फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) सुहागिनों का खास त्योहार करवा चौथ चार नवंबर को है। बाजारों में इस समय मेहंदी लगवाने के लिए दुकानों पर महिलाओं की भीड़ लग रही है। इस बार अरेबिक मेहंदी को सुहागिनों में सबसे अधिक पसंद की जा रही है। करवा चौथ को लेकर सजने संवरने के लिए ब्यूटी पार्लरों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हालत यह हो गई कि महिलाओं को जहां मेहंदी लगवाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा वहीं हेयर स्टाइल के लिए तो पूरा दिन लग गया।
करवा चौथ के मौके पर यूं तो बाजार के हर हिस्से में खुली ब्यूटी पार्लर की दुकानों पर भीड़ रही, लेकिन फतेहगढ़ के चूड़ी वाली गली और फर्रुखाबाद की सेठ गली में ब्यूटी पार्लर की दुकान पर महिलाओं की खासी भीड़ देखी गई। यहां पर मेहंदी विशेषज्ञों ने महिलाओं की मांग पर मारवाड़ी, भरीभरी, औरेवियन, हाफ ओरेवियन, राजस्थानी सहित अनेक तरह की मेहंदी से महिलाओं को सजाया। महिलाओं ने हेयर स्टाइल व प्रेरियल की विभिन्न डिजाइनों का भी लाभ उठाया। ब्यूटी पार्लर संचालक तृप्ति शर्मा का कहना है कि सुबह से ही महिलाओं की लाइन लग गई और देर रात तक उनका मेकअप का काम चलता रहा। कोरोना का असर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। सुहाग के प्रतीक पर्व करवा चौथ व्रत की तैयारी हर घर में जारी है। इस क्रम में सोमवार को खरीदारी के लिए महिलाओं की भीड़ बाजारों में उमड़ पड़ी। पूरा बाजार महिलाओं व बच्चों से भरा था।
सजने के लिए जरूरी है चेहरे का मेकअप
करवाचौथ की तैयारियों के लिए महिलाएं कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती हैं। सबसे सुंदर लगने के लिए व मेकअप पर विशेष ध्यान दे रही हैं। महिलाओं ने ब्यूटी पार्लर में जाकर फेशियल, मसाज व हेयर स्टाइल को ठीक करा रही हैैं। कुछ प्रमुख ब्यूटीपार्लर में महिलाओं को फोन पर समय लेकर आना पड़ रहा है। इस बार सबसे अधिक सहारा मेकअप को अधिक पसंद किया जा रहा है।
डिमांड में है अरेबिक मेहंदी
इस बार मेहंदी के कुछ स्पेशल डिजाइन्स दुकानों पर उपलब्ध हैं। इनमें सबसे अधिक अरेबिक डिजाइन को पसंद किया जा रहा है। इसके कोई हाथ के पंजे पर तो कोई हाथों पर ऊपर तक मेहंदी लगवा रही हैं। शहर से लेकर देहात तक की महिलाएं मेहंदी लगवाने के लिए दुकानों पर पहुंच रही हैं।
करवा व चलनी की मांग
आम तौर पर चलनी का प्रचलन नहीं है लेकिन पहली बार व्रत करने वाली नव विवाहिताएं पति के दर्शन के लिए चलनी का ही प्रयोग करती हैं। फिल्मों में ऐसा ही दिखाया जाता है। मिट्टी का करवा परंपरागत साधन है। बिना उसके पूजा होती ही नहीं। उसकी खरीदारी सभी ने की। जिनकी जैसी मान्यता रही उसके अनुसार बहुत सी महिलाओं ने सोने व चांदी के करवा की भी खरीदारी की। आमतौर पर इस पर्व पर महिलाएं सोलहों श्रृंगार कर पूजन करती हैं।