खबर का असर: आखिर ऐशगाह से बाहर निकले पालिकाध्यक्ष के पति

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फर्रुखाबाद: शहर में गंदगी, कीचड़, बजबजाती नालियां व चोक नालों के कारण गंदे पानी के जलभराव से त्राहि-त्राहि करती जनता की आवाज की प्रतिध्वनि जेएनआई के माध्यम से पालिकाध्यक्ष के महल तक पहुंचही गयी। स्वयं वत्सला अग्रवाल तो नहीं, हां उनके एमएलसी पति मनोज अग्रवाल जरूर आज छावनी का नाला देख्नने जा पहुंचे। इस दौरान कीचड़ भरी नालियों में रह रहे लोगों की कातर निगाहें व कुछ के कड़ुवे बोल शायद श्री अग्रवाल पर असर कर गये हों, और शहर की हालत में कुछ सुधार हो जाये, ऐसी हमारी आशा न सही कामना तो है ही।

विदित है कि रविवार को जेएनआई ने  “रमजान व रक्षाबंधन: जनता को कीचड़,गंदगी और जलभराव में छोड़ वत्सला देशाटन पर” के शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इस समाचार में शहर में उल्लेख किया गया था कि मुस्लिमों का रमजान का पाक महीना है। दो दिन बाद हिंदुओं का रक्षाबंधन का त्योहार है। इस समय शहर में जगह-जगह बजबजाती नालियां, सड़ांध मारते कूड़े के ढेर, चोक पड़े नाले और जलभराव के कारण घुटनों तक पानी से निकलती महिलायें व गोते खाते बच्चे आम नजारा हैं।  इस सबके बीच शहर की दुर्दशा पर बात करने के लिये समय चाहने के क्रम में, उनके एमएलसी पति माननीय मनोज अग्रवाल ने बताया कि वह आजकल कहीं देशाटन पर हैं।

परंतु जेएनआई पर समाचर की व्यापक जनप्रतिक्रिया के बाद उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द होने की सूचना जेएनआई को दी परंतु अपनी पालिकाध्यक्ष पत्नी के साक्षात्कार की बात फिर भी टाल गये। सोमवार को समाचार का असर नजर आया। पालिकाध्यक्ष वत्सला अग्रवाल तो फिर भी शहर में नहीं निकलीं परंतु उनके एमएलसी पति मनोज अग्रवाल कुछ दरवारियों के साथ छावनी स्थित नाले का हाल देखने अवश्य पहुंच गये। रास्ते में उनको कई कीचड़ भरी गलियों से गुजरना पड़ा। इस दौरान इन नारकीय गलियों में रहने वाले नागरिकों, महिलाओं व बच्चों की कातर निगाहों से बचते बचाते मनोज अग्रवाल व उनके दरवारी नाले तक पहुंचे। यहां पर भी नागरिकों ने उनके सामने अपनी भड़ास निकाली। शायद कर्तव्यबोध के अतिरेक में ही श्री अग्रवाल नाले के फंसी पड़ी पीपल के पेड़ की जड़ पर चढ़ कर नाले में झांकने में पहुंच गये। जहां से उनको बाद में लोगों ने सहारा देकर निकाला।

इस अवसर पर श्री अग्रवाल ने नागरिकों को शीघ्र ही नाले की सफाई का आश्वासन दिया।