Saturday, December 28, 2024
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSफर्रुखाबाद परिक्रमा- जालौन की शेरनी का शिकार, चतुर सीएम और बौराया महावत

फर्रुखाबाद परिक्रमा- जालौन की शेरनी का शिकार, चतुर सीएम और बौराया महावत

आरक्षण अम्बेडकर जयंती- चतुर सीएम और बौराया महावत !

मौका भी था दस्तूर भी था। पूरे एक महीने की खामोशी के बाद भतीजा दिल्ली में पीएम से मिल रहा था। बुआ जी अम्बेडकर जयंती पर लखनऊ में दहाड़ रही थीं। हाथी पर हाथ लगाया बहुत भारी पड़ेगा और जाने क्या-क्या। लेकिन अपने सीएम साहब धरती पुत्र के बेटे हैं। इंजीनियर हैं पहलवान नहीं। जरा भी गुस्सा नहीं हुए। युवा मुख्यमंत्री धीरे-धीरे सयाना हो रहा है। मुस्करा कर बोला हमने पहिले दिन ही कह दिया था हाथी पर हाथ नहीं लगायेंगे। परन्तु इसके आस पास जो कीमती जमीन है। उस पर महिलाओं बच्चों के लिए अच्छे अस्पताल शिक्षा केन्द्र खोलने में क्या बुराई। बुआ की बोलती बंद।

हर जगह अम्बेडकर जयंती की धूम रही। सत्ता में न होने का स्पष्ट अंतर नजर आया। जब हम विचारधारा के स्थान पर सत्ता और साधनों के सवारी करते हैं। तब फिर ऐसा ही होता है। लोगों को देवी देवताओं विचारधाराओं को गाली देने के स्थान पर यदि अम्बेडकर की विचारधारा को अपनाया गया होता। गली-गली, चौराहे-चौराहे उनकी मूर्तियां लगाने के स्थान पर अम्बेडकर के बनाये मार्ग पर चलने का प्रयास किया गया होता। तब फिर आज यह दुर्दशा नहीं होती। सत्ता का चमत्कार सत्ता में रहने तक ही होता है। विचारधारा का चमत्कार युगों-युगों तक रहता है। अम्बेडकर की जय-जयकार करने और बांकी लोगों को पानी पी पी कर गाली देने वालों जरा विचार करो सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में आरक्षण अम्बेडकर का सबसे बड़ा उपहार तुम्हारे लिए था।

आज अम्बेडकर जयंती है। छाती पर हाथ रखो और बताओ आरक्षण के इतने वर्षों से लागू होने के बाद भी आरक्षण से लाभान्वित होने वाले कितने लोग ऐसे हैं जो यह कहने की हिम्मत दिखायें कि अब हमें आरक्षण की जरूरत नहीं है। माफ कीजिए आरक्षण से मालामाल होने के बाद आप भी अपने समाज के साथ वही कर रहे हैं जो कथित रूप से आरक्षण लागू होने से पूर्व आपके समाज से सवर्ण लोग कर रहे थे। आप आरक्षण की दुहाई देते हो। सवर्णों को गालियां देते हो। साथ ही साथ आरक्षण को समाज के उत्थान की सीढ़ी बनाने के स्थान पर घर का जीना बना कर क्रीमी लेयर का विरोध करते हो। अम्बेडकर ने कभी इसकी दुहाई नहीं दी। अपने समाज के पढ़े लिखे योग्य परन्तु साधनहीन नौजवानों के साथ यह धोखाधड़ी क्यो। आरक्षण के इतने वर्षों बाद भी यदि ऐसी स्थिति है तब फिर अम्बेडकर के सपने आरक्षण हजारों साल लागू होने पर भी पूरे नहीं होंगे। अम्बेडकर को केवल गौतम गांधी रामकृष्ण नानक ईसा महावीर आदि के तरह वंदनीय ही नहीं अनुकरणीय भी बनाओ। गालियां, निंदा, तिरस्कार अवहेलना घृणा के स्थान पर भगवान बुद्ध की दया ममता, करुणा मैत्री को अपनाओ। प्रेम और सद्भाव से समाज को जोड़ो तोड़ो मत। ध्यान रहे अम्बेडकर केवल तुम्हारे नहीं पूरे मानवता के हैं। एक पाखंड को हटाने के लिए दूसरा पाखंड मत करो। आज भीमराव अंबेडकर की जयंती पर बहिन जी से लेकर गांधी, लोहिया, दीनदयाल, पटेल, नेहरू आदि के नाम पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वालों से यही कहना है कि खंडखंड पाखंड करो मूर्तियों और गालियां देने का धंधा बंद करो।

परीक्षाओं में नकल की तरह बिजली चोरी भी नहीं रुकेगी – सी एम साहब!
आज पूरा एक माह हो गया अखिलेश यादव को सूबे की कमान सम्हाले! मुन्शी हर दिल अजीज कृपया बतायें आपको कैसा लग रहा है। खबरीलाल ने सवाल दागा। मुंशी जब तक जबाब देने के मूड में आते। तब तक खबरीलाल ने अपने स्वभाव के अनुसार दूसरा सवाल कर दिया। लगता है आप किसी दबाव में हैं और हकीकत वयान नहीं करना चाहते। बहिन जी के राज्य में तो आप बहुत चटर पटर करते थे। आप जैसों की बजह से ही बेचारी चुनाव हारते ही बिना समीक्षा बैठक लिए दिल्ली पधार गयीं। अब तो आपके कलेजे ठंडक पड़ गयी होगी।

मुंशी दहाड़ते हुए बोले अरे चुप कर खबरी लाल वरना…………।
लेकिन इस बार खबरीलाल भी दबे नहीं। बेझिझक बोले बिल्कुल सही फरमाया आपने। हम चुप नहीं रहेंगे तब फिर आप हमारा सर कलम करवा लेंगे। करवा लीजिए, यही आप अभी तक करते आए हैं। किसी ने टोंक दिया, रोक दिया तब फिर आप जैसों ने राशन पानी लेकर उस पर चढ़ाई कर दी। बोलने नहीं दिया आपने उसे। सही कहा आपने आप आप हैं। हम सबके भाई बाप हैं। सत्ता में हैं। लाल बत्ती में हैं। आप जो करें वह लुभावनी लीला है।

हम कुछ करना तो दूर कुछ कह भर दें आपसे पूछ भर दे| तो वरना………… हां क्या कर लेंगे आप। चारपाई सहित रेल की पटरी से बांध देंगे। करेंट वाले बिजली के खम्भे पर टांग देंगे। जाने क्या कर देंगे। यही सब तो पूरे पांच साल हाथियों की फौज ने किया है। अपनों को ही दवाया, लूटा, कुचला और रौंदा। आज दशा देख रहे हो। हाथी कहीं है, हौदा कहीं है, महावत कहीं है, सवारी कहीं है। हम तो आपके हमदर्द हैं। इसलिए पूछ दिया। हम नहीं पूछेंगे जनता पूछेगी। पांच साल मिले हैं। 90 वर्ष का पट्टा नहीं है। बीच में 2014 या उसके आगे पीछे अर्ध वार्षिक परीक्षा है। अभी सत्ता का नशा है पूरी तरह से चढ़ा हुआ है। अपना पराया सूझ नहीं रहा है। ठीक है हम चलते हैं………।

खबरीलाल की इस खरी खरी से मुंशी हरदिल अजीज सन्नाटे में आ गए। खबरीलाल को टोंकते हुए बोले नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मेरे भाई। तुम हमारे अजीज साथी हमदर्द और शुचिंतक हो। तुम्हारी बात का हम क्यों बुरा मानेंगे।

परन्तु खबरीलाल आज जैसे आर पार के मूड में थे बोले मुंशी इतराओ नहीं। आज जो माहौल सायकिल वालों के यहां है मई 2007 में यही माहौल हाथी वालों के यहां था। आज क्या हाल है देख रहे हो। सायकिल वाले बड़े सूरमा हैं। फर्रुखाबाद समाजवादी आंदोलन के पुरोधा डा0 राममनोहर लोहिया की कर्मभूमि है। बोर्ड की परीक्षाओं में खुलेआम ठेके पर खुली सामूहिक नकल का बाजार गर्म रहा। सीएम साहब विद्यार्थियों को लैपटाप कम्प्यूटर देने का वायदा करके तालियां बटोर रहे है।। यहां उनकी ही पार्टी के धुरंधर मठाधीश और उनकी देखा देखी बाकी गिराहों के शिक्षा माफिया पूरी की पूरी युवा पीढ़ी को नकल की सुविधा बेचकर नाकारा और निकम्मा बना रहे हैं। सीएम साहब हिम्मत हो तो अपने ही लोगों को नकल कराने से रोको।

मुंशी कुछ बोलते कि खबरीलाल धारा प्रवाह बोलते रहे। पहिले आपना दामन देखो। बहिन जी के फोटो पर कालिख पुतवाने से क्या होगा। उन्हें जनता ने ही पैदल कर दिया। अब अपना सुधार करो भैया। अपने चेहरे पर कालिख मत लगने दो। नया नया मामला है। लेकिन ज्यादा दिन लोग चुप नहीं रहेंगे। बहुत बड़े नेता के बहुत बड़े पिछलग्गू मुख्य मार्गों पर टैम्पो प्रवेश पुल पर बसों के आवागमन, बिजली विभाग में स्थानांतरण आदि की धमकी के नाम पर उगाही में लग गए हैं। मामले नवनियुक्त जिलाध्यक्ष और नए कप्तान साहब तक पहुंच गए। पार्टी के मुखिया तथा युवा मुख्यमंत्री आप से बिजली चोरी रोकने की गुहार कर रहे हैं। अरे और किसी की न सही उनकी ही सुनो। वह तो आपके नेता हैं। देश के सबसे बड़े सूबे को सम्हालने वाले सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं। फिर बहिन जी के फोटो पर कालिख पुतवाने के बजाय अपनी टोली लेकर बिजली चोरी रुकवाने और फर्जी बिजली बिलों को सही करवाकर उनके भुगतान करवाने के नेक काम में क्यों नहीं लग जाते। सरकार की आमदनी बढ़ेगी। विकास कार्य तेज होंगे। बची हुई बिजली और कार्यों के काम आएगी।

खबरीलाल बोले ही जा रहे थे। लेकिन मुंशी जी आपकी जो फौज है न सबसे जुझारू कही जाने वाली फौज। वह न तो नकल रोकने का पुनीत कार्य करेगी। न ही बिजली चोरी रोकने और बकाया बिलों के भुगतान के लिए कोई प्रयास करेगी। वह तो सुबह ही घर से अपना लक्ष्य बनाकर निकलती है। आज किस अधिकारी को धमकाना है। शाम तक कहां-कहां कितना कितना माल बटोरना है। खबरीलाल बोले मुंशी जी हमारी मान लो होश में आ जाओ। यह सही नहीं है कि इस बार की आप की जीत इतनी शानदार और जानदार है कि अभी लोगों की कुछ कहने की हिम्मत नहीं पड़ रही है। परन्तु केवल एक माह में आपने बहुतों को अपने आचरण व्यवहार और तौर तरीकों से निराश किया है। कंपिल से लेकर गुरसहायगंज कन्नौज तक आपकी कलाकारियों के चर्चे लोगों की जुवान पर आने लगे हैं।

कहां से शुरू करें। हम विध्न संतोषी नहीं हैं। हमारा नाम खबरीलाल कोई ऐसे ही नहीं है। कहीं पर बीच खेत में स्कूल के निर्माण की कारीगरी कहीं पर फसल किसी की काट कोई रहा है। कहीं कब्जा पचासों साल पुराना किसी का कब्जा कोई कर रहा है। वोट की खुन्नस में धौलधप्पे मारपीट आगजनी की बारदातें बढ़ रही हैं। जो मान जाए वह सपाई क्या जो जलेबी न बनाये वह हलवाई क्या। कमोवेश यही हाल बसपाइयों, कांग्रेसियों और भाजपाइयों का है। हार इतनी जबर्दस्त है कि पूरा समय चोटों को सहलाने में ही निकल जाता है। जब सपाई नहीं सुधरे तब फिर पुलिस क्यों सुधरे। जहां से कुछ खतरा हो सकता है। वहां टाइम बेटाइम सलाम वजा आती है। बाद में जमकर पैसा वसूलती है। जो काम चाहो करवा लो। हाथी वालों को दो चार गाली दो। सायकिल वालों की जय-जयकार करो। विरादरी सैफई जसवंतनगर, इटावा से रिस्ता जोड़ लो। जय समाजवाद। कोई कुछ कहिने की गुस्ताखी करे। तब तो फिर कहना ही क्या। करें क्या साहब। खून पिये हैं खून। तीन बार मंत्री जी नेता जी, चमचे जी, प्रमाता जी, जनसम्पर्क प्रमुख जी, पार्टी प्रवक्ता जी, जौरा जी, पितौरा जी, जरारी जी, भड़ौसा जी, मौसा जी, मौसी जी, अंकल जी, आंटी जी, बेटे जी, भाई जी, नगरिया जी, सियरिया जी, जाने-जाने कौन जी किसकी-किसकी बतायें फोन आ चुके हैं बहुत दबाव है साहब। हमें भी नौकरी करनी है। बाल बच्चे पालने है साहब। फिर एक मोटी गाली जैसा करेंगे वैसा भरेंगे। कोई पूछ रहा है आज हाथी वालों को। पुलिस जी हंसते हुए कहते हैं। तुम्हारा क्या होगा सायकिल वालों।

मुंशी हर दिल अजीज ने तो जैसे आज खबरीलाल के सामने हार ही मान ली। मंत्र मुग्ध से सुने जा रहे थे। खबरीलाल बाबा जान वालों के यहां से पानी की बोतल लेकर पीने के बाद बोले। मुंशी जी हमें अपना दुश्मन मत समझो। हम भी चाहते हैं हमारे पिछड़े जिले और क्षेत्र का विकास हो बेरोजगारी खत्म हो, उद्योग धन्धे लगें। प्रदेश का युवा मुख्यमंत्री विकास के सपने देख रहा है। अपनी योजनायें लेकर प्रधानमंत्री से मिल रहा है। विश्वास और उत्साह से भरा हुआ है। परन्तु यहां तुम्हारे ही लोग उल्टी गंगा बहाने में लगे हैं। नाम लेकर कहेंगे तो खुन्नस मानी जाएगी।

छः महीने से लेकर पांच साल तक विरादरी या किसी और बजह से हाथी की सवारी करते रहे। अब सायकिल की घंटी बजा रहे हैं। पड़ोसी गाली दे रहे हैं। डिजिटल कैमरे की मेहरवानी। लखनऊ में मंत्री से मिलो। उसे एक कागज थमाओ फोटो खिंचाओ। हमारा नाम खबरीलाल है। खबरीलाल तो हम काम से हैं। परन्तु इसके साथ ही देश के नागरिक और मतदाता भी हैं। हमने भी तय कर लिया है। हर सप्ताह तुम्हारी शासन प्रशासन को गल्तियों कमियों को तुम्हें बतायेंगे। मानना न मानना तुम्हारी मर्जी। नकल रुके न रुके, बिजली चोरी रुके न रुके। हम पर कोई लांक्षन नहीं आएगा। जब यह सब हो रहा था खबरीलाल तब तुम कहां थे। खबरीलाल बोले अच्छा तो हम चलते हैं मुंशी जी। हमारी बंदगी कबूल फरमाइए।

मुंशी हर दिल अजीज ने खबरीलाल को गले से लगा लिया। बोले सच कहते हो खबरीलाल। हम सायकिल वाले नहीं हैं। परन्तु जनता की आवाज के साथ हैं। सब चाहते हैं कि नौजवान आगे बढ़े। एक नौजवान उभर कर आया है। मुख्यमंत्री बना है। जब उसके अपने ही लोग उसकी मदद करने के स्थान पर अपने-अपने छोटे बड़े फायदों के लिए मनमानी करेंगे। तुम्हें ही क्या सबको बुरा लगेगा। हमें भी बुरा लगेगा। आप हमें बताते रहिए। हम अपनी कोशिश भर जो कुछ भी कर सकते हैं करेंगें।

कौन बनेगा चेयरमैन………

हम उत्साह प्रिय हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के कारण हम दिन पर दिन चुनाव प्रिय भी होते जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव हुए, सरकार बने एक ही महीना हुआ है। हार जीत पर चिंतन मनन, मंथन का लंबा दौर जारी है। परन्तु हमारा मन भटक रहा है। कौन बनेगा मुख्यमंत्री के बाद हमें चैन नहीं है। नगर निकायों के चुनाव उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार मई में होंगे या प्रदेश सरकार की इच्छा के अनुसार जून जुलाई में। आरक्षण बसपा के कार्यकाल का रहेगा या सपा उसमें संशोधन करेगी। किसी को भी पक्के से पता नहीं है।

परन्तु कंपिल, कायमगंज, शमशाबाद, फर्रुखाबाद, कमालगंज, मोहम्मदाबाद में चेयरमैनी की कुर्सी के दावेदारों की सूची बढ़ती जा रही है। रोज नए नाम जुड़ रहे हैं। बसपा ने अपने आपके इस चुनाव से बाहर रहने का फैसला पहले ही कर लिया है। सपा उफान पर है। भाजपा, कांग्रेस का हौसला पस्त है। ऐसे में पुनः निर्दलीयों की बहार आ जाए इसकी संभावना बढ़ती जा रही है। पार्टियों की ताकत जगजाहिर हो चुकी है। सपा में अनुशासन जितनी चर्चा में है उतनी ही अनुशासनहीनता है। निष्ठा की की दुहाई वह लोग दे रहे हैं जिन्होंने अपनी स्टांप प्रत्याशिता तक नीलामी पर चढ़ा दी। आपकी बात और अब तो विश्वासघातियों का दौर है। तुम्हारी निष्ठा अनुशासन हीनता को ओढ़ें कि बिछायें। इसलिए चेयरमैनी के चुनावों में सबसे ज्यादा घमासान सपा में ही होगा। रहेंगे सपा में खायेंगे खसम का गायेंगे यारों का। निश्चित रूप से इस बार महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। कुछ हारे जीते प्रत्याशियों की धर्मपत्नियां अभी से कदम ताल कर रही हैं। चेयरमैनी के रेस में आने के लिए भाजपा से निलंबित एक नेत्री का नाम भी जोरों पर है। आरक्षण बदला तो कुछ और लोग या उनकी लुगाइयां मैदान में दिख सकती हैं। चुनाव जीतने के बाद भी सत्ता सभी कारणों के कारण जिनकी कोई कहीं पूछ नहीं हो रही है उनकी धर्मपत्नी अपनी पुरानी भूमिका में आने को बेताब हैं। सपा के कई शेर उनके यहां मेमने की तरह मिमियाने के लिए पहुंचने लगे हैं। अगले सप्ताह कुछ और स्थिति स्पष्ट होगी।
और अंत में – घर के बछेड़े पर बस नहीं चला।
जालौन की शेरनी का हो गया शिकार- वाह रे
मेजर – एक बार तुम फिर गए हार रे!
मेजर के खेमे में चुनाव जीतने जैसी खुशी का आलम था- डेढ़ सौ वोट और जुटा लेते पिता और माता की तरह विधानससभाओं में अपने चरण कमल रखने का अधिकार पा जाते। परंतु कलयुगी विभीषण का कहें उसे अपने स्वर्गीय ताऊ का पुत्र ही अपनी प्रगति यात्रा में सबसे बड़ा बाधक लगा। जाति पात के पुराने बंधन तो पहिले ही तोड़ दिए थे अबकी बार कथित तौर पर परिवार की मान मर्यादा को भी तार-तार कर दिया। ताऊ की हत्या के सिद्धिदोष अभियुक्त और जमानत पर चल रहे सूरमा भोपाली को विधानसभा पहुंचाकर एक नया रिकार्ड ही नहीं कायम किया भाजपा नेतृत्व और मेजर साहब को खुली चुनौती दे दी कि हिम्मत हो करो अनुशासनहीनता की कार्यवाही। भगवान करे यह सारे आरोप झूठे हों क्योंकि भले ही घोर कलियुग परन्तु कोई इतना गिर सकता है इस पर विश्वास नहीं होता। हालांकि मेजर के लोग यही सही बताते हैं जिसे सही नहीं होना चाहिएं

परन्तु मेजर मेजर ठहरे। घर के बछोड़े का कुछ नहीं बिगाड़ पाए। जालौन की शेरनी को निलंबन का नोटिस क्या मिला। मेजर के समर्थक बल्लियों उछल पड़े। देखा मेजर दादा का प्रभाव। बड़ी तीस मार खां बनती हैं। मेजर दादा से टकरायेंगी चूर-चूर हो जायेंगी।

परन्तु घर का भेदी लंका ढाये। बोले मेजर दिन में सपने दिखाते हैं। रात्रि में नशा मुक्ति अभियान बनाते हैं। भाजपा विरोधी वोट इस बार चार हिस्सों में बट गया। मेजर उसके बाद भी चुनाव हार गए। इसे आप क्या कहेंगे। अब बेमतलब की पैंतरेबाजी से क्या फायदा। जालौन की जिस शेरनी और लोहाई रोड की भाभी जी को कथित रूप से किनारे लगाने की खुशियां मना रहे हैं। उन्हें सजा उनकी किसी स्थानीय कारस्थानी की बजह से नहीं मिली है। अपने गृह नगर में अपनी ही पार्टी के एक दिग्गज नेता के विरुद्व निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे अपने सगे भाई का समर्थन करने के कारण उनके विरुद्व निलंबन की कार्यवाही हुई। मेजर कोई खुश फहमी न पालें यही ठीक है।

परन्तु मेजर के खेमे में जब खुशियों का दौर थम नही नहीं रहा था। तब मेजर के स्वर्गीय पिता के विश्वास पात्र सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य ने पूछ ही दिया। मेजर भैया- स्वर्गीय पिता के सिद्धिदोष हत्यारे के विरुद्व यह युद्ध विराम कब तक चलेगा। न्यायपालिका इतनी धीमी गति से कभी नहीं चलती। जितनी इस मामले में चल रही है। पढ़े लिखे हो अधिवक्ता हो, साधन सम्पन्न हो। योग्य पुत्र की तरह कुछ न्यायोचित करो न। सिंहनी के निलंबन से खुश मेजर के पास कहने के लिए कुछ नहीं था।

सतीश दीक्षित
एडवोकेट

1/432 शिवसुन्दरी सदन लोहियापुरम, आवास विकास
बढ़पुर-फर्रुखाबाद।

Mail: satishdixit01@gmail.com

Ph- 9415473845

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments