फर्रुखाबाद: जीवन की राह में कभी-कभी बहुत कुछ देखने को मिलता है लेकिन कभी कुछ खास दिखता है जिसे देखकर जिन्दगी की समस्यों से लड़ने का हौसला कई गुना बढ़ जाता है| सोमबार को कुछ इसी तरह का चित्र समाने था| दिव्यांग 23 वर्षीय मंजीत पुत्र रामशरण दिवाकर निवासी मानपुर विकास खंड नवाबगंज के दोनों हाथ नही है| लेकिन उसने जीवन की उंचाईयों तक जाने के लिये कभी उन्हें अपनी कमजोरी नही बनाया बल्कि उन्हें ढाल बनाकर जिन्दगी की समस्याओ से लड़ा| उसे देखकर लगा की अपने हाथो की लकीरों को क्या देखते हो, किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नही होते||
मंजीत ने बताया कि बचपन में गाँव की ही एक चक्की में फंसकर उसके दोनों हाथ चले गये थे| बचपन में तो माँ-बाप की गोद के सहारे कट गया| लेंकिन जब जबानी की दहलीज पर कदम रखा तो बहुत कुछ बदल गया था| उसके साथ के नौजवान अपने-अपने क्षेत्र में आये बढ़ रहे थे| मंजीत ने बताया कि उसने भी ठान लिया कि अब जिन्दगी में दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नही बनने देंगे|
उसने अपने मुंह से कलम को पकड़ना सीखा| जिसके बाद उसने हाई स्कूल की परीक्षा भी पास की | आज वह जीभ से मोबाइल भी चलाता है| गाँव की समस्याओ को देखकर उसने राजनीति में जाने का मन बनाया| तो लोगो ने उसका मजाक बनाया| कुछ महीने के बाद गाँव में क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव थे| लेकिन उसने इरादा कर लिया था कुछ करने का| लोंन लेकर बैंक से गाँव में एक दुकान खोली और कुछ महीनों में ही उसने अपने आप को लोगो की नजर में ला दिया की| वह बीडीसी के चुनाव में खड़ा हो गया| जनता को उसके हुनर पर यकींन था सो उसे जीत की कुर्सी पर भी बैठा दिया| आज मंजीत अपने गाँव के लिये बहुत कुछ करना चाहता है| इसके लिये वह पीएम मोदी व सीएम योगी को पत्र भेजने की तैयारी कर रहा है | मंजीत ने आवास विकास में रेडिकल इंसपायरिंग पब्लिक स्कूल समिति के कार्यक्रम में पंहुचा और अन्य विकलांगो को हौसला दिया|