फर्रुखाबाद: यूपी सरकार के परिषदीय विधालयो की दयनीय स्थिति पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार के प्राइमरी विधालय के बच्चो को दरी पर बैठने के विषय में सबाल-जबाब किये है| लेकिन जनपद में बीएसए कार्यालय के ठीक सामने बने विधालय में बच्चो को बैठने के लिये फर्नीचर की व्यवस्था नही है| फिर जिले में अन्य किस विधालय की बात क्या करे|
कृष्ण प्रकाश त्रिपाठी की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्याय मूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्राथमिक विधालयो में बच्चो के बैठने का उचित प्रबंध क्यों नही है| बच्चे दरी और बोरों पर ही क्यों बैठते है| उन्होंने प्रमुख सचिव प्राथमिक शिक्षा को निर्देश दिये है कि वह अफसरों के साथ बैठक कर इस विषय पर कार्ययोजना बनाये और अदालत को अवगत भी कराये|
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के ठीक सामने प्राथमिक विधालय पुलिस लाइन है जिमसे भी मासूम ठंड में जमीन पर बैठने को मजबूर है| इसके साथ ही साथ जिले के अधिकांश परिषदीय विधालयो में बच्चों के बैठने की व्यवस्था नही है| ना उन्हें कुर्सी मिली और ना ही मेज| अब ठंड का मौसम आ गया है| जिससे बच्चो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है| कुछ प्रधानाध्यापको का कहना है कि विधालय विकास निधि में केबल 5000 हजार रूपये आते है उससे केबल फट्टी ही खरीदी जा सकती है|
माजरा कुछ भी हो लेकिन बेसिक शिक्षा के बदहाल स्कूलो की दशा देखकर यह तो साफ है कि आखिर सरकार की मंशा विधालयो के लिये क्या है| सरकार ने थाली तो बाँट दी लेकिन अभी तक अधिकतर बच्चो के हाथो में किताबे नही पंहुची| बच्चे केबल मिड-डे मील के सहारे ही विधालयो में आते है उसकी भी कन्वर्जन कास्ट बीते सात माह से नही मिली| जिससे पहले की शिक्षक संगठन मध्यान्ह भोजन बंद करने की घोषणा कर चुके है|