फर्रुखाबाद: देश की भावी पीढ़ी को पढ़ाने के लिए शासन द्वारा मैरिट के आधार पर गुरुजनों की भर्ती की जा रही है। प्रति माह 25 हजार से अधिक का मोटा वेतन पाने के लिए शिक्षक बनने के पेशे में फर्जी शैक्षिक अंकपत्रों एवं प्रमाणपत्रों के सहारे कई लोगों ने नौकरी पा ली है। विशिष्ट बीटीसी 2004 में मैरिट के आधार पर विकासखण्ड मोहम्मदाबाद के ग्राम जमुनापुर निवासी देवेन्द्र सिंह पुत्र चन्द्रसिंह ने 10 वर्ष में हाईस्कूल उत्तीर्ण करने की फर्जी अंक तालिका के सहारे अपना चयन करा लिया। डायट छिबरामऊ से सैद्धान्तिक व विद्यालय में क्रियात्मक प्रशिक्षण पूर्ण कर 19 दिसम्बर 2005 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय फर्रुखाबाद में हुई काउंसलिंग में देवेन्द्र सिंह द्वारा 10 वर्ष की आयु में हाईस्कूल करने के असंभव व फर्जी अंक तालिका और प्रमाणपत्र की किसी भी अधिकारी ने गहनता से जांच नहीं की। इतना ही नहीं देवेन्द्र सिंह ने हाईस्कूल अंकपत्र का फर्जी सत्यापन जमा करा दिया और प्रतिमाह इनको वेतन भुगतान किया जाने लगा।
वर्ष 2009 में देवेन्द्र सिंह के प्रेम विद्यालय रैसेपुर से उत्तीर्ण हाईस्कूल प्रमाणपत्र वर्ष 1975, अनुक्रमांक 513820 जिसमें एक जनवरी सन 1965 जन्मतिथि अंकित है को प्रस्तुत कर तीन वर्ष पूर्व शिकायत हुई थी। तब से शिकायत पर देवेन्द्र सिंह का वेतन रोक दिया जाता है और यूपी बोर्ड इलाहाबाद कार्यालय से जांच के नाम पर जांच न आ पाने की आख्या पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती।
मजे की बात यह है कि प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक पद पर 6 वर्षों से फर्जी हाईस्कूल के अंकपत्र से कार्यरत देवेन्द्र सिंह को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर द्वारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय गठवाया विकासखण्ड नबावगंज में सहायक अध्यापक पद पर पदोन्नति दी गयी है। देवेन्द्र सिंह के विषय में एक आरटीआई कार्यकर्ता ने जिला विद्यालय निरीक्षक फर्रुखाबाद को हाईस्कूल परीक्षा 1975 के अंकपत्र का सत्यापन प्रेम विद्यालय इंटर कालेज रैसेपुर से कराने को दिये गये आवेदन पर प्रधानाचार्य प्रेम विद्यालय इंटर कालेज रैसेपुर ने हाईस्कूल परीक्षा 1975 अनुक्रमांक 513820 को असत्य बताया है।
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फर्जी शिक्षक देवेन्द्र सिंह की जिले के ही इंटर कालेज से वर्ष 1975 में हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण न करने की आख्या प्राप्त हो जाने के बाद भी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद द्वारा उसकी बर्खास्तगी की कार्यवाही नहीं की गयी है। देवेन्द्र सिंह द्वारा जो हाईस्कूल परीक्षा 1975 का अंकपत्र में दर्ज अनुक्रमांक 513820 दिया गया है। वह अनुक्रमांक प्रेम विद्यालय इंटर कालेज रैसेपुर में उपलब्ध गजट में ओमेन्द्र प्रताप सिंह को आवंटित था और ओमेन्द्र सिंह ने ही हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की। मजे की बात है कि यह ओमेंद्र प्रताप पहले ही प्रशिक्षण के दौरान ही वर्ष 2005 में डायट छिबरामऊ से निकाला जा चुका है। लेकिन देवेन्द्र सिंह को फर्जी हाईस्कूल अंकपत्र से नौकरी पाने पर सेवा से बर्खास्त नहीं किया गया है और न ही इनके विरुद्व प्राथमिकी दर्ज कर इनको भुगतान किये गये वेतन की वसूली करने में बेसिक शिक्षा विभाग लापरवाही बरत रहा है।