Friday, December 27, 2024
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माया सरकार के घोटालों और हत्याओं पर अब नही बोलते मुख्यमंत्री

लखनऊ- सरकारें आती है सरकारें जाती है, एक सरकार दूसरी को कोसती है और फिर धीरे-धीरे पिछली सरकारों में हुए कारनामें भुलाए जाते है | उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य जहां की जनसँख्या सबसे ज्यादा , विधानसभा सीटे अन्य राज्यों से कई गुनी है, 80 लोकसभा सीटों वाला यह राज्य, दिल्ली की सत्ता के समीकरण बनाने में हमेशा से निर्णायक रहा है| इसीलिए देश की सभी राजनीतिक पार्टियां इस प्रदेश की सत्ता को अपने हाथ में लेने का सपना देखती हैं | अगर उत्तर प्रदेश राजनीतिक भूगोल देश के अन्य प्रदेशो से बड़ा है तो जाहिर तौर पर इस राज्य में भ्रष्टाचार भी अन्य राज्यों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा होगा| पार्टिया यहाँ सत्ता पातीं है , घोटाले करती है और जनता उनसे सत्ता छिनती है| दूसरी पार्टी आती है और वो भी नए तरीके से पिछली सरकार के कारनामों को दोहराकर दिखाती है |
उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार जिसमें शासन बसपा का था और सीएम मायावती थी, ने वर्ष 2007 में 15 सालो के बाद प्रदेश की सत्ता को पूर्ण बहुमत के साथ कब्ज़ा किया था | विपक्ष नाम की कोई चीज नही थी पार्टी सदन में करीब 236 विधायको के साथ बैठकर एक क्षत्र राज चला रही थी| करीब चार सालो के कार्यकाल के बाद बसपा शासन के मंत्रियो की जो कारगुजारी सामने आई, उसमें सरकार द्वारा लूटे जा चुके प्रदेश के घोटालेबाजों और राजस्व की सार्वजानिक लूट में शामिल रहे बसपा नेताओं के असली चेहरे दिखाई दिए |
इन पांच सालों में ‘सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय’ के पोस्टरों से ढके उत्तर प्रदेश का कोई ऐसा विभाग नही बचा जिसमे घोटाले ना किये हुए हों, निर्माण , सिंचाई , पुलिस, स्मारक निर्माण, आबकारी, ऊर्जा, मनेरेगा, एनआरएचएम, गन्ना मिल बेचने का मामला, ट्रांसफर पोस्टिंग, अधिकारियों की हत्या , डाक्टरों की हत्या , अधिकारियो को प्रताड़ित करने का मामला , विधायको मंत्रियो के ऊपर बलात्कार केस , बलात्कार पीडितो की हत्या , जैसे दर्जनों घोटाले और आपराधिक मामले दर्ज हुए, सरकार बसपा की थी इसलिए कहीं कोई कार्रवाई नही या सुनवाई नही हुई | सब कुछ मंत्री स्तर पर ही मैनेज होता रहा और नेता जनता की चीत्कार सुनने सुनने के बजाय नोटों की गद्दियाँ गिनने में व्यस्त रहे|
पांच साल तक बसपा को बहुमत देने का दंश झेल रही जनता मौके के इंतज़ार कर रही थी, और पार्टिया अगले विधानसभा चुनाव का | साल 2012 के विधानसभा के चुनाव हुए, बसपा को पूरे पाँच साल तक कोसने वाली पार्टियों ने अपना पूरा जोर लगाकर बसपा के खिलाफ प्रचार किया, सफलता असफलता को ध्यान में रखते हुए सभी पार्टियों ने माया सरकार के मंत्रियो के खिलाफ बाकायदा सबूतों के साथ प्रचार किया, मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी प्रदेश में हुए घोटालो , हत्याओ , और पैसे की बन्दरबाँट को मुख्य मुद्दा बना कर चुनाव लड़ा, जनता ने सपा पर विश्वास किया और दिल खोलकर 2007 विधानसभा चुनावों में बसपा को मिली सीटो से ज्यादा सीटो पर सपा प्रत्याशियों को चुनकर उसके लिए सत्ता तक पहुँचाने का रास्ता बना दिया|
जनता ने जिन उम्मीदों से सपा को सत्ता सौंपी थी, वो उम्मीद समाजवादी पार्टी के नेताओं के बयानों में पूरी होती दिखाई पड़ रही थी| जनता ने भी सोचा नई सरकार है युवा मुख्यमंत्री है कुछ समय देते है | जनता ने अखिलेश सरकार को समय दिया भी पर अखिलेश यादव की सरकार ने बसपा के समय हुए घोटालो को उन्ही फाइलों में दफ़न करना शुरू किया जो चुनावों के समय उनका हथियार बनी थी , आज सरकार चल रही है , बसपा नेता मौज कर रहे है , घोटालो में एमफिल , डीलिट की उपाधि पाए लोग विधानसभा में बैठे है |
सपा सरकार अपने वादे से मुकर चुकी है, उन्हें माया सरकार के घोटाले अब दिखाई नही देते , खुद युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधानसभा में घोटालो के सरताज नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके सहयोगी पोंटी चड्डा के खिलाफ कुछ बोलते नही |
इस श्रृंखला की पहली खबर बसपा सरकार के दौरान हुई , राजनीतिक हत्याओं के ऊपर प्रकाशित की जा रही है…..
