फर्रुखाबाद: एक जमाना था लोग बड़े घरानों की बहुओं के गले के आभूषणों की कीमतों के बारे में अनुमान लगाया करते थे। परंतु अब जमाना बदल चुका है, और मंहगे आभूषण केवल बैंक-लाकरों की जीनत बनकर रह गये हैं। अब तो शहर के लोग इस बात का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कहीं राजनीति की बिसात पर जीत हार की चालो में कुलवधू के गले में हुआ इन्फेक्शन कोई नया बहाना तो नहीं|
पालिका चुनाव में “भाजपा” ने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। परंतु अघोषित रूप से अभी तक टिकट की दौड़ में सबसे आगे चल रहीं एक संभावित प्रत्याशी के गले में हुआ अचानक “इनफेक्शन” दूसरों के गले नहीं उतर रहा है। अभी कल की ही तो बात है कि पार्टी चुनाव प्रेक्षकों के सामने मैडम के पति देव ने स्वयं व अपने समर्थकों के माध्यम से उनका नाम प्रस्तावित कराया था। अधिकांश लोग मैडम के पारिवार की पृष्ठभूमि को देखते हुए उनको टिकट की दौड़ में सबसे आगे मान रहे थे। परंतु पहले से चल रहे “मैडम” के गले में “सीवियर ब्रोंकाइटिस इन्फैक्शन” को कारण बताकर उनके चुनाव लड़पाने की संभावनाओं पर कयास लगने लगे। जानकार लोगें का दावा है कि इस इनफेक्शन का संबंध एक पूर्व पालिका चेयरमैन की पत्नी के प्रति अचानक उमड़े असीम वात्सल्य से है।
कहते हैं कि छुटती नहीं है गालिब मुंह को लगी हुई। यह बात तो गालिब ने शराब के लिये कही थी, परंतु इससे से भी पुरानी कहावत “शेर के मुंह खून” लग जाने की है। मतलब साफ है कि इतिहास को दोहराने के प्रयास, अर्थात पालिका चुनाव में जो पिछली गणित को एक बार फिर आजमाने की जुगत कहीं लग रही है। नाला विरोधी वोटों को एकजुट कर जीत की जुगत में अगर कुलवधू को गले का इनफेक्शन हो जाये तो अचम्भा नहीं होना चाहिये। परंतु बात यह भी है कि, अतीत में लोगों ने एक साफ सुथरी छवि के पढ़े लिखे सफल युवा व्यापारी को जिस विश्वास और विकास के भरोसे के साथ अपना वोट दिया था, वह आज पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। इतिहास अपने आप को दोहरा पायेगा या नहीं, यह तो अलग की बात है।
हालाँकि मैडम के पतिदेव का कहना है कि चुनाव लड़ने की सम्भावना चूँकि डाक्टरों की सलाह पर निर्भर थी, इसीलिए खुलकर मैदान में नहीं आये| उनका कहना है कि उनके लिए कुर्सी का महत्त्व इंसान के जीवन से बड़ा है| रही बात पूर्व पालिका चेयरमेन से सम्बन्धो की तो उनकी तो मुलाकात तक पिछले छ: माह से नहीं हुई|