भ्रष्टाचार पर साहब ने जाँच बिठाई…

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Editorसिंचाई के लिए लगाये गए ट्यूबवेल और बोरिंग में घोटाला| पी डब्लू डी की सड़क का घोटाला| तहसील में लेखपालो द्वारा रिश्वत लेकर कहीं गरीब बनाने का घोटाला तो कहीं ग्राम सभा की जमीन हड़प कर लेने का घोटाला | शिक्षा विभाग में मिड डे मील का घोटाला| फर्जी और कूटरचित राशन कार्डो की दम पर सालो से चल रहा राशन घोटाला| आँगनबाड़ी की पंजीरी दूध डेरी की गाय और भैंसों के लिए बिक जाने का घोटाला| बेसिक शिक्षा में ट्रेनिंग के नाम पर आये धन को घोट जाने का घोटाला| और हाँ बिजली विभाग में घोटाला| इतने घोटाले और इन पर चल रही जाँच की खबरे इन दिनों सुर्ख़ियों में है| मगर होगा क्या? क्या पहले कुछ हुआ जो अब होगा?

ट्यूब वेल घोटाले की जाँच के लिए फ़ाइल नहीं मिलेगी| वो फाइल जिसमे 1200 बोरिंग के नाम पते है| दरअसल में शिकायतकर्ताओं के मुताबिक कोई सूची है ही नहीं| सीधा पैसा बैक से निकाला और बाट लिया| अब जिस पैसे का हिस्सा समय से पहुच गया उस पर कोई नई मुसीबत साहब क्यूँ लेंगे| सुना है घोटाले की सभी फाइलें कानपुर में है| घोटाले की चर्चा के एक सप्ताह भी अभी तक ये फ़ाइले जिले में नहीं पहुच सकी है| जो डाटा इंटरनेट पर होना चाहिए था वो कहाँ है इसी पर जाँच बैठ सकती है| हो सकता है कि 140 किलोमीटर दूर फर्रुखाबाद पहुचने में एक सरकार का कार्यकाल तो बीत ही जाये| हाँ नेताजी तक खबर पंहुचा कर नुक्सान जरुर कर दिया| घोटाले के हिस्से में एक बड़ा भाग और बटेगा| मीडिया के हाथ तो कुछ है नहीं| भ्रष्टाचार का विकेंद्रीकरण कराने में तो सक्षम जरुर है| अकेले कैसे खाओगे|

अब भोलेपुर में सड़क घोटाले को ही ले लो| खबर छपी है कि जाँच शुरू हो गयी| क्या और कैसे हो रही है जाँच इस पर कोई खबर नहीं है| मगर जैसा सभी जाँच में होता है इसमें भी होगा| जाँच में सबसे पहले पता किया जायेगा कि ठेकेदार कौन था? पैसा कब निकाले? कितना निकला? ठेकेदार सत्ता दल समर्थक है या विरोधी पक्ष का? कमीशन समय से पंहुचा या नहीं? इतनी जाँच होने के बाद फैसला होगा कि जाँच होगी कि नहीं| और अगर होगी तो कैसे होगी| फाइनल रिपोर्ट कैसे लगेगी| क्योंकि पैसा साहब से लेकर बड़े साहब और नेताजी सबको बट गया| समय से घोटाले का हिस्सा पहुच गया फिर काहे का बबाल मच रहे हो| अब इम्पेक्ट विम्पेक्ट कुछ नहीं होता| सिर्फ बड़े साहब और उनसे बड़े साहब को ये पता चल जाता है कि चव्वनी की छूट में रुपैया लुट गया| अब रुपैये का हिसाब लाओ…| जाँच के नाम पर एक स्पष्टीकरण माँगा जाता है| और कुछ समय के बाद चव्वनी की जगह रुपैये के बोझ तले साहब ये भी भूल जाता है कि कोई जबाब माँगा गया था| देर शाम किसी पार्टी में दोनों एक ही माचिस से सिगरेट सुलगाते दिख जाते है|
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और समझो, राशन कार्ड घोटाला की जाँच| केवल पिछले एक साल में ही जिले में लगभग एक सैकड़ा से अधिक फर्जी राशन कार्डो की शिकायत जिलाधिकारी को दी गयी है| यकीन नहीं तो एक साल के अखबारों में छापी खबरों का ही संकलन कर देख लो| हजारो की संख्या में बने फर्जी बी पी एल और अन्तोदय कार्डो की सूची बाकायदा शिकायतकर्ताओ ने मय सबूत सौपी| एक भी राशन कार्ड निरस्त नहीं हुआ| हजारो कुंतल सरकारी सस्ता अनाज चंद घूस के टुकडो की खातिर बाजार में हर माह बिक जाता है| कुछ हुआ? कुछ भी नहीं? खबर मिली है कि नए सिरे से पूरे जिले के राशन कार्ड बनेगे| इसमें फर्जी बंद हो जायेंगे| कौन बंद करेगा| गाँव से लेकर नगर तक कोटेदार को राशन कार्ड बनाने का काम करना है| वैसे लिखापढ़ी में ये काम नगर में शिक्षक और देहात में ग्राम सचिव करेगा| मगर हकीकत में ऐसा नहीं है| चोरो के हाथो में चौकीदारी का बिल्ला है| शिकायते आने लगी है कि गाँव में राशन कार्ड के फार्म सफाई कर्मी और कोटेदार कर रहा है| आने दो शिकायत| कोटेदार जिला पूर्ती कार्यालय का अघोषित भ्रष्टाचार का साथी है| कुछ नहीं होगा| बनने दो फर्जी बीपीएल और अन्तोदय राशन कार्ड| फसेगा तो मास्टर, ग्राम सचिव और कम आय प्रमाण पत्र देने वाला लेखपाल| अब सरकार और सरकारी नौकरशाही से कुछ उम्मीद मत रखिये| कोई शिकायत दे आओ तो इनके साहब तो जाँच ही फर्जी निपटा देते है| अब क्या उम्मीद कहिये| भ्रष्टाचार चालू आहे….|

बात जिला कार्यक्रम अधिकारी के तहत चलने बाले आँगन बाड़ी और बाल बाड़ी योजना की| नगर से लेकर गाँव तक दूध डेरी की गाय और भैंसे मासूमो के लिए आ रहा सरकारी पुष्टाहार खा रही है और दूध बढ़ता जा रहा है| गोदाम से ही पंजीरी सीधी बिक रही है| सैकड़ो शिकायत हुई मगर आज तक किसी की नौकरी नहीं गयी| कैसे जाएगी| कौन लेगा| नौकरी लेने में क्या रखा है? जाँच में भ्रष्टाचार के हिस्सा लेने में क्या गुरेज है| मगर साहब है कि उन्हें सरकारी कर्मचारी के खिलाफ हलफनामे पर भ्रष्टाचार की शिकायत चाहिए| और कोई गारंटी नहीं कि भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगे|

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अब जिला जेल से सेन्ट्रल जेल रोड पर हुए 40 लाख की सड़क का नया मामला| अरे भाई भुगतान तो 31 मार्च 2013 के पहले यानि पिछली वितीय वर्ष में ही निकला है| बाद में बनी तो क्या हुआ| कौन पुष्ट करेगा| फाइलों में काम पिछली तारीखों में हुआ है| ये साहब भी जानते है और बड़े साहब भी| चिल्लाते रहो| नया टेंडर नए साल का निकलेगा|

और चलते चलते-

शराब पीकर तमंचा लहराते हुए लेखपाल सार्वजनिक स्थान पर हंगामा करते हुए पुलिस ने पकड़ा और लेखपालो ने कोतवाली में ही खरी खोटी पुलिस को सुनकर छुटा लिया| तमंचे की बात नहीं आने दी| शराबी लेखपाल की पैरवी में कई लेखपाल सामने आ गए| तहसील परिसर में चर्चा है कि ये लेखपाल भी उन्ही लेखपालो में शामिल है जो एक पौवे में आय प्रमाण पत्र पर मनचाही आय लिखने में अग्रणी रहता है| पूरे जनपद में कहीं का भी आय प्रमाण पत्र बनना हो ये इनसे रिपोर्ट लगवाई जा सकती है| हालाँकि ये शासनादेश के विरुद्ध है मगर कई लेखपाल इसे पालते है| क्योंकि होशियार लेखपाल करोडपति को बी पी एल का आय प्रमाण जारी करने का ठेका लेता है तो रिपोर्ट खुद न लगाकर इन्ही शराबी लेखपालो से लगवाते है| अब ऐसे में पैरवी तो होनी ही थी| मगर पुलिस वालो को उन्ही की कोतवाली में दम दबाने पर मजबूर होना पड़े| ये पहली बार देखा है| मानना पड़ेगा अंग्रेजो के जमाने का कानून| कानून व्यवस्था भंग होने की दुहाई देकर असीमित अधिकार जो जिला हुक्मरानों को देकर गए| हड़ताल और प्रदर्शन की धमकी पर तमंचा छूट गया| केवल दफा 34 यानि शराब के नशे में सार्वजनिक स्थान पर हंगामा रह गया| पता चला है कि इस मुद्दे पर भी साहब ने जाँच बैठाई है…….

मराठी में कहते है कि- भ्रष्टाचार चालू आहे…, थांबा नाही, जाँच जारी……

जय हिन्द