Saturday, January 11, 2025
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भगवान बचाए ऐसी पत्नियाें से…….

आगरा: मानवाधिकार आयोग के पास सबसे अधिक शिकायतें पुलिस उत्पीड़न से संबंधित होती हैं, लेकिन अब पत्‍नी पीड़ित भी अपनी गुहार लेकर आयोग पहुंच रहे हैं। यह स्थिति पतियों की सुनवाई करने वाली कोई संस्था न होने से पैदा हुई है।
दरअसल, महिलाओं के उत्पीड़न की सुनवाई प्राथमिकता पर करने के लिए कई संस्थाएं हैं। महिला आयोग, वुमेन पावर हेल्प लाइन, आशा ज्योति केंद्र, महिला थाना आदि। उसका निस्तारण भी समय पर किया जाता है। मगर, पति की पुलिस भी नहीं सुनती। यही वजह है कि आयोग में पत्नी से पीड़ित शिकायत करने वाले पतियों की संख्या बढ़ी है। मानवाधिकार आयोग में इस वर्ष सितंबर तक ताजनगरी से 700 से अधिक शिकायत की गईं। इनमें दो दर्जन से अधिक मामले पत्नी पीड़ित पतियों के हैं।
केस एक: रकाबगंज क्षेत्र के कैंसर पीड़ित पति ने भविष्य को देखते हुए मृत्यु से पूर्व पत्‍नी की शादी अपने मित्र से करा दी। शादी के कुछ समय बाद ही दोनों में खटपट होने लगी। छोटी-छोटी बातों को लेकर पत्‍नी पुलिस के पास पहुंच जाती। कई बार पति को हवालात की हवा भी खानी पड़ी। आजिज पति अब मानवाधिकार आयोग की शरण में है।
केस दो : एमएम गेट क्षेत्र निवासी पति- पत्‍नी के बीच रोजमर्रा की खिटपिट ने ऐसा रूप लिया कि पत्‍नी ने दहेज उत्पीड़न का मुकदमा करा दिया। पति की कोई नहीं सुन रहा। जब उसने मानवाधिकार आयोग की शरण ली तो सुनवाई शुरू हुई। मामला अब काउंसलर के पास है।केस तीन : शाहगंज क्षेत्र निवासी व्यापारी की शादी 15 साल पहले हुई थी। पति ने मकान पत्नी के नाम कर दिया। पत्नी अब पति को घर में रखने को तैयार नहीं। न उसके साथ रहना चाहती। मकान पत्‍नी के नाम करा चुका पति अब कहां जाए, यह दरख्वास्त लेकर अब वह मानवाधिकार आयोग के पास है।
केस चार: जगदीशपुरा निवासी महिला शादी के दस साल बाद अपने दो बच्चों को लेकर मायके चली गई। सास और पति उसे मनाकर वापस लाए। अब पत्‍नी शौहर को घर में घुसने नहीं दे रही। पत्‍नी ने थाने में पति के खिलाफ मुकदमा करा रखा है। अब वह मानवाधिकार आयोग की शरण में है।
इनका क्‍या है कहना
कई बार महिलाएं पति द्वारा उत्पीड़न की शिकायत करती हैं। जब उनके केस की स्टडी और काउंसिलिंग की जाती है। पता चलता है कि पति की जगह पत्नी की ही गलती है।
प्रियांजलि मिश्र, केस वर्कर, आशा ज्योति केंद्र
पत्‍नी के उत्पीड़न के खिलाफ मानवाधिकार आयोग की शरण लेने वाले लोगों के मामले में बढ़ोत्तरी हुई है। कई लोग सलाह लेने के लिए आते रहते हैं।
अश्विनी रावत, सदस्य कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन

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