शर्मनाक- नगरपालिका के पास शिकायत तक सुनने के लिए न फोन है और न आदमी

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लानत है ऐसी व्यवस्था पर जिसमे जनता के लिए व्यवस्था का दावा करने वाली संस्था नगरपालिका के पास शिकायत सुनने के लिए न फोन है और न ही कोई काउंटर| फतेहगढ़ से फर्रुखाबाद युग्म नगरो में नगरपालिका के पास तीन स्थानों पर अपने बड़े भवन है| मगर नगरपालिका का दफ्तर अध्यक्ष के चुने जाने के बाद चेयरमेनो के घर पर चला जाता है| यानि जनता कोई समस्या हो तो वो इन नेताओ के घरो पर जाए| माहौल किसी रजा रजवाड़े जैसा लगता है| दरबार में शिकायत सुनाने से पहले चेले चमचो से मिलना पड़ता है|

नगरपालिका का दफ्तर शहर के एक छोर पर है जहाँ आम आदमी को छोटी मोती रोजमर्रा की शिकायत पहुचाने के लिए अपने दिन का हर्जा करना पड़ेगा| और मान लो वो पहुच भी गया तो कौन शिकायत सुनेगा इस बात की कोई प्लेट या सूचना पटल नहीं लगाया गया| पिछले पन्द्रह सालो में फर्रुखाबाद की नगरपालिका के अध्यक्षों ने पालिका के साथ रखैल से भी बुरा व्यवहार किया और अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया| जब जैसे चाहा वैसे नचाया| रखैल को सेवा के बदले पैसा तो मिलता है, यहाँ तो शोषण भी किया और पैसा भी लूटा गया|

नगरपालिका फर्रुखाबाद का एक दफ्तर फतेहगढ़ बाजार में है| शहर के बीचो बीच लाल सराय पर टंकी के पास खली भवन बने पड़े है| लाल गेट चौराहे पर चुंगी घर का भवन है| मगर इतनी जगह होने के बाबजूद शिकायत कक्ष एक भी नहीं| जाहिर है पालिका के पालनहार अध्यक्ष नहीं चाहते थे कि जनता कोई शिकायत करे| लिहाजा न शिकायत कक्ष या फोन होगा न शिकायत आएगी|

गली गली विकास और सेवा का ढिंढोरा पीटने वाले ये नेता केवल चुनाव तक अपने दरवाजे आये है| इसके बाद ये अपने महलो में मिलेंगे जिसके दरबारी आपकी मुलाकात कराने के लिए बीच में रहेंगे| मिलेंगे कब और किस समय इस बात की कोई सूचना नहीं होगी| आपके मोहल्ले में पानी भरेगा| नेता नहीं आपके दरवाजे आएगा| आपके मोहल्ले में नेता नहीं आएगा पूछने| तब ये नेता ये जिम्मेदारी नगरपालिका के कर्मचारियो और अफसरों की बताएगा| यानि वोट ये लेगा और जिम्मेदारी नौकरों की बताएगा| कितना चतुर और चालक है ये नेता| ये गलबहिया डाल रहा है| ये जात बिरादरी के सपने बुन रहा है| ये पार्टी का मुलम्मा दिखा रहा है| पार्टी के नेताओ को बुलाकर पार्टी के देश सुना रहा है| जब आपके मोहल्ले में पानी भरा होगा तब न पार्टी होगी और न इनके नेता| ये लिखने समझने की बात नहीं समझने की है| हर साल भुगतते है| इसलिए सोच समझ आकर अपना वोट दे|

पूरे चुनाव में किसी नेता ने ये नहीं बताया कि वो इस शहर का विकास कैसे करेगा| जल भराव की समस्या कैसे दूर करेगा| दो मंजिल तक पानी कैसे पहुचायेगा| जिस मोहल्ले में गंदगी मिली उसे कैसे दूर करेगा| सप्ताह में कितने घंटे, कब और कहाँ आपकी समस्या सुनने के लिए मिलेगा| जाम से मुक्ति कैसे दिलवाएगा| नगर और बाजार में पार्किंग की व्यवस्था कैसे करेगा| क्या नगरपालिका के हर दस्ताबेज खरीद फरोख्त जनता के लिए उपलब्ध होंगे? होने चाहिए? क्यूंकि जनता कर चुकाती है उसी कर से विकास व् अन्य कार्य होता है| विकास का काम कोई नेता अपने घर से नहीं कराता| ये जनसेवक है| हमारी सेवा के लिए मौका मांग रहा है| जीतने के बाद हकूमत करेगा| फिर जो ये कहेगा वही सत्य होगा वाकी सब दोषारोपण तक सीमित रह जायेगा|

सोची जे-एन-आई के साथ—-