फर्रुखाबाद: शहर क्षेत्र के लोहाई रोड स्थित राधाकृष्ण शक्ति मंदिर में सोमवार से प्रारंभ हुए सत्संग कार्यक्रम के प्रथम दिन श्रोताओं को संबोधित करते हुए डा0 सुरेन्द्र ने कहा कि कथा श्रवण से श्रोता का मन तत्काल संसार से हटकर भगवान में लग जाता है। उसे भगवत तत्व का ज्ञान होता है। ज्ञान होने पर भगवान का ध्यान होता है और तत्क्षण भगवान आकर उसके ह्रदय में बैठ जाते हैं।
श्रोताओं को भगवान कृष्ण के लीलाओं का आनंदमय वर्णन करने के साथ उन्होंने कहा कि इंसान के कर्मों पर ही उसका भविष्य टिका होता है। जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है। इस दौरान उन्होंने पंचाध्यायी के पांच अध्यायों में सच्चिदानंदधन पूर्ण ब्रह्म परमात्मा, श्रीकृष्ण और नित्य निकुंजेश्वरी महाभाव स्वरूपा राधारानी की अंतरंग प्रेममयी, रसमयी, आनंदमयी लीला का वर्णन किया। जिसमें उन्होंने कहा कि वास्तविक तत्व को तो कोई भगत्कृपा प्राप्त भगवत भक्त ही जान सकता है। पंचाध्यायी की कथा का वर्णन श्रवण और अनुचिंतन करने से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप, ताप और संताप नष्ट हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में तत्क्षण परिवर्तन लाने के लिए कथा श्रवण से बढ़कर कोई अन्य साधन नहीं है। स्नान से तन की शुद्धि होती है और दान से धन व ध्यान से मन शुद्ध होता है। समस्त सांसारिक और आध्यात्मिक कार्यों की मन की शुद्धता और पवित्रता का बड़ा महत्व है। इसलिए हमारे सभी धर्म ग्रन्थ मन की शुद्धता हेतु अनेक उपायों का वर्णन करते है। भगवान की कथा का श्रवण करते हुए श्रोता भावविभोर दिखे। श्रोताओं की संख्या ज्यादा होने से सड़क तक श्रोता आचार्य को सुनने के लिए बैठे रहे।