Tuesday, January 7, 2025
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बच्चो का करोडो रुपया ग्राम पंचायतो के कब्जे में- जिलाधिकारी से लेकर बीएसए तक मौन

फर्रुखाबाद: पिछले कई माह से जनपद में 25 प्रतिशत से ज्यादा प्रदेश सरकार के परिषदीय विद्यालयों में दोपहर को मिलने वाला भोजन बंद पड़ा है| एमडीएम बंद वाले स्कूलों में बच्चो को भोजन बनबाने और खिलाने की जिम्मेदारी संभाले स्कूल के प्रधानाध्यक और ग्राम पंचायतो के प्रधानो के अलग अलग बयान है| कुछ के मुताबिक जिला स्तर से उन्हें राशन और कन्वर्जन कास्ट नहीं मिल रही है| वहीँ कुछ का कहना है कि उन्हें जरुरत के हिसाब से कम राशन दिया जा रहा है| जिला स्तर पर मध्याह भोजन योजना के समन्वयक अतुल प्रताप सिंह भी इस बात को मानते है कि कुछ ग्राम पंचायतो को खाद्यान कम दिया जा रहा है| मगर इसके पीछे उनका कहना है कि पिछले वर्षो में प्रधानो द्वारा गबन किया गया खाद्यान और कन्वर्जन कास्ट की भरपाई करने के लिए उत्तर प्रदेश मध्याह भोजन प्राधिकरण जिला स्तर पर आवंटन कम दे रही है| बात कमाल की है- एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार कोई बच्चा भूखा नहीं रहना चाहिए तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में प्रदेश और जिला स्तर के अधिकारी प्रधानो और घोटालेबाजो के वसूली एवं दण्डित करने के बजाय मासूमो का ही निबाला डकार रहे है| कमोबेश पूरे उत्तर प्रदेश में यही स्थिति है|

इसी कड़ी में एक और घोटाले की बुनियाद रख दी गयी है| जिसका खामियाजा आने वाले समय में नौनिहालों को ही भुगतना पड़ेगा| बड़े ही शर्म की बात है कि प्राथमिक व् माध्यमिक विद्यालयों के नौनिहाल बच्चे चूँकि वोटर नहीं होते इसलिए कोई भी प्रदेश का नेता इनकी बात भी नहीं करता| यहाँ उदहारण के लिए बात केवल एक जनपद फर्रुखाबाद की ही कर ली तो लगभग 6 करोड़ रुपया पिछले प्रधानो से ही हिसाब लेने को पड़ा है वहीँ लगभग 1 करोड़ से अधिक की धनराशी पर एक बार फिर घोटालेबाजो की निगाह लग गयी है| वित्तीय वर्ष हर साल नया हो जाता है और एक नयी चिट्ठी के साथ फ़ाइल वहीँ के वहीँ दब जाती है| जिला स्तर के अधिकारिओ ने सिवाय चिट्ठी चलाने के अब तक ऐसे कोई ठोस और माकूल कदम नहीं उठाये जो जनता का धन वापस सरकार के पास आ सके| यहाँ तक की आर सी तक नहीं काटी गयी| तमाम प्रधानो ने जिले के अधिकारिओ द्वारा जारी किये गए तमाम फर्जी अदेय प्रमाण पत्रों पर वर्ष 2011 में चुनाव तक लड़े जबकि इनके विरुद्ध लाखो रुपये के खाद्यान और कन्वर्जन कास्ट वसूलने की चिट्ठी बेसिक शिक्षा अधिकारिओ द्वारा लिखी गयी थी| पिछली सपा की सरकार के दौरान प्रधानो ने कारस्तानी शुरू की थी| चुनाव आते आते बसपा के सरकार बन चुकी ही तब तक प्रधान बसपाई हो गए थे| बसपा के नेता और मंत्री डी एम साहब को फोन करके उनकी मदद करते रहे अब वाही प्रधान सपाई हो गए है| आगे क्या होगा कुछ कहने लिखने की जरुरत नहीं पाठक समझदार है| कुल मिलकर प्रशासनिक अफसर अपनी जिम्मेदारी निभाने की जगह नेताओ के दरबार में नतमस्तक दिखाई पड़ते रहे और जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा चोर टाइप प्रधान डकार गए|

क्या है नए घोटाले का शक!

उत्तर प्रदेश मध्याह भोजन प्राधिकरण ने पिछले सालो का जब हिसाब केंद्र सरकार को नहीं दे पाया तो हिसाब नए सिरे से करने के लिए हर ग्राम पंचायत स्तर पर मध्याह भोजन की धनराशी के लिए नए बैंक खाते खुलवाने के आदेश जारी कर दिए| वैसे कहा ये गया कि राष्ट्रीयकृत बैंको से पैसा जल्दी और पारदर्शी तरीके से ट्रांसफर होगा, मगर जनपद में आज तक तो ऐसे ट्रांसफर हुआ नहीं| वही पुराने स्टाइल की बैंक के लिए सीएन बनती है और प्रधानो को जिला स्तर पर चक्कर (भेट पूजा के लिए) लगाने पड़ते है| जिसे अक्सर बदला जाता है जिसकी चिट्ठी बैंक में जाती है| प्राधिकरण के निदेशक संतोष कुमार ने फरमान जिलों में भेजा और नए बैंक खाते राष्ट्रीयकृत बैंको में खुले| ये काम दिसम्बर 2010 में किया गया| जनवरी 2011 से आगे का इस योजना का पैसा नए बैंक खातो में जाने लगा| ये खाते ग्राम पंचायत स्तर पर खोले गए| इससे पहले क्षेत्रीय बैंको जैसे कि ग्रामीण बैंक या जिला सहकारी बैंको में मध्याह भोजन योजना के खाते का सञ्चालन होता था| इस खाते को ग्राम पंचायत में खाता संख्या 5 के नाम से जाना जाता था| इसमें प्रदेश स्तर से भेजी गयी कन्वर्जन कास्ट और रसोइये के मानदेय तथा रसोई आदि के रखरखाव का पैसा रखा जाता था| ये नए खाते तो जनवरी 2011 में चालू कर दिए गए और इसमें पैसा भेजा जाने लगा मगर दिसम्बर 2010 तक चले पिछले खाते में पड़ी धनराशी को निकल नए खाते में स्थान्तरित नहीं किया गया| बेसिक शिक्षा के जानकार बताते है कि अकेले फर्रुखाबाद जनपद के लगभग 1800 परिषदीय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए चलने वाले पिछले खाते में लगभग 1 करोड़ रुपये से अधिक पड़ा है| इस पैसे को प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से निकला जाना है जबकि नए खाते स्कूल के मास्टर और प्रधान के हस्ताक्षर से चलते है| इस पैसे पर प्रधानो और ग्राम सचिवो दोनों की पैनी नजर है| कुछ अपुष्ट खबरों से मिली जानकारी के अनुसार अनेक प्रधानो और ग्राम सचिवो ने इस पैसे को निकल बंदरबाट भी कर लिया है|

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