….आखिर अस्पताल गेट पर ही क्यों होता है प्रसव

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कायमगंज (फर्रुखाबाद): प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का रत्ती भर भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह ग्रामीण क्षेत्र की अशिक्षा कहो या फिर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही व भ्रष्टाचार। एक सप्ताह में कायमगंज सामुदायिक स्वास्थ्यकेन्द्र के गेट पर तीन प्रसव हो चुके हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन ने प्रसव के उचित इंतजामात के लिए कोई कारगर उपाय सोचना मुनासिब नहीं समझा। अस्पताल के कर्मचारी व डाक्टरों की लापरवाही की शिकार आये दिन ग्रामीण महिलायें हो रहीं हैं जिसे कोई देखने वाला नहीं है।

मंगलवार को एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की धज्जियां उड़ते तब देखी गयीं जब एक कंपिल क्षेत्र के ग्राम शाहपुर निवासी हरिओम की पत्नी राजेश्वरी ने प्रसव पीड़ा से घंटों अस्पताल गेट पर तड़प-तड़प कर एक बच्ची को जन्म दे दिया। अब राजेश्वरी को क्या पता यह उसकी गरीबी का खामियाजा है या प्रदेश सरकार की ढिलमुल स्वास्थ्य व्यवस्था। जो भी हो सामुदायिक स्वास्थ्यकेन्द्र कायमगंज में आये दिन कहीं बैलगाड़ी पर प्रसव, कहीं ट्रैक्टर ट्राली पर प्रसव, कहीं तांगे पर प्रसव इत्यादि अब आम हो गया है। यह सब अस्पताल के कर्मचारी व डाक्टरों की हीलाहवाली से हो रहा है। ग्रामीण घंटों अस्पताल गेट पर खड़े होकर मरीज भर्ती करने की डाक्टरों व नर्सों से मिन्नतें करते हैं। लेकिन इन डाक्टरों का दिल तब तक नहीं पसीजता जब तक पीड़ित मरीज को दिक्कतों की हद पार नहीं हो जाती। आखिर चीखते_चीखते महिलायें या तो जान गवां देते हैं या भगवान भरोसे बच्चे को अस्पताल गेट पर ही जन्म दे देते हैं।

एसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियो को इस बात की जानकारी नहीं है। अपने विभाग की भ्रष्ट व ढिलमुल कारगुजारी कहीं उजागर न हो जाये इससे स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इन लापरवाह डाक्टरों व नर्सों पर कार्यवाही करने से भी मुकर जाते हैं।