Farrukhabad : विश्व अस्थमा दिवस पर डा0 के एम द्विवेदी के आवास विकास स्थित चिकित्सालय पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें श्री द्विवेदी ने कह कि अस्थमा के इलाज में लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने इस बीमारी से सम्बंधित विभिन्न लक्षणों और उनके उपायों पर भी चर्चा की।
श्री द्विवेदी ने बीमारी के लक्षणों के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि अस्थमा की बीमारी में लगातार खांसी आना, श्वांस फूलना, श्वांस में सीटी जैसी आवाज आना, सीने में दर्द होना आदि लक्षण दिखायी देते हैं। बचाव के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि धूल धुआं से बचाव, धूम्रपान से परहेज के अलावा श्वांस फूलना, सीटी जैसी आवाज आना, लगातार खांसी आने के लक्षण दिखायी देने पर डाक्टर से तत्काल सम्पर्क करना चाहिए।
उन्होंने विश्व अस्थमा दिवस मनाने के उद्देश्य पर भी चर्चा करते हुए बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य अस्थमा जैसी घातक बीमारी के बारे में आम जनमानस को जानकारी पहुंचाना। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे में अस्थमा के बचाव के लिए प्लान बनाने व बच्चों के अभिभावकों को अस्थमा से सम्बंधित जानकारी देना, अस्थमा के मरीजों की गंभीर स्थितियों पर काबू पाना आदि शामिल हैं।
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उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन से अस्पताल की भर्तियों को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। अस्थमा से होने वाली मौतों पर काबू पाने में भी काफी हद तक कामयाबी पायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अस्थमा पांच से 14 वर्ष तक के बच्चे में फैल सकता है। इसके बाद फिर 40 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने के बाद व्यक्ति में अस्थमा जैसी बीमारी पनप सकती है। श्री द्विवेदी ने कहा कि अस्थमा से होने वाली मौतों का कारण अस्थमा का सही समय पर पता न चलना व इलाज न होना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार 2005 में 300 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित थे। जिसमें दो लाख 55 हजार लोगों की मौत हुई है, अतः लोगों को इस बीमारी के प्रति सतर्क रहना चाहिए और लक्षण दिखायी देने पर नजदीकी व अनुभवी चिकित्सक से सलाह मशबिरा लेना चाहिए।