सीओ हत्याकांड में भगोड़े एसओ की गिरफ्तारी की सुगबुगाहट

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लखनऊ : सीओ समेत तिहरे हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ टीम के शिकंजे में हथिगवां के निलंबित एसओ मनोज शुक्ला फंसते दिख रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी होने की सुगबुगाहट से अन्य पुलिस कर्मी भी सहम गए हैं। जानकारी के अनुसार प्रधान की हत्या की सूचना एसओ मनोज शुक्ला से मिलने के बाद सीओ जियाउल हक कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्र, उनके हमराहियों, एसएसआइ विनय सिंह, गनर इमरान के साथ बलीपुर चौराहे पर पहुंच गए, लेकिन उस समय तक मनोज शुक्ला वहां नहीं पहुंचे थे।
CO Murdered in Kunda0हथिगवां थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव में दो मार्च को जो घटना (प्रधान नन्हें यादव, उनके भाई सुरेश और सीओ जियाउल हक की हत्या) हुई। उसी दिन से हथिगवां पुलिस की भूमिका पर अंगुली उठने लगी थी। सुरेश और सीओ की मौत प्रधान नन्हें की हत्या के बाद उपजे आक्रोश के कारण हुई। इस बात से हर कोई इत्तेफाक रखता है। लेकिन नन्हें की हत्या की तह तक सीबीआइ पहुंची तो यह पाया गया कि कामता और नन्हें के बीच चल रही रंजिश के मामले में हथिगवां पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
घटना के लगभग हफ्ते भर पहले बलीपुर चौराहे पर प्रधान व उनके परिजनों ने कामता पाल की पिटाई कर दी थी। उस मामले में हथिगवां थाने पर शिकायत की गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। कामता के बेटों ने जब यह जान लिया कि पुलिस से उसे कोई मदद नहीं मिलेगी तो उन्होंने प्रधान से बदला लेने की ठान लिया। फिर मौका मिलते ही उसी स्थान पर ताबड़तोड़ फायर करके प्रधान नन्हें को मौत की नींद सुला दिया।
अब तक की जांच में सीबीआइ इस नतीजे पर पहुंची है कि अगर प्रधान और कामता के बीच चल रही रंजिश में हथिगवां पुलिस ने निरोधात्मक कार्रवाई की होती तो शायद यह घटना न होती। सीबीआइ ने जांच में यह भी पाया है कि प्रधान की हत्या की सूचना एसओ मनोज शुक्ला से मिलने के बाद सीओ जियाउल हक कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्र, उनके हमराहियों, एसएसआइ विनय सिंह, गनर इमरान के साथ बलीपुर चौराहे पर पहुंच गए, लेकिन उस समय तक मनोज शुक्ला वहां नहीं पहुंचे थे। इन सब बिंदुओं पर गौर करने के बाद सीबीआइ मनोज शुक्ला पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। इसकी भनक लगने से अन्य भगोड़े पुलिस कर्मी भी सहम गए हैं। अब देखना यह है कि तिहरे हत्याकांड में कितने पुलिस कर्मियों पर गिरफ्तारी और बर्खास्तगी की गाज गिरती है।

विदित है कि जेएनआई काफी पूर्व में ही सीओ के साथ गये पुलिस कर्मियों पर हत्‍या में सम्‍मिलित होने की संभावना व्‍यक्‍त की थी। सीबीआई शुरू से ही भगोड़े पुलिस कर्मियों को संदिग्‍ध मानकर चल रही थी।