पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी देश के अगले राष्ट्रपति के लिए तगड़े उम्मीदवार के तौर पर उभर रहे हैं। रेस में मुलायम, शिवराज पाटिल और हामिद अंसारी भी हैं। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए सरकार के पास संख्या की कमी के बाद उभर रहे समीकरणों से ये तय लग रहा है कि इस बार कोई गैर राजनीतिक उम्मीदवार ही देश का अगला राष्ट्रपति होगा।
नए राष्ट्रपति का चुनाव जून में होना है। कांग्रेस पार्टी ने अगले राष्ट्रपति बनाने के लिए नए चेहरे की तलाश तेज कर दी है। इसके लिए कांग्रेस नेतृत्व संभावित नामों पर चर्चा कर किसी एक पर सहमति बनाने में जुटा है। खासतौर पर ऐसे नाम का चयन करने की कोशिश हो रही हैं जिस पर ज्यादा से ज्यादा सहयोगी दल सहमत हो सकें। लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि देश के अगले राष्ट्रपति के तौर पर कोई गैर-राजनीतिक व्यक्ति ही एक आदर्श पसंद हो सकते हैं। पवार ने कहा कि यूपीए और एनडीए दोनों के पास ही अपनी पसंद के कैंडिडेट को अगला राष्ट्रपति चुनाव जिताने के लिए जरूरी संख्या नहीं है।
उधर, महाराष्ट्र के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने कलाम को प्रेजिडेंट पद का टॉप दावेदार बताया है। दरअसल मुलायम सिंह यादव, एआईडीएमके और ममता बनर्जी कलाम के नाम पर सहमत हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस समेत दूसरे दलों को मात दे चुके मुलायम अब राष्ट्रपति चुनाव में भी अपनी बड़ी भूमिका साबित करना चाहते हैं। राष्ट्रपति चुनाव जून में है, लेकिन रणनीतिक लिहाज से पार्टी ने अभी से दूसरे दलों को टटोलना शुरू कर दिया है। खास तौर पर उन दलों से जिन्हें कांग्रेस से परहेज है।
बीते दिनों कोलकाता में तृणमूल काग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से एसपी के राज्यसभा सदस्य किरनमय नंदा की मुलाकात का मकसद भी राष्ट्रपति चुनाव ही बताया जाता है।
मालूम हो कि मंगलवार से संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा शुरू हो रहा है। उस दौरान सभी दलों के प्रमुख नेता दिल्ली में होंगे। ये मुहिम तब और रफ्तार पकड़ेगी। इस बीच,बीजेपी भी राष्ट्रपति चुनाव पर अपने पत्ते खोलने से बच रही है।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की तरफ से कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है। राष्ट्रपति पद के लिए सैम पित्रोदा और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नाम अटकलों में है। इस पद के अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो कांग्रेस के पास 31%, जबकि बीजेपी के पास 24 % मत हैं। इसलिए इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, एआईडीएमके, बीएसपी और बीजेडी की भूमिका अहम हो जाती है।