चित्र ही जीवन की सर्वश्रेष्ठ यादगार है

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फर्रुखाबाद: विश्व फोटोग्राफी दिवस पर आयोजित फोटोग्राफी की प्रदर्शनी के आयोजन में आयोजित गोष्ठी में  फोटोग्राफी पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि भारत में फोटोग्राफी अंग्रेजों के साथ ईष्ट इण्डिया कंपनी की स्थापना में शासन प्रशासन में कलकत्ता, बंगाल, महाराष्ट्र, मद्रास, बंग्लौर में 16वीं-17वीं शताब्दी में आयी। तब से लेकर आज तक विश्व फोटोग्राफी का विकास होता चला आ रहा है। फर्रुखाबाद में भी फोटोग्राफरों की अग्रणी भूमिका है। इस दौरान कहा गया कि मानव के जीवन की चित्र ही सर्वश्रेष्ठ यादगार हैं जो हमें बीते हुए पहलुओं को ताजा करने में मदद करती है।

विश्व फोटोग्राफी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों, प्राकृतिक सौन्दर्य, शहर में फैली गंदगी, आस्था का कुम्भ लोक जीवन, लोक कला आदि की मनमोहक फोटोग्राफी की प्रदर्शनी प्रस्तुत की गयी। इस दौरान सोनी गुप्ता ने प्रकृति के फूलों का सौन्दर्य, अतुल कपूर के सामसामयिक कार्टून, जनजन के विविध आयाम, आलोक राजपूत लोक जीवन, लोक कला, दीपक गौड़ भक्ति में शक्ति, चन्द्रशेखर कटियार आस्था का कुम्भ, टिंकू दीक्षित ने शहर में फैली गंदगी की फोटोग्राफी प्रस्तुत की। विलेज विजन पत्रिका से सुनील अवस्थी ने धर्म और संस्कृति, आजादी की उमंग, ग्रामीण जीवन, रंगोली, भानुशंकर वर्मा ने फर्रुखाबाद की रामलीला आदि के फोटोग्राफी नमूने प्रस्तुत किये।

इस दौरान फर्रुखाबाद के प्रख्यात कवि ओमप्रकाश मिश्र कंचन, एशियन कम्प्यूटर के निदेशक सुरेन्द्र पाण्डेय, निमिष टन्डन, सुनील शुक्ला, राजव रस्तोगी, अनुभव सारस्वत, मनोज रस्तोगी, ज्यौत्सना सक्सेना, बृजेश आदि मौजूद रहे।