बसपा सरकार के दौरान विधायको और मंत्रियो के हाथ भी खून से रंगे , औरैया का चर्चित इंजीनियर मनोज गुप्ता हत्याकाण्ड हो, या शशि, कविता चौधरी हत्याकांड, इन सभी मामलों में एक बात सामान थी सभी बसपा से जुड़े नेता थे | राजनेताओं ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर मामले को दबाने की कोशिशें भी की,पुलिस और प्रशासन भी उनके साथ ताल ठोंक कर खड़ा हुआ, पर मामले के अधिक तूल पकड़ने ग्रामीणों के उग्र होने या फिर बात बहुत ऊपर तक पहुंचने के बाद पुलिस को मजबूरन कार्रवाई करनी ही पड़ी| जिसके चलते कुछ माननीय जेल पहुंचे तो कुछ बचने में कामयाब भी रहे इस बीच अदालतों ने अपने निर्णय सुनाकर कई माननीयों के चेहरे बेनकाब किये ।
शशि हत्याकांड …….
हाल ही में आनंद सेन पर लगे इल्जामों को अदालत ने सही मानते हुए दोषी करार दिया, माननीय को मिली सजा औरों के लिए सबक है, लेकिन इसका कितना असर होगा, इसे लेकर सवाल हो रहे हैं, बताते चलें कि बहुचर्चित शशि हत्याकांड में अदालत से आए फैसले में उम्रकैद की सजा पाए आनंदसेन यादव के पिता पूर्व सांसद मित्रसेन यादव को भी पहले उम्रकैद की सजा हो चुकी है। यह अलग बात है कि उनकी पत्नी की फरियाद पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने उन्हें क्षमादान देकर सजामाफी दे दी थी| यही सजामाफी उनके राजनीतिक कॅरिअर को इतनी दूर तक खींच भी लाई। पिता तो किसी तरह बच गये, लेकिन बेटे आनंद को शशि हत्याकांड में दोहरी उम्रकैद की सजा हुई है अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या उम्र कैद की सजा पाने वाले आनन्दसेन का कैरियर आगे अब बढ़ पायेगा ? हाल ही में बीएसपी विधायक शेखर तिवारी के अलावा विनय तिवारी, रामबाबू, योगेन्द्र दोहरे, मनोज अवस्थी, देवेन्द्र राजपूत, संतोष तिवारी, गजराज सिंह, पाल सिंह और डिबियापुर थाने के पूर्व प्रभारी होशियार सिंह को भी अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है, विशेष न्यायाधीश वीरेन्द्र कुमार की अदालत ने सभी अभियुक्तों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
इंजिनियर मनोज गुप्ता हत्याकांड ….
23 दिसंबर 2008 को ओरैया के इंजिनियर मनोज गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में बीएसपी विधायक शेखर तिवारी पर आरोप था कि उन्होंने बुरी तरह पीटने के बाद मनोज गुप्ता को करंट लगाकर मार डाला। हत्या के पीछे जो वजह बताई गई थी वह थी कि अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले मनोज गुप्ता तिवारी के गुर्गों को खुश नहीं कर रहे थे। इस हत्या मामले में बीएसपी विधायक शेखर तिवारी और उनकी पत्नी समेत 11 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, शेखर तिवारी और उसके साथियों पर आरोप था कि उन्होंने इंजिनियर मनोज गुप्ता को लाठी डंडों और करंट लगाकर बेहरहमी से मार डाला था। मामला मीडिया में आने के बाद यूपी सरकार की जमकर किरकिरी हुई और विपक्ष ने धन उगाही के इस मामले को मायावती के बर्थडे से जोड़ दिया था। चौतरफा घिरी सरकार ने आनन-फानन में विधायक शेखर तिवारी और उसके गुर्गों को गिरफ्तार करवा लिया, मामला औरेया अदालत में गया, सुनवाई पहले औरैया कोर्ट में शुरू हुई बाद में उसे लखनऊ की स्पेशल कोर्ट भेज दिया गया |
शीलू बलात्कार मामला……
बांदा के नरैनी से विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी को जेल की हवा खानी पड़ गई। शीलू निषाद नाम की युवती के साथ सामूहिक दुराचार के आरोपी विधायक को बचाने के लिए पुलिस ने हर पैंतरा आजमाया। यहां तक कि विधायक के इशारे पर पीड़ित युवती को ही चोर बनाकर उसके खिलाफ मुकदमा दर्जकर उसे जेल भी भेज दिया गया। मामले के तूल पकड़ने पर जब मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई तब पुलिस ने आरोपी विधायक को गिरफ्तार किया।
कविता चौधरी हत्याकांड…….
राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त मत्स्य विकास निगम के अध्यक्ष राममोहन गर्ग पर जब एक महिला ने उसका अश्लील वीडियो तैयार कर उसे ब्लैकमेल करने व उसका शोषण करने का आरोप लगाया, इस मामले में भी पुलिस ने राज्यमंत्री को बचाने की भरसक कोशिश की थी। जनवरी 2009 के इस मामले ने तूल पकड़ा तब पुलिस को मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करनी पड़ी थी। दिसंबर 2006 में मेरठ विश्वविद्यालय की प्रवक्ता कविता चौधरी का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। शशि की तरह ही कविता की लाश भी आज तक बरामद नहीं हो सकी। मामले में एक-दो नहीं बल्कि तीन मंत्रियों के दामन पर छींटे पड़े थे इस मामले में मंत्री मेराजुद्दीन के साथ ही मंत्री चौधरी बाबूलाल और किरनपाल भी शामिल थे। मामले में बाबूलाल व मेराजुद्दीन को इस्तीफा देना पड़ा था। आरोप प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य न मिलने पर माननीय बच गए। यह बात अलग है कि इस मामले में मुख्य अभियुक्त बनाये गए रवींद्र प्रधान की डासना जेल में 2009 में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
महाराजगंज पुलिस हत्याकांड …..
प्रदेश के तात्कालिक मत्स्य राज्य मंत्री जमुना निषाद की सरपरस्ती में हुए इस हत्याकांड में , मंत्री जमुना निषाद को आरोपी बनाया गया था, 8 जून 2008 को महाराजगंज कोतवाली में हुए इस गोलीकांड में एक सिपाही की मौत हो गई थी | सिपाही की मौत के बाद जमुना निषाद को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था | कहा जाता है की निषाद जाती की एक लड़की के बलात्कार मामले में जमुना निषाद खुद पैरवी करने कोतवाली गए थे |
नसीमुद्दीन के रिश्तेदार पर लगे हत्या के आरोप की सीबीआइ जाँच….
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के चर्चित युवा व्यवसायी नीरज गुप्ता की 2010 में हुई हत्या के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौपी गई थी । हत्या के आरोपी राज्य सरकार के कद्दावर और तात्कालिक मुख्यमंत्री मायावती के बेहद करीबी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के करीबी रिश्तेदार हैं।
मामला 14 अगस्त 2010 को हमीरपुर के सुमेरपुर का है जब नीरज गुप्ता की कस्बे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नीरज के पिता ने लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के चचेरे भाई वसीम व उसके साथियों पर हत्या का आरोप लगाया था।
सीऍमओ हत्या कांड के कुछ अनसुलझे पहलू…
डा. वी पी सिंह हत्या कांड का खुलासा भले ही एसटीऍफ़ द्वारा कर दिया गया है, लेकिन फिर भी कई ऐसी बाते है जिसका एसटीऍफ़ या पुलिस अधिकारियो के पास कोई जवाब नहीं है | इस हत्याकांड के खुलासे के दौरान तात्कालिक कैबिनेट सचिव शशांक शेखर ने कहा था की, जिन शूटरो को पकड़ा गया है उन्होंने डा विनोद आर्य की हत्या में संलिप्तता भी स्वीकार किया है |
लेकिन जब उनसे पूछा गया की पकड़े गए शूटरो का डा विनोद आर्य की हत्या से क्या सम्बन्ध है तो तात्कालिक डीजीपी कर्मवीर सिंह और उस समय की सरकार के खास विशेष डीजी बृजलाल ने इसका कोई ठोस जवाब नहीं दिया था |
डा वी पी सिंह की हत्या डा वाई एस सचान ने करायी थी, लेकिन फिर भी एसटीऍफ़ की कहानी में कई उलझाने वाले बिंदु थे , डा वाई एस सचान ने डा वी पी सिंह की हत्या क्यों करायी ?
अगर गौर करे तो हम ये देख सकते है की जिस तरह से डा वी पी सिंह और डा विनोद आर्य की हत्याओ का खुलासा किया गया था, उसी समय से ये चर्चां आम थी की कही ये सब कुछ बड़े नेताओं और सफेदपोश को बचाने के लिए खेल तो नही खेला जा रहा है |
डा.सचान हत्या की सीबीआई जाँच के लिए सुप्रीमकोर्ट में लगाई गुहार…..
