उत्तर प्रदेश में लाख कोशिशो के बाबजूद पटरी से उतरी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चल रही सरकारी स्कूलों में दोपहर को पका पकाया भोजन उपलब्ध करने की योजना मिड डे मील को सुधारने के लिए एक और प्रयोग करने का फैसला लिया है| प्राधिकरण अब रोज दोपहर को बच्चो के माँ बाप से फ़ोन पर पूछेगा कि आपके बेटे/बेटी को स्कूल में खाना मिला या नहीं|
आंकड़ो के मुताबिक वास्तविक स्थिति में उत्तर प्रदेश में अभी भी केवल २५-३० प्रतिशत बच्चो को ही मिड डे मील उपलब्ध हो पा रहा है| उत्तर प्रदेश मिड डे मील प्राधिकरण पहले ही दोपहर में हर रोज प्रदेश के हर स्कूल में आईवीआरएस तकनीक के तहत अध्यापकों से मोबाइल फ़ोन पर मिड डे मील की रिपोर्ट प्राप्त करता है, मगर इस रिपोर्ट में भी अध्यापको की बाजीगरी से मिली फर्जी रिपोर्ट के बाद अब प्राधिकरण ने बच्चो के माँ बाप से भी रोजाना रिपोर्ट लेने का फैसला लिया है| इसके लिए प्राधिकरण के अपर निदेशक संतोष कुमार ने जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारिओं को पत्र भेज कर हर स्कूल से कम से कम १० अभिभावकों के मोबाइल नुम्बर उपलब्ध कराने के लिए आदेश किया है|
इस योजना में भी लगेगी सेंध!
सरकार कोई भी योजना चोरो को पकड़ने के लिए बनाये शातिर दिमाग चोर कोई न कोई काट निकाल ही लेते है| ऐसी ही एक योजना का आगाज लगभग ६ माह पहले खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री की पहल पर कोटेदार का राशन गाँव गाँव ग्रामीणों को उपलब्ध कराने के लिए किया गया था| जिलों के अधिकारिओ ने मोबाइल नंबर इकट्ठे करने का काम उन्ही कोटेदारो को दे दिया जिनकी चोरी पर लगाम लगायी जानी थी| नतीजा ये हुआ कि जो सूची मोबाइल नंबर की इकट्ठी हुई उसमे कोटेदारो के सगे सम्बंधियो के ही नम्बर पहुच गए है| हालाँकि अभी खाद्य आपूर्ति विभाग ने इसका प्रयोग ही शुरू नहीं कर पाया है, मगर जब भी शुरू होगा सरकार के पैसे की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं होगा| क्यूंकि कोटेदार का सन्देश भेजा जायेगा लन्दन पहुचेगा टोकियो| कुछ ऐसी ही चाल मिड डे मील के आईवीआरएस में हो रही है| यदि अभिभावकों के मोबाइल नम्बर के साथ भी ऐसा ही हुआ तो फिर होगा फर्जी नम्बर पर फर्जी रिपोर्टिंग और पैसे की बर्बादी|