न हो! जिले भर में पूरे सप्ताह से पुतले फूंकने, अर्थियां जलाने की धूम रही। कोई किसी से दबने को तैयार नहीं है। कंपिल, कायमगंज, नबावगंज, शमसाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहगढ़, कमालगंज में सिलसिला जारी है। अपने को सही और दूसरे को झूठा बेईमान भ्रष्ट सिद्ध करने की होड़ मची हुई। […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा- लोकतंत्र की बलिहारी – सलमान की महिमा न्यारी

लोकतंत्र की बलिहारी – सलमान की महिमा न्यारी त्रिपौलिया चौक की ऐतिहासिक पटिया पर गांधी जी के तीन बंदरों की तर्ज पर मियां झान झरोखे, खबरीलाल और मुंशी हर दिल अजीज बैठे हुए थे। नेहरू रोड पर रामलीला की बारात की तैयारियों के बीच आज अपने अपने आराध्यों के समर्थन और विरोध का केन्द्र बना […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा – बोला सबसे बड़ा दलाल- मुझे छोड़कर सभी दलाल

बोला सबसे बड़ा दलाल- मुझे छोड़कर सभी दलाल मुंशी हर दिल अजीज आज बहुत प्रसन्न थे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा काम बिना किसी विघ्न बाधा के निबट गया हो। पेट में बातें थम नहीं रहीं थीं। नतीजतन बड़ी बेचैनी से चौक की पटिया पर बैठे पहलू बदल रहे थे। उचक उचक […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा -चाचा भतीजों के सम्मेलन में जातीय उन्माद का संगम

बताओ! कौन सही है और कौन गलत है! मंदिर मार्ग मंडी स्थल के बाप बेटा सम्मेलन के बाद कायमगंज में चाचा भतीजों का सम्मेलन हुआ। बिना कुछ करे धरे मंच पर दहाड़ने का मौका ढूंढने वालों को छोड़ दिया जाए। तब फिर यह सम्मेलन जातीय उन्माद के माध्यम से सब कुछ प्राप्त कर लेने वालों […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा: तुम भी दुम हिलाओ, दूना राशन पाओ!

दिल्ली से आई खबरीलाल की रिपोर्ट सभी दलों और नेताओं की कलई खोल देती है। परन्तु अपने अपने वोट बैंक को सहेजे समेटे दलों और उनके नेताओं और सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। बंगाल की शेरनी ने दिखा दिया कि उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है।  इसके विपरीत कांग्रेस भाजपा सहित […]

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फर्रुखाबाद परिक्रमा – बाप-बेटा सम्मेलन और सूना घर ठलुओं का मौज

मुंशी हर दिल अजीज और मियां झान झरोखे सब्जी मण्डी, गुड़गांव देवी मंदिर मार्ग के बाप बेटा सम्मेलन में शामिल होकर धीरे धीरे चले आ रहे थे। उनके हाथ में सम्मेलन के स्वागत भाषण की प्रति थी। मुंशी हर दिल अजीज अपनी आदत के मुताबिक कपड़े फाड़ रहे थे। मियां झान झरोखे मंद मंद मुस्करा […]

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