आढ़तियों के दबाव में सरकारी गेहूं क्रय केन्द्र बंद

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फर्रुखाबाद: जिलाधिकारी सच्चिदानंद दुबे के आदेश पर 19 मार्च को ही सभी सरकारी अनुमोदित क्रय केन्द्रों की सूची जारी कर क्रय केन्द्र खोलने के आदेश दिये गये थे। तकरीबन 20 दिन गुजर जाने के बावजूद क्रय केन्द्र प्रभारी आढ़तियों के दबाव और प्रशासन की आंख में धूल झोंककर कुछ तो घरों पर और कुछ क्रय केन्द्र पर ही दरबाजा बंद कर घुर्राटे मारकर सो रहे हैं।

जिलाधिकारी सच्चिदानंद दुबे के आदेश की धज्जियां सरकारी गेहूं खरीद केन्द्र प्रभारी बेखौफ उड़ा रहे हैं। जिसका असर सीधा किसानों पर पड़ रहा है। किसान सरकारी गेहूं खरीद केन्द्र न खुलने से मजबूरन अपना गेहूं आढ़तियों के हाथों सस्ते दामों में बेचने को मजबूर हैं। ज्यादातर क्या 99 प्रतिशत सरकारी गेहूं खरीदकेन्द्रों पर आज ताला लटका मिला और मजे की बात तो यह है कि मण्डी समिति के सचिव धर्मेन्द्र सिंह भी अपने कार्यालय से नदारद मिले।

खौफ इसलिए नहीं कि सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। सचिव के न मिलने पर उनके कार्यालय के बाबू यूनुफ से सचिव का मोबाइल नम्बर मांगा गया तो उन्होंने मुस्कराते हुए नम्बर न होने की बात कही। वहीं गल्ला मण्डी सहायक राजू ने किसी भी खरीद केन्द्र प्रभारी का मोबाइल नम्बर नहीं बता पाया। जानबूझकर किये जा रहे इस गोलमाल में पूरा विभाग सम्मलित दिख रहा है। कैमरे में कैद हुईं तस्वीरों से देखकर आप इन लोगों की लापरवाही का अंदाजा खुद ही लगा सकते हो।

कर्मचारी कल्याण निगम के गेहूं खरीद केन्द्र प्रभारी अंकेश कटियार से क्रय केन्द्र न खोलने की बात फोन पर की गयी तो उन्होंने बड़े ही सादगीभरे शब्दों में कह दिया कि गेहूं अभी गीला आ रहा है और मैं अभी लखनऊ में हूं। जबकि उनकी ही आढ़त पर कुन्तलों गेहूं तौला जा रहा है।

गेहूं बेचने आये किसान बलराम पुत्र बृजलाल निवासी खरगपुर, राकेश पुत्र श्रीराम निवासी सलेमपुर, ईश्वरदयाल पुत्र बृजलाल निवासी सरह, समर सिंह पुत्र रामेश्वर ने बताया कि हम लोग सरकारी केन्द्र न खुले होने के कारण मजबूरी में आढ़तियों के हाथों अपनी फसल बेच रहे हैं।
सरकारी खरीद रेट 1285 है लेकिन आढ़ पर हम लोग लगभग 1111 रुपये प्रति कुन्टल के भाव से अपने गेहूं को बेचने के लिए मजबूर हैं। अगर सरकारी खरीद केन्द्र खुलें तो हम लोग उसी पर गेहूं बेचने को तैयार हैं।

असहाय गरीब किसानों का शोषण कर रहा मण्डी समिति हर तरह से किसानों को ही काटने पर तुला है। विभाग के ही लोगों को यह नहीं मालूम कि खरीद केन्द्र कहां पर बनाये गये हैं।

खरीद केन्द्र प्रभारियों के नये_नये बहाने गेहूं गीला आ रहा है, कोई केन्द्र पर आता ही नहीं, मैं अभी बाहर हूं, मैं अभी लखनउ गया हूं, मैं अभी मीटिंग में हूं आदि कहकर मामला कई दिनों से टरका रहे हैं।

सचिव ने भी अपना मोबाइल का स्विच आफ कर लिया।