लोकायुक्त द्वारा अपने लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सीबीआई से जांच कराने के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री मायावती ने कार्रवाई करने से इंकार कर दिया है। सरकार की ओर से सोमवार को कहा गया है कि लोकायुक्त की सिफारिश पर सिद्दीकी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई संभव ही नहीं है। लगाए गए आरोपों में मंत्री के रूप में उनके किसी कृत्य अथवा अनुमोदन के विषय में आपत्ति नहीं उठाई गई है, इसलिए यह विषय लोकायुक्त को प्रदत्त प्राधिकार क्षेत्र में नहीं है।
मालूम हो कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकायुक्त ने 22 फरवरी को नसीमुद्दीन के खिलाफ सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। सोमवार को शासन ने लोकायुक्त से इस प्रकरण के पटाक्षेप का अनुरोध किया है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस संबंध में लोकायुक्त को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त अधिनियम के अंतर्गत लोकायुक्त के प्रतिवेदन में वर्णित संस्तुतियों के आधार पर सिद्दीकी के खिलाफ कार्रवाई किया जाना विधिक रूप से संभव नहीं है, क्योंकि सिद्दीकी के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वे मंत्री के रूप में उनके द्वारा किए गए कसी कार्य अथवा निर्णय या प्रदान किए गए किसी अनुमोदन के विषय में नहीं हैं। जबकि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त अधिनियम 1975 की धारा सात के अंतर्गत लोकायुक्त स्तर से किसी लोकसेवक के विरुद्ध लगाए गए उन्हीं आरोपों के विषय में जांच अथवा संस्तुति प्रदान की जा सकती है, जिनमें लोकसेवक द्वारा किया गया कोई कृत्य अथवा उनके द्वारा प्रदत्त अनुमोदन के आधार पर की गई किसी कार्यवाही का बिंदु शामिल हो।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी व उनकी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी पर पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने, क्यूएफ एजूकेशनल ट्रस्ट के नाम पर बाराबंकी में कृषि भूमि दर्शाते हुए अकूत संपत्ति खरीदने, ट्रस्ट के नाम करोड़ों का दान लेने, संपत्ति को छिपाते हुए झूठा शपथ पत्र देने, परिवारीजन व रिश्तेदारों को पहाड़ व बालू के पट्टे करवाने, नजूल भूमि का अनियमित तरीके से फ्रीहोल्ड कराने, बुंदेलखंड पैकेज से रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाए गए थे।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी प्रकरण पर कांग्रेस ने बसपा पर हमला तेज कर दिया है। सोमवार को राज्यपाल बीएल जोशी को ज्ञापन सौंप कांग्रेस ने सिद्दीकी को तत्काल बर्खास्त करने और लोकायुक्त की सिफारिशों पर कार्रवाई की मांग की। वहीं राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री से सिद्दीकी बचाने की वजह सार्वजनिक करने को कहा। कांग्रेसियों का आरोप था कि 22 फरवरी को लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री के सर्वाधिक चहेते नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और मनी लांड्रिंग के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही करार देने के बावजूद सरकार उन्हें बचा रही है। लोकायुक्त की सिफारिश पर कार्रवाई न करना सिद्दीकी के भ्रष्टाचार में मुख्यमंत्री मायावती की साठगांठ भी साबित करता है। भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने के बाद सिद्दीकी का मंत्री पद पर रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस इसे बर्दास्त नहीं करेगी। राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में सिद्दीकी को बर्खास्त करने के साथ मुख्यमंत्री और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ साठगांठ कर बड़े पैमाने पर किए भ्रष्टाचार की सीबीआइ जांच कराने और सिद्दीकी परिवार व संस्थाओं को जांच के दायरे में लेने की मांग की।