फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) वेद पुराण उपनिषदों व जन जन की भाषा रही देव भाषा संस्कृत वर्तमान में उपेक्षा का दंश झेल रही है। पठन पाठन के घटते संसाधन व सरकारी इच्छाशक्ति के अभाव में नगर का एक मात्र संस्कृत विद्यालय अपना अस्तित्व खोता जा रहा है| वर्तमान में बीजेपी सरकार होनें के बाद भी संस्कृत विद्यालय को नवीनीकरण का मंत्र नही मिल सका| जिससे वह दिन प्रतिदिन अपना अस्तित्व खोता जा रहा है|
भारतीय संस्कृति के संरक्षणार्थ व जन जन की भाषा देव भाषा संस्कृत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नगर के रेलवे रोड़ चौक चौराहे के निकट शालिगराम जगन्नाथ सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना 1 मई 1916 को की गयी थी| जिसकी देखरेख सावित्री पाठशाला (ट्रस्ट) के जिम्मे थी| महाविद्यालय को वाराणसी के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय सम्बद्द किया गया था| विद्यालय की स्थापना सावित्री देवी मिश्रा के द्वारा करायी गयी थी| जिसके अध्यक्ष जिलाधिकारी व सचिव तहसीलदार है| लेकिन अब विद्यालय के भीतर शराबियों का आना जाना है| अंग्रेजी शराब व देशी शराब की बोतलें भी कैमरें में कैद हुई हैं|
एक प्राचार्य के सहारे विद्यालय की जीवन डोर
दरअसल विद्यालय में 30 मार्च 1975 को रामप्रकाश अग्निहोत्री को प्राचार्य का दायित्व दिया गया था| वह 30 जून 2007 को सेवानिवृत्त हो गये| इसके बाद 1 जुलाई 2007 को विष्णु नारायण शुक्ला को प्राचार्य पद दिया गया| वह 30 जून 2012 तक इस पद पर रहे| उनके सेवानिवृत होंने के बाद 1 जुलाई 2012 को शिवकान्त पाण्डेय को प्राचार्य बनाया गया| वह भी 30 जून 2014 को सेवानिवृत हो गये| इसके बाद अखिलेश चन्द्र पाण्डेय को विद्यालय के प्राचार्य का कार्यभार 2 जुलाई 2014 को कार्यभार दिया गया| तब से अखिलेश पाण्डेय ही विद्यालय की अकेले जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे है| चार अध्यापकों में से तीन प्राचार्य बनने के बाद सेवानिवृत हो गये| जबकि वर्तमान प्राचार्य 2025 में सेवानिवृत हो रहे हैं| यदि विद्यालय में नवींन तैनाती नही हुई तो कुछ वर्षों में यह विद्यालय अपना अस्तित्व खो देगा|
नव्य व्याकरण से साहित्य विषयों में आचार्य की तक देता है शिक्षा
संस्कृत विद्यालय में नव्य व्याकरण से साहित्य विषयों में आचार्य की डिग्री तक शिक्षा दी जाती है| वर्तमान में सभी कक्षाओं को मिलाकर 88 छात्रों का पंजीकरण है|
सपा सरकार में हुआ था विद्यालय में कब्जे का प्रयास
प्राचार्य अखिलेश पाण्डेय नें जेएनआई टीम से बात की तो उन्होंने बताया कि शासन की तरफ से विद्यालय के जीर्णोद्धार के लिए कोई काम नही किया जा रहा है| शासन की अनदेखी से विद्यालय खस्ताहाल है| कई लोग इस इंतजार में है कि किस तरह से विद्यालय बंद हो और वह उस पर कब्जा करें| सपा सरकार में भी कब्जे का प्रयास हुआ था| जिसके बाद बमुश्किल विद्यालय कब्जा होंने से बचाया जा सका| विद्यालय के भवन में कुल 17 दुकानें है| जो किराए पर संचालित है| जिनसे 300 व 500 रूपये किराया वसूला जाता है| दुकानों से आया किराया ट्रस्ट में जमा होता है| भवन भी जर्जर है जो कभी भी खतरे में जीवन डाल सकता है| अनदेखी में बाहरी लोग विद्यालय के भीतर आकर शराब का सेवन करते है कुछ लोगों ने भीतर कमरों में सामान भी बंद कर रखा है|
प्राचार्य अखिलेश पाण्डेय ने बताया कि कई बार शासन प्रशासन को पत्राचार किया गया| लेकिन उसके बाद भी विद्यालय की तरफ किसी नें भी नजरें नही की| विद्यालय अनदेखी के चलते अस्तित्व खो रहा है|
भाजपा जिलाध्यक्ष रुपेश गुप्ता नें जेएनआई को बताया कि संस्कृत भाषा सरकार की प्राथमिकता में से एक है| विद्यालय की जर्जर अवस्था के लिए जिलाधिकारी से वार्ता कर समाधान निकाला जायेगा|
तहसीलदार सदर व विद्यालय के सचिव राजू कुमार नें जेएनआई को बताया कि वह विद्यालय का निरीक्षण करेंगे| उसकी व्यवस्था दुरस्त की जायेगी|