Friday, January 10, 2025
spot_img
HomeUncategorized21 दिनों में सर्राफा कारीगर पहुंचे भुखमरी के कगार पर

21 दिनों में सर्राफा कारीगर पहुंचे भुखमरी के कगार पर

फर्रुखाबाद: सर्राफा व्यापारियों पर लगाये गए एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क के विरोध में हुई 21 दिनों की हड़ताल के बाद सर्राफा बाजार में आज फिर से चहल पहल देखने को मिली है। सरकार के द्वारा मिले आश्वासन से सर्राफा व्यापारियों के चेहरों पर भले ही शुकून नजर आया हो लेकिन सर्राफा कारीगरों का दर्द साफ नजर आ रहा है।

सर्राफा कारीगरों का दर्द: –

जेएनआई ने आज जब सर्राफा बाजार में जाकर कुछ सर्राफा कारीगरों से बात की तो उनकी जुबानी कुछ इस तरह से थी-

मोहल्ला अढ़तियान निवासी सर्राफा कारीगर संतोष वर्मा ने बताया कि सर्राफा कारीगरी का कार्य उनका पुस्तैनी है परन्तु वर्तमान में सर्राफा बाजार के हालात बदल चुके हैं। लागत के हिसाब से भी हम लोगों को मुनाफा नसीब नहीं हो पाता है। संतोष ने यहां तक बताया कि वे अपनी आगामी पीढ़ी को इस कारोबार से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। श्री वर्मा का एक पुत्र एमबीए कर रहा है, वहीं पुत्री शहर के ही एक महाविद्यालय से परास्नातक कर रही है। उनका साफ कहना है कि वे अपने किसी भी बच्चे को सर्राफा कारीगरी का काम नहीं करने देंगे।

मोहल्ला नीवाचुअत निवासी सर्राफा कारीगर संजय सोनी का कहना है कि कारीगरी का कार्य उनका पुस्तैनी है। पिछले दिनों में हुई 21 दिनों की हड़ताल में उन्हें बहुत ही आर्थिक क्षति हुई है। जिस कारण वह अपने तीन बच्चों लक्ष्मी, करिश्मा, सिद्धान्त की विद्यालय फीस तक नहीं जमा कर पायी है। न ही उन्हें नये सत्र की किताबें मुहैया करा पाये हैं। शहर के एक निजी विद्यालय संचालक ने बच्चों की किताबों के लिए 3500 रुपये व 700 रुपये प्रति माह प्रति बच्चा फीस बतायी तो वह मायूस होकर घर वापस चला आया और अपने बच्चों का एडमीशन नहीं करवा पाया।

मोहल्ल दिल्ली ख्याली कूंचा निवासी 65 वर्षीय श्यामकृष्ण ने बताया कि उसकी सर्राफा कारीगरी के कार्य से होने वाली आय से परिवार के 7 लोगों की जीविका चलती है। पिछले 21 दिनों से बंद रहे बाजार में घर में रोटी के भी लाले पड़ गये हैं।

क्षत्रिय स्वर्णकार समिति के अध्यक्ष छोटेलाल वर्मा निवासी नाला मछरट्टा का कहना है कि पिछले 21 दिनों से बंद सर्राफा बाजार में कोई भी आय न होने के कारण उन्होंने अपनी जमा पूंजी से घर के खर्चे को पूरा किया है। घरेलू खर्च के लिए उसने लोगों से उधार भी लिया है। जिससे उन पर काफी आर्थिक तंगी आ गयी है।
पक्कापुल निवासी दिनेश ने बताया कि वह पिछले 12 वर्षों से सर्राफा कारीगरी के कार्य से जुड़ा है। जिसकी आय से वह अपने परिवार का लालन पालन करता है। पिछले 21 दिनों तक चली हड़ताल के कारण घर में बच्चों की परवरिश व घरेलू खर्चों को पूरा करना मुस्किल हो गया है। दिनेश के तीन बच्चे तनिश, शानू व सुरजल हैं। जिसमें दो बच्चे स्कूल जाते हैं। जिनका प्रति माह का खर्चा डेढ़ हजार रुपये है। आठ हजार रुपये प्रति माह कमाने वाला दिनेश इस माह अपने घरेलू आवश्यकताओं की चीजों को भी पूरा करने में असमर्थ रहा है।

 

 

सर्राफा व्यापारियों की जुबानी : –

इसी क्रम में जब सर्राफा व्यापारियों से मिले तो उनके मिजाज कुछ अलग ही नजर आ रहे थे-
शहर के चौक बाजार स्थित रोशन ज्वैलर्स के प्रोपराइटर सतीश अग्रवाल ने बताया कि मुनाफा और घाटा तो व्यापार का हिस्सा है। फिर भी यदि सरकार व्यापारियों पर बोझ जैसा टैक्स डालती है तो उसका खामियाजा आगामी समय में नजर आ जायेगा।

नेहरू रोड स्थित गोपाल ज्वैलर्स के प्रोपराइटर व उत्तर प्रदेश सर्राफा एसोसिएशन के जिला महामंत्री गोपाल वर्मा का कहना है कि वह पिछले तीन वर्षों से सर्राफा कारोबार कर रहे हैं परन्तु इस तरीके की सरकार की मनमानी को वह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। अगर सरकार ने टैक्स वापस नहीं लिया तो वह 11 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं।

चौक बाजार स्थित सोनम ज्वैलर्स के प्रोपराइटर संजय वर्मा के भाई सूरज वर्मा ने बताया कि पिछले पांच वर्ष से सर्राफा व्यापार से जुड़े हुए हैं। इस तरीके के सरकार के द्वारा लगाये गये टैक्स से व्यापार को गंभीर क्षति पहुंचेगी और जिसका सीधा असर जनता की जेब पर भी पड़ेगा।

नेहरू रोड स्थित भोलानाथ सर्राफ के मालिक दिनेश टण्डन ने बताया कि विगत 21 दिनों की हड़ताल ने सन 62 में हुई गोल्ड कन्ट्रोल एक्ट के विरोध में किये गये 12 दिनों की हड़ताल की याद दिला दी है। जोकि मोरार जी देशाई के कार्यकाल में हुई थी। परन्तु उस समय लगभग 27 साल बाद 1989 में बीपी सिंह ने अपने कार्यकाल में गोल्ड कन्ट्रोल एक्ट को वापस ले लिया था।

 

जनता बोली : –

जे एन आई द्वारा जब आम जनता से सर्राफा हड़ताल के बारे में बात की तो उनके कुछ इस प्रकार विचार हैं-

खटकपुरा निवासी डा0 जुबैर अहमद अंसारी ने बताया कि सर्राफा व्यापारियों की हड़ताल जायज है। क्योंकि अगर उनके व्यापार पर टैक्स लगाया गया तो उसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ेगा।

लोहिया अस्पताल की महिला चिकित्सक डा0 अंजली श्रीवास्तव का कहना है कि सर्राफा व्यापार पर लगाया गया कर नाजायज है। जो कि महंगाई को और भी अधिक बढ़ायेगा। आम जनता को अब आभूषण खरीदना और भी मुस्किल हो जायेगा।

आवास विकास कालोनी स्थित हेलन मेमोरियल स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती मंजू नॉक्स का कहना है कि सरकार को व्यापारियों की मांग को मान लेना चाहिए। अगर व्यापार महंगा होगा तो आम जनता खुद ही महंगाई की चपेट में आ जायेगी। सरकार के द्वारा बढ़ाई जा रही महंगाई वैसे भी आम नागरिक के लिए बबाले जान बन गयी है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments