Monday, January 13, 2025
spot_img
HomeUncategorizedन्याय की आस में विधवा हुयी कमला ने नहीं धोया सिन्दूर

न्याय की आस में विधवा हुयी कमला ने नहीं धोया सिन्दूर

सुल्तानपुर|| इस हत्याकांड को भाग्य की सबसे बड़ी त्रासदी कही जाये या फिर काली तकदीर –
अपने पति और तीन बच्चो की माँ कमला अब सुहागन नहीं रही | ये बात वो भी जानती है और उसके बच्चे भी की, अब उनके पालन-पोषण का सबसे बड़ा स्तम्भ कभी लौट कर नहीं आएगा |
कमला को पता ना था की जिस राजनीति का वो ककहरा भी नहीं जानती उसमे पाँव रखने के बाद उसका सुहागन वाला वजूद हमेशा के लिए छिन जायेगा |
बात दीगर है की हमेशा तालाब में बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है लेकिन बेचारी कमला नासमझ थी और समझने में देर कर बैठी | सत्ताधारी दबंग विधायक की अगर उसका परिवार बात मान लेता तो शायद सब कुछ पहले जैसा होता बस उनका थोडा सा जमीर ही तो मरता
खैर अब लकीर पीटने से क्या होगा जिस दिन सारी सुहागिन महिलाये अपने पति के लिए करवाचौथ का व्रत रखकर लम्बी आयु की कामना करती है ठीक उसी दिन कमला का पति राम कुमार यादव दुनिया के सारे बंधन तोड़ मार डाला गया |

लेकिन कमला नहीं समझ पा रही है उसे क्या करना है बस सिर्फ एक धुन है की किसी तरह भगवान उसकी सुन ले और हत्यारों को सजा मिल जाये और यही कारन है की गुस्साई कमला ने अभी तक विधवा होने के बाद भी अपनी मांग से सिन्दूर नहीं पोछा है |
न्याय की आस लिए कमला मूक-दर्शक बने प्रशासन से कुछ उम्मीद लगा बैठी है……लेकिन वो भी जानती है की आगे क्या होगा |

किसी ने शायद कमला के लिए ही ये शब्द चुने होंगे
हम अपनी दास्तान सुनाये किसे-किसे
फिर इसके बाद रोये रुलाये किसे-किसे
पत्थर की आँख वाले भी शामिल है भीड़ में
जलते हुए अरमान दिखाए किसे-किसे

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments