लखनऊ : होमगार्ड्स विभाग के आला अफसर समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप लगने के साथ ही विभाग के भ्रष्टाचार पर भी बहस शुरू हो गयी है। इस महकमे में कुछ ऐसे चेहरे उजागर हुए हैं, जो आला अफसर के निर्देशों की भी अनदेखी करते रहे हैं। ऐसे लोग किनके चहेते हैं और किनके प्रभाव में अपनी मनमानी कर रहे हैं, यह मुद्दा भी उछल गया है।
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11 दिसंबर 2012 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जब होमगार्ड्स दिवस पर परेड में शामिल होने गये, तब उन्होंने विभाग में सुधार के लिए निर्देश दिए और होमगार्ड्स के हित के लिए कई घोषणाएं भी कीं। मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुरूप सबको समान रूप से ड्यूटी मिलने के लिए तत्कालीन डीजी अतुल ने साफ्टवेयर तैयार कराया और कंप्यूटरीकृत ड्यूटी की व्यवस्था कराई। सूबे के सभी जिलों में यह व्यवस्था लागू हो गयी, लेकिन लखनऊ जैसे जिले में लागू नहीं हो पायी। डीजी के निर्देश के बावजूद कमांडेंट ने अपनी व्यवस्था जारी रखी। नाराज डीजी ने लखनऊ के कमांडेंट के निलंबन के लिए लिख दिया। बताते हैं कि यह कमांडेंट अपने डीजी पर भारी पड़ा और उनके खिलाफ मुहिम में जुट गया। डीजी को इस बात पर भी एतराज था कि जिस कमांडेंट के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप पत्र दाखिल हो वह राजधानी में कैसे तैनात रह सकता है। इस बीच डीजी होमगार्ड्स का तबादला पीएसी में हो गया। होमगार्ड्स विभाग के कई अधिकारियों ने बताया कि पूर्व डीजी अतुल ने पारदर्शी व्यवस्था शुरू की थी। नतीजा यह रहा कि पहले विधानसभा पर हमेशा होमगार्ड्स अपनी मांग लेकर प्रदर्शन करते थे, लेकिन जनवरी के बाद एक भी होमगार्ड्स प्रदर्शन करने नहीं आया।
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