लखनऊ : अगर आप वीआइपी मोबाइल नंबर का उपयोग कर रहे हैं तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब फोन नंबर भी चोरी हो रहे हैं। सिम लगा मोबाइल आपके हाथ में होगा, लेकिन अचानक फोन आने बंद हो जाएंगे। उक्त नंबर किसी दूसरे व्यक्ति को जारी कर दिया जाएगा और आपको आने वाली कॉल अब कोई दूसरा रिसीव कर रहा होगा।
अभी हाल ही में विशेष सचिव पीडब्ल्यूडी राजशेखर के वीआइपी मोबाइल नंबर को धोखे से पोर्ट कराने का प्रयास किया गया था। इस मामले में वरिष्ठ आइएएस ने हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई थी। मांडा इलाहाबाद निवासी विनय कुमार ने राजशेखर के वीआइपी नंबर का गलत ढंग से पोर्टिग मोड जनरेट कर आइडिया नंबर पर पोर्ट करने के लिए रिक्वेस्ट डाली थी। हालांकि समय रहते उन्हें इसकी जानकारी हो गई थी। मामले की जांच साइबर क्राइम सेल कर रही है। हालांकि अभी तक आरोपित पकड़े नहीं जा सके हैं। पुलिस को गिरोह के बारे में कोई जानकारी मिलती, इससे पहले ही ठगों ने अलीगंज निवासी एक पत्रकार का वीआइपी नंबर चोरी कर लिया। पत्रकार ने अपना नंबर रिलायंस से दूसरे टेलीकॉम कंपनी में पोर्ट कराने के लिए रिक्वेस्ट डाली थी। इससे पहले कि उक्त नंबर पोर्ट होता, जालसाजों ने उसे निजी टेलीकॉम कंपनी में पोर्ट कराकर इलाहाबाद में ही बेच दिया। बुधवार को जब पीड़ित पत्रकार से मिले उनके परिचितों ने उन पर कॉल रिसीव नहीं करने का आरोप लगाया तो उन्होंने छानबीन की। पड़ताल मे पता चला कि मोबाइल में सिम तो लगा है, लेकिन फोन कोई और व्यक्ति उठा रहा है। पूछताछ करने पर उक्त व्यक्ति ने मोबाइल नंबर कीमती रकम में खरीदने की बात कही।
लाखों में बेचते हैं नंबर
लोगों में वीआइपी मोबाइल नंबर के उपयोग का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। ऐसे में ठग ज्यादातर वीआइपी नंबरों को पोर्ट कराकर बेच दे रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि जिन मोबाइल नंबरों के अंतिम सात अथवा छह नंबर एक ही अंक के हों, उन्हें लोग खरीदना चाहते हैं। ठग निजी टेलीकॉम कंपनियों के कर्मचारियों से मिलीभगत कर उसे धोखे से पोर्ट कराने के बाद दो से तीन लाख रुपये में बेच देते हैं।