Saturday, January 11, 2025
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सूखी व गंदगी से भरी कुठिला झील के किनारे मना विश्व आद्रभूमि दिवस

फर्रुखाबाद:(अमृतपुर संवाददाता) पारिस्थितिकी तंत्र (ईकोलोजी सिस्टम) का संतुलन किसी भी शहर के वातावरण के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जिले में भी इस संतुलन के आधार वेटलैंड की अनदेखी होती रही है। आलम यह है कि पिछले करीब दो दशक में से अधिक वेटलैंड बेतरतीब लापरवाही की भेंट चढ़ गए हैं। अब हालांकि सरकारी स्तर पर वेटलैंड संरक्षण के प्रयास शुरू हो गए हैं, लेकिन इसकी रफ्तार अभी काफी धीमी है। जिसके चलते मंगलवार को लगभग सुखी पड़ी कुठिला झील के निकट विश्व आद्रभूमि दिवस (वर्ल्‍ड वेटलैंड-डे) मनाया गया| जिसमे नुक्कड़ नाटक के साथ ही रंगोली बनाओ और पेटिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।
थाना क्षेत्र के ग्राम नगला हुसा स्थित कुठिला झील के निकट सामाजिक वानिकी प्रभाग के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया| जिसमे  रंगोली बनाओ और पेटिंग प्रतियोगिता के आयोजन के साथ ही खो-खो प्रतियोगिता, पक्षियों की बोली प्रतियोगिता का आयोजन कर लोगों को तालाबों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने का प्रयास विश्व आद्रभूमि दिवस में हुआ| इसके साथ ही विदेशी पक्षीयों पर भी चर्चा में रहे| रंगोली प्रतियोगिता में मोनिका संध्या व कुमकुम आदि छात्राओं नें प्रथम स्थान पाया|
झील के लिए इंटरलाकिंग रोड़ देनें का वायदा
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे खंड विकास अधिकारी श्रीप्रकाश उपाध्यय नें कुठिला झील तक जाने के लिए 100 मीटर लम्बी सीसी रोड़ देनें की मंजूरी दी| जिससे झील तक जाने में आसानी होगी|
मिट्टी में दफन हुआ 40 लाख का बजट
विगत वर्षों तत्कालीन डीएम मोनिका रानी नें झील के सुन्दरी करण के लिए मंजूर किया था| जिसमे झील की खोदाई, सुंदरीकरण, विदेशी मेहमानों को बैठने के लिए मिट्टी के टीले, पक्षियों को बैठने के लिए झील के किनारे पौधारोपण करने व बच्चों को खेलने के लिए झूला व ग्रामीणों को बैठने के लिए बेंच लगवाने के निर्देश दिए थे। ग्राम पंचायत ने झील की खोदाई करा दी। बजट खर्च होने के बाद भी बेंच व झूला नहीं लगवाए| लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी झील में गंदगी फैली हुई है। जिससे विदेशी मेहमान झील की ओर रुख नहीं कर रहे हैं। पक्षियों के बैठने के लिए बने मिट्टी के टीले में झाड़ियां खड़ी हैं। अव्यवस्थाओं के बीच कुठला झील को विदेशी पक्षियों का इंतजार है। सर्दी शुरू होने के बाद भी विदेशी मेहमानों ने डेरा नहीं जमाया है। आयोजित हुए कार्यक्रम में केबल विदेशी पक्षियों की चर्चा रही लेकिन झील में उनका दीदार नही हो सका|
यह विदेशी पक्षी जमाते थे डेरा
ऐतिहासिक कुठिला झील में ठंड शुरू होनें पर विदेशी पक्षी व्हाइट साइबेरियन, स्पूनविल, स्टेटवर्ड, क्रेन, कुलन बैगटेल, नैटोगिल आदि डेरा जमा लेते थे| लेकिन अब अनदेखी के चलते उनका आना ना के बराबर है|
क्या होता है वेटलैंड
वेटलैंड यानी ऐसी जमीन जहां काफी नमी हो, भूजल का स्तर भी अच्छा हो। ऐसी जमीन आमतौर पर नदियों के किनारे मिलती है या फिर जहां वर्षा जल संरक्षण की व्यवस्था हो।
डीएफओ पीके उपाध्याय, एडीओ अजीत पाठक, एसडीओ वीके सिंह, वन क्षेत्राधिकारी उदय प्रताप सिंह व राजकुमार, वन दारोगा लालाराम, लोकेश, अमित कुमार व इंटर कॉलेज प्रधानाचार्य अनिल कुमार, जीजीआईसी प्रधानाचार्य दीपिका राजपूत आदि रहे|

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