फर्रुखाबाद : शहर में ट्रैफिक पुलिस की कारगुजारी के चलते नागरिकों को घंटों जाम से जूझना पड़ रहा है। टैक्सी चालकों व अन्य बड़े वाहनों से यह ट्रैफिक पुलिसकर्मी मात्र 10 रुपये लेकर शहर के भीड़भाड़ इलाके में प्रवेश करा रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस की इस कारगुजारी से पुलिस अधीक्षक नीलाब्जा चौधरी या तो वाकिफ नहीं हैं या फिर वह भी आंखें फेरे बैठे हैं। पुलिस अधीक्षक के आदेश की धज्जियां उडाते हुए प्रति दिन ट्रैफिक पुलिस के 10 रुपये की खातिर धड़ल्ले से लालगेट से टैक्सियों को प्रवेश करने की खुली छूट दे रहे हैं। जिससे चौक सहित मुख्य बाजार में हर 15 मिनट में जाम की स्थिति बन जाती है। इतना ही नहीं शहर में लगभग हर उस जगह जहां पुलिस तैनात है वहां पर टेंपो चालकों की खुले आम गंडई चल रही है। चाहे वह भोलेपुर क्रासिंग हो, ओवर ब्रिज के नीच का संकरा स्थान हो, आवास विकास तिराह हो या फिर रोडवेज बस-स्टैंड।
ट्रैफिक पुलिस का यह कारनामे किसी से छिपे नहीं है, यदि आपको इसकी हकीकत से रूबरू होना है तो स्वयं भी देख सकते हैं। यह पुलिसकर्मी लालगेट, रेलवे स्टेशन फर्रुखाबाद, भोलेपुर क्रासिंग के पास व फतेहगढ़ टैक्सी स्टेंड के पास प्रति टैक्सी 10 रुपये लेते हैं। फिर इन टैक्सी चालकों को सवारीं ज्यादा भरने, रोड पर कहीं भी खड़ी कर देनेआदि की खुली छूट दे दी जाती है। इस पूरी व्यवस्था में इन पुलिस कर्मियों के अतिरिक्त टेंपो यूनियन के नाम वसूली करने वाले दलाल भी शामिल हैं। लेकिन आम आदमी की जाम में फंसक घंटों महंगा पेट्रोल फूंकने व प्रदूषण फैलाने के लिये मजबूर है। पिछले दिनों पुलिस अधीक्षक नीलाब्जा चौधरी ने ही जाम की समस्या को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस को यह आदेश दिये थे कि कोई भी भारी वाहन व सवारी वाहन शहर के अंदर प्रवेश नहीं करना चाहिए। लेकिन लालगेट चौराहे पर पिकेट ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी व ट्रैफिक सिपाही मात्र 10 एवं 20 रुपये लेकर टैक्सी चालकों को शहर में प्रवेश की खुली छूट दे रहे हैं। जिससे लगने वाले जाम से नागरिकों को जूझना पड़ रहा है। तकरीबन दो माह पूर्व यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने व जाम की स्थिति से निजात दिलाने के लिए किये गये पुलिस अधीक्षक के आदेशों की पुलिसकर्मियों द्वारा धज्जियां उड़ायीं जा रहीं हैं। धड़ल्ले से टैक्सियों का शहर के अंदर प्रवेश शुरू है। जिससे जाम लगना लाजमी है। चौक पर जाम की स्थिति हर 15 मिनट पर इतनी बड़ी हो जाती है कि यात्रियों को घंटों लाइनों में लगना पड़ता है।
टैंपो चालकों की गंडई व पुलिस कर्मियों की उपस्थिति के बीच एक अजीब सा समीकरण हर स्थान पर देखने को मिलता है। वह चाहे भोलेपुर क्रसिंग हो, ओवर ब्रिज के नीचे का स्थान हो, आवास विकास तिराहा हो या रोडवेज बस स्टेशन हों। जहां-जहां पुलिस पिकेट या ट्रेफिक सिपाही तैनात हैं, वहां पर इन टेंपों चालकों की गुंडई देखते ही बनती है। शायद उनको मालूम होता है कि पुलिस केवल उनकी सुरक्षा के लिये लगायी गयी है। यदि जनता का कोई आदमी किसी टेंपो चालक बीच में टेंपो खड़ा करने पर आपत्ति कराता हे तो न जाने कहां से अचानक पुलिस कर्मी या ट्रैफिक सिपाही प्रकट हो जाता है, व उल्टे जनता पर ही बिगड़ पड़ता है। यदि यह पुलिस कर्मी या ट्रैफिक सिपाही कम से कम इतना ही कर दें कि टेंपों को अस्थाई डिवाइडरों से आगे पीछे ही रोक दें तो भी समस्या काफी कम हो सकती है।
ट्रैफिक इंचार्ज सुबोध उपाध्याय ने बताया कि पुलिस अधीक्षक ने जो आदेश दिये थे उन्हें पूरी तरह से पूरा कराया जा रहा है। बाजार में सिर्फ स्कूलों वाली ही टैक्सियां प्रवेश करती हैं। सवारी ढोने वाली टैक्सियों का तत्काल चालान काटा जा रहा है। शहर में वाहन प्रवेश न करे यह ड्यूटी पिकेट पर लगे सिपाहियों की है। अगर भीड़ भाड़ वाले इलाके में वाहन प्रवेश करता है तो इसकी जिम्मेदारी पिकेट ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों की है।