Monday, January 13, 2025
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तहसील पर दलालों का कब्जा, आय जाति प्रमाणपत्र बनाने में मनमानी

फर्रुखाबाद:  तहसील सदर में आय-जाति व मूलनिवास प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अभ्यर्थी परेशान हो रहे हैं, वहीं तहसील परिसर में दलाल अभ्यर्थियों की परेशानी “कैश” कराने के लिए सक्रिय हो गये हैं। 100 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की वसूली खुले आम की जा रही है। बाकायदा सरकारी भवन में यह बाहरी तत्व सरकारी कर्मचारियों की तरह धड़ल्ले से काम कर रहे हैं। लोग इसमेंकर्मचारियों की व कर्मचारी अपने अधिकारियों की भागीदारी बता कर पल्ला झाड़ रहे हैं। मजे की बात है कि कहीं दूर नहीं, यह जिला मुख्यालय की तसहील सदर का नजारा है।

तहसील पर दूर दराज से आने वाले अभ्यर्थियों, विशेषकर छात्रों को खुले आम लूट रहे लोगों को न तो छात्रों की भावनाओं का कोई ख्याल है और न ही किसी कार्यवाही का डर। रिश्वतखोरी का खुला ताण्डव तहसील परिसर में चल रहा है। कर्मचारियों ने किराये पर दलाल छोड़ रखे हैं। जो सरकारी तहसील कर्मचारियों का फार्म जमा करने से लेकर बांटने तक का पूरा काम करते हैं। आखिर कौन हैं यह दलाल जो तहसील में फार्मों का आदान प्रदान कर रहे हैं। यह बात बताने के लिए कर्मचारी कन्नी काट रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो यह दलाल छात्रों से पूरे प्रमाणपत्र जमा करने से लेकर बनाकर देने तक का ठेका ले लेते हैं और इससे वह अच्छी धन उगाही तो करते ही हैं। वहीं अनजान दूर दराज से आये ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र इन्हीं को कर्मचारी समझकर जी हुजूरी करते नजर आते हैं और कर्मचारी मौके से इधर उधर होकर पूरे घटनाक्रम को अंजाम दे देते हैं। प्रति दिन न जाने कितने अभ्यर्थी इन दलालों के शिकंजे में फंसकर अपने सैकड़ों रुपये गंवाने के बाद ही प्रमाणपत्र प्राप्त कर पा रहे हैं और जो दलालों पर दक्षिणा नहीं चढ़ाता वह टेबिल दर टेबिल भटकता रहता है।

तहसीलदार ने बताया कि कार्यालय में कोई बाहर का व्यक्ति नहीं है सभी कर्मचारी ही कार्य करते हैं।

कम्प्यूटर में प्रमाण पत्र चढ़वाने की अलग फीस

आय, जाति व मूल निवास प्रमाणपत्रों को इंटरनेट पर चढ़वाने के लिए दलाल अलग से 100 रुपये से लेकर 150 रुपये तक ले लेते हैं। इतना ही नहीं इन मासूम छात्रों को यह धमकी दी जाती है कि यदि वह इंटरनेट पर चढ़वाने के लिए अलग से रुपये नहीं देंगे तो उनका प्रमाणपत्र इंटरनेट पर नहीं चढ़ाया जायेगा। छात्र भी बजीफे इत्यादि में लाभ लेने के उद्देश्य से रुपये देना ही मुनासिब समझ रहे हैं। कुछ दलाल तो पैसा लेकर भी फर्जीबाड़ा कर रहे हैं। वह छात्रों से इंटरनेट पर चढ़वाने के रुपये तो ले लेते हैं, लेकिन रजिस्टर में चढ़वाने के अलावा इंटरनेट पर नहीं चढ़वाते। वहीं विभागीय कर्मचारी भी रजिस्टर में तो सभी फार्म दर्ज करते हैं लेकिन इंटरनेट पर वही नाम चढ़ाते हैं जिससे अतिरिक्त रुपये आये होते हैं।

इतना नहीं इंटरनेट पर इंट्री के दौरान कुछ अभ्यर्थियों के प्रामणपत्रों के विवरण में जानबूझ कर त्रुटि कर दी जाती है। जिससे बाद में वह अभ्यर्थी विवरण सही कराने के लिये चक्कर काटता फिरता है।

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