उत्तर प्रदेश में सरकारी होर्डिंग्स पर लगे मुख्यमंत्री मायावती के चित्रों को चुनाव आयोग आचार संहिता का उल्लंघन मानता है पर लखनऊ और नोएडा में बनी उनकी प्रतिमाओं को इसके दायरे में नहीं मानता। विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राज्य में आचार संहिता लग गई।
सार्वजनिक स्थलों पर लगी होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टर हटाए जाने लगे। इनमें वे होर्डिंग्स भी शामिल थीं जो सूचना विभाग ने सरकार की उपलब्धियां दर्शाने के लिए लगाई थी और इनमें मायावती के चित्र भी थे इस संबंध में राज्य निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा से पूछने पर उन्होंने कहा कि चित्र तो आचार संहिता में आते हैं लेकिन प्रतिमाएं नहीं। इस संबंध में उनका कहना है कि प्रतिमाएं सरकारी बजट में प्रावधान करके स्थापित की गई हैं और इनका चुनाव प्रचार के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है जबकि होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टर पर बने चित्र चुनाव प्रचार के लिए बनवाए या छपवाए जाते हैं। गौरतलब है कि सूचना विभाग की होर्डिंग्स भी सरकारी बजट पारित होने के बाद ही बनाई जाती है
इस मामले में विपक्षी दल चुनाव आयोग की राय से सहमत नहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य हृदय नारायण दीक्षित कहते हैं कि आयोग मुख्यमंत्री के चित्रों वाले होर्डिंग्स को हटवा रहा है क्योंकि इसे वह प्रचार सामग्री मानता है और आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में लाता है।
दीक्षित ने कहा कि मुख्यमंत्री की मूर्तियां अपने आप में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का प्रचार है। इस तरह तो प्रत्याशी अपनी-अपनी मूर्तियां लगवा लेंगे। कटऑउट और होर्डिंग्स तो आयोग हटवा देता है प्रतिमाओं को कैसे हटाया जाएगा।
बीजेपी नेता ने कहा कि चुनाव लडने वालों के पास आमतौर पर इतना पैसा होता है कि वे पत्थर या संगमरमर की मूर्तियां बनवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक जटिल प्रश्न है और आयोग को इस पर ध्यान देना ही होगा।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का यह मतलब नहीं है कि जनता के धन का दुरुपयोग किया जाए। संविधान के मुताबिक जनता का धन जनता पर ही खर्च किया जाना चाहिए लेकिन मुख्यमंत्री ने जनता के पैसे से अपनी बेशकीमती मूर्तियां बनवाई। इसे नैतिक रूप से किसी भी दशा में उचित नहीं कहा जा सकता।
विधानसभा में नेता विपक्ष और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि चुनाव आयोग को मुख्यमंत्री की प्रतिमाओं के साथ ही बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी को भी संज्ञान में लेना चाहिए। यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री की प्रतिमाएं और पार्कों में पत्थरों से बने हाथी सरकारी धन से बनाए गए हैं। दोनों से ही बीएसपी का प्रचार हो रहा है इसलिए चुनाव आयोग को दोनों को ही आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में लाना चाहिए।
राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव मुन्ना सिंह चौहान का कहना है कि जब मुख्यमंत्री के चित्र वाले होर्डिंग्स हट सकते हैं तो उनकी प्रतिमा क्यों नहीं। होर्डिंग्स के चित्र यदि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है तो बीएसपी अध्यक्ष की मूर्तियां क्यों नहीं। दूसरी ओर बीएसपी के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि बहन जी की प्रतिमा एवं पार्कों में लगे हाथी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। इस पर न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगा रखी है। विपक्ष को अपनी उर्जा अनावश्यक खर्च करने के बजाय चुनाव पर ध्यान देना चाहिए।