Monday, December 23, 2024
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSऐतिहासिक फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया तीन तलाक, आज से गैरकानूनी

ऐतिहासिक फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया तीन तलाक, आज से गैरकानूनी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक/तलाक-ए-बिद्दत को रद्द कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के साथ ही आज मंगलवार से तीन तलाक गैरकानूनी हो गया है और इसे तीन बार कहने से निकाह खत्म नहीं होगा। पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस कुरियन जोसेफ, आरएफ नरीमन, जस्टिस यूयू ललित ने 3-2 के बहुमत से तीन तलाक को बराबरी के अधिकार वाले अनुच्छेद 14, 15 के तहत असंवैधानिक घोषित कर दिया।

तीनों जजों ने कहा कि 1937 के मुस्लिम शरीयत कानून के तहत तलाक को धारा 2 में मान्यता दी गई है और उसकी विधि बताई गई है। चूंकि यह कानून के रूप में था, इसलिए यह संवैधानिक सिद्धांतों की जांच के दायरे में आएगा। संविधान के सिद्धांतों को देखते हुए तीन तलाक स्पष्ट रूप से मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है। इसलिए इसे सिरे से रद्द किया जाता है। समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार शीर्ष अदालत ने 3-2 के मत से सुनाए गए फैसले में इस तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया। जस्टिस कुरियन ने कहा कि वह तीन तलाक को धर्म का हिस्सा मानने के सीजेआई के मत से सहमत नहीं हैं। यह धर्म का अभिन्न अंग नहीं है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का तीन तलाक को गैरकानूनी मानने वाला शमीमआरा फैसला सही कानून घोषित करता है और वह उसे बरकरार रखते हैं। जो धर्म में गलत है वह कानून में सही नहीं हो सकता।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर जहां तीन तलाक की प्रथा पर छह माह के लिए रोक लगाकर सरकार को इस संबंध में नया कानून लेकर आने के लिए कहने के पक्ष में थे, वहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंन करार दिया। बहुमत वाले इस फैसले में कहा गया कि तीन तलाक समेत हर वो प्रथा अस्वीकार्य है। तीन जजों ने यह भी कहा कि तीन तलाक के जरिए तलाक देने की प्रथा स्पष्ट तौर पर स्वेच्छाचारी है। यह संविधान का उल्लंन है और इसे हटाया जाना चाहिए।

सीजेआई जेएस खेहर और अब्दुल नजीर का नजरिया
चीफ जस्टिस जेएस खेहर तथा जस्टिस अब्दल नजीर ने अल्पमत फैसले में तीन तलाक को गलत माना लेकिन इसे रद्द करने से इनकार दिया। जस्टिस खेहर ने कहा कि तीन तलाक धर्म का हिस्सा है। इसलिए यह असंवैधानिक नहीं है। संवैधानिक नहीं होने के कारण कोर्ट इसमें इसमें दखल नहीं दे सकता। यह दखल संसद के जरिये ही दिया जा सकता। वह चाहते हैं कि केंद्र सरकार इसे समाप्त करने के लिए कानून बनाए। उन्होंने तीन तलाक को खत्म करने का कानून बनाने के लिए सरकार को छह माह का समय दिया। सीजेआई ने कहा कि मुस्लिम देशों में भी तीन तलाक खत्म कर दिया गया है ऐसे में हम क्यों पीछे रहें। जस्टिस खेहर ने कहा कि छह माह के दौरान कोई पति पत्नी को तीन तलाक नहीं देगा। उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से आह्वान किया कि वे इस कानून को बनाने के लिए एक जुट हों और कानून को संसद में पास करवाएं।

याचिकाकर्ता और पक्ष की दलील
तीन तलाक को खत्म करने के लिए याचिकाएं मुस्लिम महिलाएं शायरा बानो, फराह फैज, आफरीन रहमान, इशरत जहां और गलशन परवीन ने दायर की थीं। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने इनका विरोध किया था। उसने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को धर्म के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हालांकि बाद में बोर्ड ने कहा था कि वह काजियों को एडवाइजरी जारी करेगा कि वे विवाह करने वालों को सलाह देंगे कि तीन तलाक के जरिये विवाह को समाप्त न करें। केंद्र सरकार ने महिलाओं का पक्ष लिया था और कहा था कि तीन तलाक महिलाओं के खिलाफ अन्याय है और धर्म का मौलिक अंग नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments