Wednesday, December 25, 2024
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… जब अखिलेश के जनता दरबार में पहुंचे ‘राहुल’!

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास 5-कालीदास मार्ग के दरवाजे पर सुबह-सुबह एक रिक्शा आकर रुकता है। वहां मौजूद लोगों की मदद से दो विकलांग उस पर से उतरते हैं, जो मुख्यमंत्री के जनता दरबार में फरियाद लगाने आए हैं। पूछने पर एक अपना नाम राहुल प्रजापति बताता है।

वह इलाहाबाद से आया है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उसे कहीं नौकरी दिला देंगे। आखिर वह स्नातक जो है। दूसरे के बारे में पता चलता है कि वह भी इलाहाबाद का ही है। उसे भी दो जून की रोटी का सहारा चाहिए और इसी उम्मीद के साथ वह जनता दरबार पहुंचा है।

राहुल सिर्फ उसका साथी ही नहीं है। बल्कि उनके जैसे तमाम ऐसे युवा हैं जिनके अरमानों को ही उम्मीदों के पंख लगे हैं। ऐसी ही उम्मीदों के साथ हजारों और लोग सबसे बड़े दरबार में दस्तक देने पहुंचे।

करीब सवा महीने पहले तक मुख्यमंत्री आवास कालीदास मार्ग की ओर झ्झांकने तक में लोगों को झिझक होती थी लेकिन अब सुबह सात बजे से ही उम्मीदें बसेरा डालने लगी हैं। पांच साल से मुख्यमंत्री आवास की सड़क पर आम लोगों की आवाजाही पर मनाही थी, पर अब प्रत्येक बुधवार मुख्यमंत्री आवास पर जनता दरबार लगने लगा है।

समाजवादी पार्टी (सपा) के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जनता दरबार की शुरुआत की। सोनभद्र से लेकर सहारनपुर और ललितपुर से लेकर लखीमपुर खीरी तक सूबे के लगभग हर कोने से करीब 10 हजार फरियादी अपनी समस्याएं लेकर युवा मुख्यमंत्री के पहले दरबार में गुहार लगाने पहुंचे। कई फरियादियों ने तो तड़के ही मुख्यमंत्री आवास के बाहर डेरा डाल दिया था।

मुख्यमंत्री ने तय समय (सुबह नौ से 11 बजे) से करीब चार घंटे ज्यादा समय तक फरियादियों की समस्याएं सुनीं। वह हर फरियादी के पास गए। उसका प्रार्थना पत्र लेकर जल्द निराकरण का आश्वासन दिया।

कांशीरामनगर जिले से आए साहब सिंह ने बताया, “गांव के दबंगों ने मेरी 10 बीघा जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया। कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। गुहार लेकर मैं मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचा। मुख्यमंत्री को मैंने सारी परेशानी बताई तो उन्होंने कहा कि हम आपको जमीन वापस दिलवाएंगे लेकिन आप झ्झगड़ा मत करिएगा।”

फिरोजाबाद के जल निगम में संविदा कर्मी के तौर पर ऑपरेटर के पद पर तैनात विशाल दीक्षित को पिछले एक साल से वेतन नहीं मिला। वह जनता दरबार में मुख्यमंत्री से वेतन दिलाने की गुहार लगाने आए थे।

दीक्षित ने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री को बताया कि वेतन की मांग के लिए धरना करने पर प्रशासन ने लाठीचार्ज करवाया। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ठीक है कि तुम्हारी समस्या का निराकरण किया जाएगा। दर-दर की ठोकरें खाने के बाद मुख्यमंत्री से इस तरह का ठोस आश्वासन मिलने के बाद मेरी आंखें भर आईं और मैं वहीं पर भावुक होकर रोने लगा।”

सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “पूर्व मुख्यमंत्री मायावती प्रदेश की जनता से जितना दूर रहना पसंद करती थीं वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जनता के पास उतना ही जाना चाहते हैं।”

चौधरी ने कहा, “जनता दरबार लगाने के मुख्यमंत्री के ऐलान से जनता में खुशी है। आम लोगों में उम्मीदें जगी हैं कि जनता दरबार में उनकी हर फरियाद सुनी जाएगी। उम्मीदें अब आकाश पर हैं।”

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान सपा ने वादा किया था कि उसकी सरकार बनने पर राज्य में जनता दरबार का सिलसिला फिर से शुरू किया जाएगा। मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में जनता दरबार लगा करता था लेकिन मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह बंद हो गया था।

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