फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला)स्वतंत्रता आन्दोलन की बात करे तो जिले का भी नाम सुर्ख़ियों में रहा है| जनपद में भी बड़े-बड़े आजादी के मतवाले जंगे आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया और फिर भारत माँ की मिट्टी में अपना अस्तित्ब खो दिया| उसी आन्दोलन के शोले को ज्वाला बनाने का काम गाँधी जी ने फर्रुखाबाद से कई बार किया| आजादी के आन्दोलन के दौरान उनके कदम तीन बार जिले की सरजमी पर पड़े और उन्होंने आजादी के आन्दोलन को धार दी|
इतिहास कारों की माने तो जिले में महात्मा गाँधी ने आकर सरस्वती भवन में सभा को संबोधित किया था और दरगाह हुसैनिया मुजीबिया में बैठकर खिलाफत आंदोलन को दिशा दी थी। तब उनके साथ आचार्य कृपलानी, कस्तूरबा गांधी और मौलाना शौकत अली जैसी हस्तियां भी आईं थी। इतिहासकारों का कहना है कि वर्ष 1919 में असहयोग व खिलाफत आंदोलन शुरू किया| जिसमे उन्होंने हिंदू व मुसलमानों को एक साथ जोड़ने की कबायत शुरू की| इसी को देखते हुये उन्होंने पहले नगर के सरस्वती भवन में सभा की उसके बाद दरगाह हुसैनिया मुजीबिया में बैठक कर तत्कालीन सज्जादा नशीन हजरत फरखुद अली उर्फ फुंदनमियां को आन्दोलन की कमान सौपी थी| वहीं उनके साथ जाने-माने क्रांतिकारी नेता मौलाना मोहम्मद अली भी फर्रुखाबाद आए थे।
इसके बाद वर्ष 22 सितंबर 1929 को भी गांधी जी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ यहां आए थे। उस दौरे में उनके साथ आचार्य कृपलानी भी आए थे। तब महान क्रांतिकारी नेता कालीचरण टंडन, श्रीकृष्ण मल्होत्रा, ब्रजकिशोर ने गांधी जी से प्रेरणा लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया। उन्होंने सरस्वती भवन में सभा को सम्बोधित किया| तीसरी बार वह पाँच वर्ष बाद ही वर्ष1934 जनपद आ गये| उन्होंने तब छुआछूत निवारण व हरिजन सेवक अख़बार का प्रसार किया| इस दौरान उनके साथ आचार्य कृपलानी भी आए थे। तब महान क्रांतिकारी नेता कालीचरण टंडन, श्रीकृष्ण मल्होत्रा, ब्रजकिशोर ने गांधी जी से प्रेरणा लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया। इतिहासकार डॉ० रामकृष्ण राजपूत के अनुसार वह अखबार उनके संग्रहालय में आज भी उपलब्ध है|