पेट्रोल की कीमतों में एक बार फिर से बढ़ोत्तरी हो सकती है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम बढ़ गए हैं| अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है|
सूत्रों के मुताबिक तेल कंपनियां फिर से दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं. पिछले साल जून से पेट्रोल के दाम को बाजार के भरोस छोड़ दिया गया है. पहले पेट्रोल की कीमत सरकार तय करती थी|
कंपनियों का कहना है कि वे नुकसान उठाकर सस्ता पेट्रोल और डीजल बेच रही हैं. पेट्रोल के हर लीटर पर 3 रुपए और डीजल पर 8 रुपए का नुकसान उठाकर बेचना पड़ रहा है|
कंपनियों का कहना है कि दाम तय करने के नए तरीके से पेट्रोल पर कुछ राहत हुई है लेकिन डीजल के दाम अभी भी सरकार तय करती है इसलिए उसपर कंपनियों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है|
हालांकि सरकार डीजल किरोसिन तेल,एलपीजी को सस्ता रखने के लिए 8000 करोड़ रुपए की अनुदान देने जा रही है|
बढ़ोतरी के बाद तेल की आपूर्ति में रुकावट आने की आशंका के बाद तेल के दामों में बढ़ोतरी हुई है| सबसे ज्यादा आशंका स्वेज नहर और सम्द पाइपलाइन के जरिए होने वाली कच्चे तेल की आपूर्ति में ठहराव को लेकर है|
गौरतलब है कि सितंबर 2008 में कच्चे तेल का भाव 147 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था. कच्चे तेल में आए उछाल का असर भारत में दिखने लगा है|
बीती रात से सरकारी तेल कंपनियों ने हवाई ईंधन के दामों में 4.5% की बढ़ोतरी कर दी है. अब एक किलोलीटर हवाई ईँधन के लिए 50,958.79 रुपए चुकाने होंगे|
जिसका अंतिम भार अब यात्रियों को उठाना होगा. हवाई यात्रा की कुल लागत में 40 फीसदी हिस्सा ईंधन का है.मिस्र हर दिन 6,85,000 बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है|
दुनिया का 30वां सबसे ज्यादा तेल उत्पादन करने वाला देश है| मिस्र के तेल उत्पादन का ज्यादातर हिस्सा घरेलू जरूरतों को पूरा करने में चला जाता है, इसलिए मिश्र तेल निर्यातक देश के लिहाज से खास महत्व्पूर्ण नहीं है|
इसका मतलब है कि करीब 6000 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी. आम लोगों को सबसे ज्यादा आशंका खुदरा पेट्रोल के दाम को लेकर है|
सूत्रों के मुताबिक तेल कंपनियां फिर से दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं. पिछले साल जून से पेट्रोल के दाम को बाजार के भरोस छोड़ दिया गया है. पहले पेट्रोल की कीमत सरकार तय करती थी|
अब तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के हिसाब से घरेलू दाम में बदलाव कर रही हैं. दाम तय करने की नई प्रथा के बाद अब तक 7 बार पेट्रोल के दाम बढ़ चुके हैं|
सीधे जनवरी 2010 से देखा जाय तो 48 रुपए प्रति लीटर के भाव पर मिलने वाला पेट्रोल अब 60 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच चुका है. गौरतलब है कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी हिस्सा कच्चा तेल आयात करता है|
भारत इनमें से साउदी अरब,ईरान,ईराक,कुवैत और यमन से तेल आयात करता है. इस बीच ईरान से पेमेंट मॉडल को लेकर चल रहा विवाद इस संकट को और बढ़ा सकता है. सउदी अरब के बाद ईरान दूसरा सबसे बड़ा आपूर्ती करने वाला देश है|
कुल मिलाकर पश्चिम एशिया की हलचल के बाद कच्चे तेल का आयात बिल बढ़ना तय है.चालू कारोबारी साल के पिछले आठ महीनों में भारत कच्चा तेल खरीदने के लिए 57 अरब डॉलर खर्च कर चुका है|
पिछले कारोबारी साल यानी 2009-10 में यह लगात 38 अरब डॉलर थी.कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने के बाद घरेलू कंपनियों पर दाम बढ़ाने का दबाव लगातार बढ़ रहा है|
कंपनियों का कहना है कि वे नुकसान उठाकर सस्ता पेट्रोल और डीजल बेच रही हैं. पेट्रोल के हर लीटर पर 3 रुपए और डीजल पर 8 रुपए का नुकसान उठाकर बेचना पड़ रहा है|
कंपनियों का कहना है कि दाम तय करने के नए तरीके से पेट्रोल पर कुछ राहत हुई है लेकिन डीजल के दाम अभी भी सरकार तय करती है इसलिए उसपर कंपनियों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है|