लखनऊ| सीएमओ हत्याकांड के मुख्य आरोपी डॉ. वाईएस सचान की लखनऊ जिला कारागार में हुई हत्या की जाँच कर रही पुलिस टीम की प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए डा. सचान के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले की सीबीआई जाँच कराये जाने की मांग की है| डा.सचान के परिजनों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका में मौजूदा जाँच दल पर एक तरफ़ा कार्रवाई करने का आरोप लगते हुए सीबीआई जाँच की मांग की है|
गौरतलब है की दोहरे सीएमओ हत्याकांड के मुख्य आरोपी डिप्टी सीएमओ डॉ. वाईएस सचान की 22 जून को संदिग्ध हालातों में मौत हो गयी थी| डा. सचान के परिजनों का मानना है कि जेल में सचान की साजिशन हत्या की गई थी| सभी विपक्षी दल भी यूपी सरकार को इस मामले में दोषी ठहरा चुके है|
मुख्यमंत्री दफ्तर से जुड़े है डा.सचान की हत्या के तार…….
डॉ. सचान की हत्या के बाद उस समय विपक्ष में रही समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और इस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा था की डॉ. सचान की हत्या के तार मुख्यमंत्री दफ्तर से जुड़े है | डॉ. सचान की हत्या के समय समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को महीनो गर्म रखा था |
ट्रक चालक की हत्या की आरोपी, परिवहन मंत्री की चहेती एआरटीओ सुनीता वर्मा का ट्रांसफर
लखनऊ| उत्तर प्रदेश में पूर्व मायावती सरकार की नाक के नीचे हो रहे भ्रष्टाचार और रिश्वत जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियों पर कोई विराम नही लगा पाया था| राम अचल राजभर की सबसे ख़ास एआरटीओ सुनीता वर्मा को आगरा में एक ट्रक चालक की रिश्वत के नाम पर हत्या करवा देने का आरोप लगा था, माया राज में अधिकारी हत्याओं में लिप्त थे , मंत्री उनकी सरपरस्ती लिए हुए थे |
जब हमने परिवहन आयुक्त राजन शुक्ला से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि आगरा के जिलाधिकारी की जांच में दोषी पाए जाने पर एआरटीओ सुनीता वर्मा को उनके पद से हटा दिया गया है| सुनीता वर्मा ने जो भी किया वह पूरी तरह से आमानवीय कृत्य था| उन्होंने बताया कि इस मामले की मैजिस्ट्रेट जांच भी चल रही है|
एनआरएचएम: क्लर्क महेंद्र शर्मा की हत्या का नहीं मिला कोई सुराग
लखीमपुर| उत्तर प्रदेश के राजनैतिक गलियारे में उथल-पुथल मचा देने वाले राष्ट्रिय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एनआरएचएम के तहत हुए करोड़ों रूपये के घोटाले की गुत्थी सुलझने के बजाय और उलझती चली गई |
प्रदेश की तात्कालिक माया सरकार ने सूबे के लखीमपुर खीरी जिले में हाल में हुयी स्वास्थ्य विभाग के लिपिक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी थी ।
इन सभी मामलों में पीडितो को न्याय तभी मिला जब सरकार ने खुद तेज़ी दिखाई या उस काण्ड की जांच सीबीआई को सौंप दी गई , तभी उस काण्ड का खुलासा हुआ , वैसे देखा जाए तो सीएमओ हत्याकांड में , सीबीआई की सुस्त चाल कुछ और ही कहानी कह रही है | सीएमओ हत्याकांड से जुड़े सारे पहलू सीबीआई के सामने आ चुके है , पर सीबीआई किसके दबाव में इन जांचो को सुस्त कर रही है , ये अब खुद जांच का विषय बनता जा रहा |
भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहीम में पर्दाफाश ने अपनी सभी खबरों में उन तथ्यों को उजागर किया जो बसपा सरकार के समय हुए थे, प्रदेश की सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी की सरकार के उन मंत्रियो के कानो तक उस पीड़ित जनता की आवाज नही पहुंच रही , जिनके दिए गए कर (टैक्स) के पैसे को बसपा सरकार में योज़नाओ के नाम पर लूटा गया, साथ ही केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम ) में गरीब गाँव की जनता के इलाज़ के पैसे की बंदरबांट की गई | आज से जे-एन-आई भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहीम के तहत अपने पाठको के लिए रोज़ एक घोटाले की खबर अपने सुधि पाठको के लिए लेकर आ रहा है |
आगे हम विभिन्न विभागों में हुए घोटालो को सिलसिलेवार प्रकाशित करेंगे …

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