कैमरे की नजर से चप्पे चप्पे पर नजर- फर्रुखाबाद का मतदान- कहीं सन्नाटा तो कहीं उत्साह

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फर्रुखाबाद नगर निकाय का मतदान शुरू हो गया है| चप्पे चप्पे पर जे एन आई के रिपोर्टर आपके लिए और यहाँ की जनता के लिए मेहनत कर तस्वीरे इकट्ठी कर रहे है| ये जनसेवा ही है जो आपको घर बैठे चुनाव और मतदान का एक एक नजर देखने को मिला है|
हमारी कोशिश है की तस्वीर बदलनी चाहिए| जो नेता विकास का दावा करते रहे उन्होंने कोई एहसान नहीं किया| ये जनता का पैसा था जो जनता के विकास के लिए खर्च होना था| हाँ इसमें जो पैसा कमीशन के रूप में सरकारी नौकरों, ठेकेदारों और अध्यक्षों सभासदों ने बाट लिया वो पैसा आपका था| इसे भी विकास में खर्च होना था| ये कोई छोटी मोटी धनराशी नहीं कुल विकास का आधा पैसा रहा| इसका हिसाब जरुर लीजियेगा| फर्रुखाबाद जैसे विकासशील और चिंतनशील लोग यदि जात धर्म और कुनबे के नाम पर वोट करेंगे तो बड़े शर्म की बात होगी|
पांच साल तक नेता हमें ठगता है| इसका हिसाब करने का मौका हमें एक बार ही मिलता है| 10 साल में विजय सिंह के 6 करोड़ का विकास कार्य बनाम मनोज अग्रवाल के 5 साल में 23 करोड़ के विकास कार्यो का हिसाब होना है| तस्वीर भी कुछ ऐसी नजर आ रही है|
विकास के नाम पर जो कुछ हुआ वो अब जनता से छुपा नहीं है| सड़को के नीचे लगने वाला मटेरिअल सफा गायब है| एक एक गली भर्ष्टाचार की भेट चढ़ी है| एक एक खभे पर एक एक महीने में तीन तीन बार सीऍफ़एल लाइट बदली गयी है| क्यूँ? आम आदमी भी जो सी ऍफ़ एल खरीद कर लाता है उसकी एक साल की गारंटी होती है| मगर यहाँ ऐसा नहीं हुआ| अब मतदान के दिन और चुनाव प्रचार में आप अगर जात पात धर्म को सोचते रहे तो ये सबसे बड़ा पिछड़ापन होगा|

और यही नेता चाहता है| आपको पौवा और दारु पिला कर नशे में रखना चाहता है| मीडिया में पैसे देकर विज्ञापन के दबाब में मनमानी खबरे छपवाता है| क्या कारण है की वार्ड 9 में पकड़ी गयी एक प्रत्याशी के समर्थक के घर से लिखने के बजाय अखबारों ने जोर शोर से गृह स्वामी राम तीर्थ कटियार का नाम जोर शोर से छापा और वत्सला के स्टीकर लगी गाडी जो मनोज के व्यापारिक पार्टनर (बेनामी भी हो सकते है) उमेश अग्रवाल की थी उसे एक पूर्व सभासद के बिना नाम के छापा गया| जरा सोचिये-