भ्रष्टाचार और गोलमाल छिपाने के लिए BSA दफ्तर में चोरी की पुरानी परम्परा

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फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा कार्यालय फतेहगढ़ में गड़बड़ी और गोलमाल के खेल कोई नया नहीं नहीं| हर फ़ाइल में दाग है और उसमे छुपे है घोटालो के रहस्य| इन्ही रहस्यों को दफ़न करने के लिए समय समय पर दफ्तर में चोरी की शिकायत थानों में जाती रही और उसकी एक कापी नयी फ़ाइल में चस्पा कर घोटालो का गला घोटती रही है| वर्तमान में शिक्षा मित्रो की नियुक्ति के घोटालो से लबरेज फ़ाइल गायब हो गयी, इससे चंद महीने पहले मिड डे मील की पूर्व समन्वयक नीलू मिश्र की नियुक्ति वाली फ़ाइल भी ऐसे ही गायब (चोरी नहीं) हुई थी| बसपा में मंत्री रहे अनंत कुमार मिश्र के जनपद आगमन के साथ ही नीलू मिश्र की एंट्री हुई थी| बेसिक शिक्षा अधिकारी राघवेन्द्र बाजपाई भी उन्ही के चरण बंदना से शिक्षक से अधिकारी बन गए| और फिर जैसे पत्नी के ससुराल से आये रिश्तेदार को कुछ भी करने की छूट दी जाती है उन्हें भी मिली| तीन साल तक मिड डे मील का मट्ठा करने के बाद जब मीडिया की दखलंदाजी ज्यादा हो गयी, शिकायतों का अम्बार लगने लगा, अनंत कुमार मिश्र भी माया सरकार में कुछ हलके हुए, और इमानदार डीएम रिग्जियान सेम्फेल की मेज पर जब नीलू मिश्र की नियुक्ति और संविदा का नवीनीकरण की फ़ाइल गयी तो फिर लाख जोर लगाने के बाद भी नीलू मिश्र की संविदा आगे न बढ़ सकी|

लगभग हर बेसिक शिक्षा अधिकारी और अधिकांश जिला शिक्षा समिति के अध्यक्ष के रूप में रहे जिलाधिकारियो ने आंख बंद कर फ़ाइल के साथ आये “वजन” को तौला और निरंतर चल रहे भ्रष्टाचार को अग्रसारित कर दिया| वर्तमान में डीएम मुथुकुमार स्वामी के तेवर देख बेसिक शिक्षा विभाग की फाइलों में कैद भ्रष्टाचार का कैंसर दफ़न करने का सबसे बढ़िया यही तरीका था, चोरी का नाटक रचने का| एक स्क्रिप्ट लिखी गयी, जिसमे चोरी कराने से लेकर जाँच कौन कौन करेगा और कैसे मामले को रफा दफा किया जायेगा| पुलिस को कौन मेनेज करेगा| घोटालो को छिपाने के लिए कितना खर्च आएगा, उसका चंदा कौन कैसे करेगा | कौन मंत्री जी से दबाब बनवाएगा और कब THE END होगा ये तक स्क्रिप्ट में शामिल है|

इस दफ्तर में स्कूलों की मान्यता, आकस्मिक छापो में पायी गयी कमियों पर जारी चिट्ठियां, मिड डे मील के पुराने रिकॉर्ड, गड़बड़ नियुक्तियो के दस्ताबेज, मुफ्त किताबो की खरीद वितरण के पुराने दस्ताबेज छात्रवृति सम्बन्धी पुरानी फाइलों सहित दफ्तर में खरीदे गए फर्नीचर तक के रिकॉर्ड गायब है| फ़ाइल के साथ साथ इस विभाग के कंप्यूटर, कूलर, स्टेबलाइजर, यूपीएस, कंप्यूटर प्रिंटर सहित बच्चो की साइकिल, झूले तक गायब है| क्या क्या खोजा जायेगा| नौनिहालों के लिए आये पैसे को पिछले कई सालों से लूटने का जो तंत्र बाबुओ ने खड़ा किया उसमे बेसिक अधिकारी से लेकर जिस बड़े अधिकारी के दस्खत के अधिकार रहे, केवल भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगा कर चले गए|

हर सख्त चेतावनी की चिट्ठी के साथ भ्रष्टाचार की गुंजाईश वाले शब्द हमेशा लिखे गए| इसी जनपद में लगभग 150 फर्जी स्कूल बनाकर करोडो का फर्जी वजीफा डकार गया| इसमें भी बाद में जब मीडिया का शिकंजा कसा गया तो धीरे धीरे स्कूल ख़त्म किये गए मगर जो सरकारी पैसा डकार लिए गया उसकी वसूली और उन जिम्मेदार सरकारी नौकरों पर कोई कारवाही नहीं हुई जिन्होंने इसे रचा था| जाहिर जब भी शिकायत हुई या खबर छपी, जाँच की फ़ाइल के साथ वही “वजन” जिले की सर्वोच्च या जिसे इंचार्ज बनाया गया उसका ईमान खरीदने में कामयाब रहा|

अब तक यहाँ मिड डे मील घोटाला, शिक्षा मित्र के फर्जी दस्ताबेजो का घोटाला, कम्पूटर खरीद घोटाला, निशुल्क पुस्तक घोटाला, फर्जी मृतक आश्रित नियुक्ति घोटाला, फर्जी शिक्षको की नियुक्ति घोटाला, फर्जी शिक्षा समितियो के गठन का घोटाला, सिलाई मशीन घोटाला, झूला घोटाला, गायब शिक्षको के वेतन आहरण से सम्बन्धित घोटाला, स्कूलों में लगे कम्पूटर मेंटिनेंस घोटाला सहित एक दर्जन मामले समय समय पर सुर्खियाँ बने है| मगर घोटालेबाज के मामूली आर्थिक नुकसान के आलावा कोई ऐसी नजीर नहीं बनी जिससे घोटालेबाजो के दिल दहले और नए घोटालो पर अंकुश लग सके|

लगभग हर कुर्सी पर रावण बैठे है इतने राम कहाँ से आयेंगे|