फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) जनपद का इतिहास अपनी नीव में काफी पुराना इतिहास संजोये हुए है| जिले में जहाँ महाभारत के दौरान पांचाली के प्रमाण कम्पिल में मिलते है तो शहर का पांडेश्वर नाथ मन्दिर गवाही देता है की पांडवों ने इस भव्य मन्दिर की स्थापना की| वहीं गंगा के किनारे-किनारे किनारे करीब डेढ़ सैकड़ा मन्दिर है जो जनपद को सनातन इतिहास से जोड़ते है| सांसद मुकेश राजपूत ने इस तरफ पहल करते हुए जनपद का नाम पांचाल नगर करनें की मांग की है| उन्होने सीएम योगी को पत्र लिखकर जिले का नाम बदलने की शिफारिश की है|
सांसद नें मुख्यमंत्री को भेजे गये पत्र में कहा है कि राजा द्रोपद की राजधानी रही पांचाल प्रदेश में (फर्रुखाबाद) गंगा, रामगंगा और काली नदी के मध्य बसा है| फर्रुखाबाद की स्थापना से पहले ही कम्पिल, संकिसा, श्रंगीरामपुर व शमशाबाद प्रसिद्ध है| यहाँ मौजूद राजा द्रुपद की राजधानी कम्पिल में ही राजकुमारी द्रोपदी का स्वयंवर हुआ था| राजा द्रुपद की छाबनी भी शहर में थी| जगह-जगह शिवालय होनें के कारण जनपद को अपर काशी भी कहा जाता है| नीम करोरी महाराज की तपो स्थली है| 13 वें तीर्थकर भगवान विमल नाथ के चारों तीर्थककर कल्याणक गर्भ, जन्म, दीक्षा और ज्ञान भी यहीं हुए| महात्मा गौतम बुद्ध का स्वर्गावातरण भी यहीं संकिसा में हुआ| संकिसा में श्रीलंका, कम्बोडिया ,थाईलैंड, वर्मा,जापान आदि देशों से श्रद्धालु आते है| इसके साथ ही उन्होंने पत्र में कहा की 1714 में मुगल शासक फर्रुखशियर नें भारतीय पौराणिक संस्कृति को नष्ट किया है| उन्होंने मुख्यमंत्री से फर्रुखाबाद का नाम पांचाल नगर करनें की मांग की है|
9 वर्ष पूर्व घटियघाट से हुआ पांचाल घाट
दरअसल गंगा के घाट को घटियाघाट कहा जाता था| दरअसल 2 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन डीएम एनके एस चौहान ने घटियाघाट का नाम बदल कर पांचाल घाट कर दिया| इसके बाद ही उन्होंने आदेश किया की जो भी सरकारी कर्मी घटियाघाट का प्रयोग करेगा उसके ऊपर 500 रूपये का जुर्मना लगाया जायेगा|