फर्रुखाबाद: इस नगर के हालत ऐसे कभी न थे| चंद लुटेरो ने इस नगर को लूट लिया| सार्वजनिक जमीने कब्ज़ा कर ली, नाले तालाब कब्ज़ा कर बेच खाए और यही नहीं सार्वजनिक मूत्रालय, शौचालय और प्याऊ भी कब्ज़ा कर लिए| इस पूरे खेल में नगरपालिका के कर्मचारी और अधिकारी इस लूट की मलाई खाने के साझेदार रहे| और अफसरों और कर्मियों की तो बात इतर खुद जन प्रतिनिधिओ ने भी ये सारे लूट करे और कराये|
नगर के चौक से लेकर ठंडी सड़क तक और लालगेट से लेकर थाना मऊ दरवाजा स्थित ऐतिहासिक कब्रगाहो तक पर कब्ज़ा है| जन प्रतिनिधिओ और उनके चहेतों ने तमाम नजूल की जमीने धोखाधड़ी कर, लेखपालो द्वारा अभिलेखों में हेराफेरी कर हथिया ली| नगर में पानी निकलने के रास्ते बंद हो गए| तालाबो पर कालोनियां बनाकर बेच दी गयी, यही नहीं जब कोई शिकायत हुई जांचा अधिकारी जो अधिकतर एस डी एम स्तर के थे अपने हाथ काले कर चले गए| ये अंधेरगर्दी इस शहर के वाशिंदों ने की है| जो कभी कंगाल थे अब इन्ही काले कारनामो की बदौलत नगर के रहीसो में गिनती कराते है|
त्रिपोलिया चौक, नगर का मुख्य चौक बाजार| इसके एक दरवाजे को रंग पोत कर अपना नाम अमर करने की चाहत में एक साहब ने क्या कुछ नहीं किया मगर इसी दरवाजे के दूसरे छोर पर कड़ी बहुमंजिला ईमारत जिसे लोग टाइम सेंटर कहते है के नीचे से पालिका का नाला खुलवाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए| जानकर बताते हैं कि इस ईमारत के नीचे होकर मुख्य नाला बहता था| जिसके अवशेष अभी भी मौजूद हैं| पहले खोखा रखा फिर छत डाली अब बहुमंजिला ईमारत है| नगर का नक्शा जिसके छप्पन टुकड़े हैं कब्जेदारो ने अपने कब्जे का टुकड़ा ही गायब करवा दिया| अब नगर का पुराना नक्शा एक पुराने रईस खान साहब के पास है जिसके दम पर अभी यह तय है कि आधे नगर को लुटेरो ने बेच डाला है|
चंद लाइने जो रुआबिल रहे नगर को बेतरतीब और नरक बनाने पर सटीक हैं-
न कारखाना लगा और न कोई उद्योग फिर भी रहीस हुए कुछ लोग|
जमघट जो तेरी ड्योडी पर लगा है उसमे लुटेरो की है भीड़||
पहुचेगा शमशान जब तेरा जनाजा, तेरे रहीसपन की चर्चा होगी|
चलो कम हुआ एक लुटेरा, घर लौटे हम लोग||